मैंने आप पर कृपा लूटाई, अब आप हम पर कृपा बनाये रखियेगा, और क्या कहूं?
दिल्ली व झारखण्ड में क्या अंतर हैं? दिल्ली और झारखण्ड में सिर्फ इतना ही अंतर है कि दिल्ली का सीएस अपने अपमान का बदला लेने के लिए अरविन्द केजरीवाल सरकार से टकरा रहा है, संघर्ष कर रहा है, जबकि झारखण्ड के सीएस के सम्मान की रक्षा के लिए मुख्यमंत्री रघुवर दास विपक्ष ही नहीं बल्कि अपने लोगों भी से टकरा जा रहा है, और उसे हर प्रकार से क्लीन चिट दिलवाकर सदा के लिए विभिन्न आरोपों से मुक्त कर देने का दुस्साहस भी करता है।
सचमुच अरविन्द केजरीवाल को रघुवर दास से सीखना चाहिए कि कैसे नौकरशाह के आगे नतमस्तक होकर सरकार चलाना चाहिए, अरविन्द केजरीवाल को रांची आकर रघुवर दास से विशेष प्रशिक्षण लेना चाहिए कि रघुवर दास कैसे नौकरशाहों के भ्रष्ट आचरण के आगे नतमस्तक होकर राज्य को बड़े ही शान से चला रहे हैं और उनके इस कार्य को उनके प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी भी सराहना करते हैं, यह कहकर कि विकास देखना हो, तो झारखण्ड पहुंचिये, चाहे झारखण्ड में भूख से संतोषी की मौत ही क्यों न हो जाये, चाहे केन्द्र सरकार व राज्य सरकार की डीबीटी योजना की हवा ही क्यों न निकल जाये, चाहे खुले में शौचमुक्त क्षेत्र में एक बालिका जो शौच करने गई है, उसे कुत्ते नोच-नोचकर ही क्यों न खा जाये, चाहे अपराधियों का समूह रांची के बूंटी मोड़ में रह रही एक लड़की के साथ दुष्कर्म कर उसकी हत्या ही क्यों न कर दें।
चाहे चारा घोटाले में सुनवाई के दौरान कोर्ट ये महसूस ही क्यों न करें कि राजबाला वर्मा ने चाईबासा के उपायुक्त के रुप में काम करते हुए अपनी भूमिका सही तरीके से नहीं निभाई, कार्य में लापरवाही बरती। चाहे कोर्ट इसके मद्देनजर सरकार को अपने स्तर पर इनके खिलाफ कार्रवाई करने का निर्देश ही क्यों न दे दे। चाहे राजबाला वर्मा को दो दर्जन से अधिक बार कारण बताओ नोटिस जारी ही क्यों न हुआ हो। चाहे राजबाला वर्मा उक्त कारण बताओ नोटिस का जवाब देने से इनकार ही क्यों न कर दिया हो।
ज्ञातव्य है कि मुख्य सचिव के उपर लगे भ्रष्टाचार को लेकर इस वर्ष विधानसभा का बजट सत्र हंगामेदार रहा और ये समय से पूर्व ही अनिश्चितकाल के लिए स्थगित हो गया। इस मुद्दे को लेकर संसदीय कार्य मंत्री सरयू राय ने अपने इस विभाग से स्वयं को मुक्त कर लिया। राजबाला वर्मा पर सर्वाधिक भ्रष्टाचार का मुद्दा अगर किसी ने उठाया तो वे खाद्य आपूर्ति मंत्री सरयू राय ही थे, बाकी सारे मंत्री तो मुख्यमंत्री रघुवर दास के सामने हाथ जोड़कर बड़ी विनम्रता के साथ खड़े रहे, कि कही उनकी मंत्री पद न खिसक जाये, जनाब नाराज न हो जाये।
झारखण्ड अपने निर्माण काल से ही भ्रष्टाचार का रिकार्ड तोड़ने में सभी राज्यों से आगे रहा हैं। रघुवर सरकार की तो बुनियाद ही भ्रष्टाचार पर टिकी है। रघुवर दास ने सत्ता संभालते ही जो सबसे बड़ा काम किया, वह काम था झारखण्ड विकास मोर्चा के विधायकों को लालच देकर अपने में मिलाना, जिसमें वे सफल हुए, हालांकि दलबदल को लेकर विधानसभाध्यक्ष की अदालत में मामला चल रहा हैं, पर ये मामला तब तक चलता रहेगा, जब तक 2019 विधानसभा चुनाव की घोषणा न हो जाये, और लीजिये रघुवर दास का पांच साल का शासन समाप्त।
जहां इस प्रकार की प्रवृत्ति यत्र-तत्र-सर्वत्र हो, जहां सारे लोग नैतिकता, ईमानदारी और सदाचार का अचार बनाकर खाकर पचा गये हो, वहां मुख्य सचिव राजबाला वर्मा, पुलिस महानिदेशक डी के पांडेय तथा एडीजी अनुराग गुप्ता पर कार्रवाई कैसे होगी? उन्हें तो बचकर निकलना ही हैं, और अगर कहीं इन्हें सरकार ने लपेटे में लिया तो फिर सरकार को भी ये लोग कहां छोड़नेवाले हैं? ये भी ऐसी दांव खेलेंगे की सरकार को लेने के देने पड़ जायेंगे, इसलिए ले और दे की संस्कृति में, एक दूसरे को बचाने में ही बुद्धिमानी हैं, इसलिए मैंने आपको क्लीन चिट दिया, अब आप भी कृपा बनाये रखियेगा, शायद रघुवर दास यहीं कह रहे होंगे मुख्य सचिव से।
परस्पर सहयोग से सत्ता का स्वाद मिलता रहे..।।
जनता को भो वोट के दिन हंडिया दारू और मुर्गा मिलेगा..इस बार के लिए और अगली बार के लिए भी.!!