पत्थलगड़ी को लेकर CM रघुवर ने राष्ट्रविरोधियों को दी बहस करने की चुनौती
मुख्यमंत्री रघुवर दास ने राष्ट्रविरोधी शक्तियों को चुनौती दी हैं कि वे आएं और पत्थलगड़ी पर उनसे बहस करें। उन्होंने यह चुनौती 27 फरवरी को फेसबुक के माध्यम से दी। कमाल है, कभी वे पत्थलगड़ी में भाग लेनेवालों को राष्ट्रविरोधी करार देकर उन्हें कुचलने की बात करते हैं, तो कभी वे बहस करने को ललकारते हैं, यानी एक ही व्यक्ति जनता के सामने कुछ और फेसबुक के माध्यम से कुछ और बयान देता है, जरा याद करिये 27 फरवरी को ही खूंटी में आयोजित भाजपा के कार्यकर्ता सम्मेलन में मुख्यमंत्री रघुवर दास ने क्या कहा था? जो रांची से प्रकाशित सारे अखबारों की सुर्खियां बनी थी। उन्होंने साफ कहा था कि “पत्थलगड़ी की आड़ में देश विरोधी शक्तियां सक्रिय है, सरकार इन्हें कुचल कर रख देगी।”
अब सवाल उठता है कि एक ही व्यक्ति, एक ही दिन में, एक ही विषय पर दो प्रकार के बयान कैसे दे सकता हैं? वह भी ऐसा व्यक्ति जो संवैधानिक पद पर बैठा है। कौन हैं राष्ट्रविरोधी व्यक्ति? आखिर मुख्यमंत्री किसे राष्ट्रविरोधी करार दे रहे हैं? और जिसे राष्ट्रविरोधी ही करार दे दिया गया, वह मुख्यमंत्री रघुवर दास से बहस करने क्यों आयेगा? क्या मुख्यमंत्री रघुवर दास को नहीं चाहिए कि जब वे बयान दें या बयान प्रकाशित करें तो उसमें समानता दीखे।
4 मार्च की घटना है। मुख्यमंत्री भाजपा प्रदेश कार्यालय में संवाददाताओं से बातचीत के क्रम में कहा था कि पत्थलगड़ी की आड़ में अफीम का अवैध धंधा चल रहा हैं, और इसे राष्ट्रविरोधी ताकतों का संरक्षण मिल रहा हैं, अब सवाल उठता है कि तीन साल से आप की सत्ता हैं, आप बैठकर क्या कर रहे हैं? आप ऐसे दिनों का इंतजार कर रहे थे कि जब पत्थलगड़ी एक समस्या बनकर उभरेगी, तब हम ऐसा बोलकर स्वयं को मुक्त कर लेंगे, ये तो सरासर गलत हैं।
मुख्यमंत्री को स्वीकार करना चाहिए कि पत्थलगड़ी को लेकर एक्शन लेने में तथा आदिवासी ग्रामीणों से बेहतर संबंध बनाने में तथा विकास योजनाओं को जमीन पर उतारने में उन्होंने बहुत बड़ी भूल की। हमारा मानना हैं कि जितनी रुचि झूठ के हाथी उड़ाने तथा मोमेंटम झारखण्ड में दिमाग लगाया गया, उससे थोड़ा दिमाग ग्रामीणों की समस्याओं को सुलझाने में लगा दिया होता तो तस्वीर कुछ दूसरी होती।
ऐसे भी आपसे पत्थलगड़ी पर बहस करने कौन आयेगा? कौन खुद को बहस करने को आकर स्वयं को राष्ट्रविरोधी करार दिलवायेगा? क्योंकि आपने ग्रामीणों को पत्थलगड़ी विषय पर बहस करने को आमंत्रित तो किया नहीं, आपने तो राष्ट्रविरोधियों को आमंत्रित किया हैं, अब राज्य में कौन राष्ट्रविरोधी है और कौन राष्ट्रप्रेमी? इसे नापने के लिए कौन सा थर्मामीटर इजाद हुआ हैं, ये तो नहीं मालूम, पर इतना तय है कि अभी भी समय हैं, इस मामले को बात-चीत के जरिये, समाधान करने की, नहीं तो समझ लीजिये, झारखण्ड पत्थलगड़ी मामले को लेकर बारुद की ढेर पर बैठा है, इसे सभी को गांठ बांध कर रख लेना चाहिए, क्योंकि पत्थलगड़ी पर जहां सारे राजनीतिक दल और उनके नेता ग्रामीण आदिवासियों के साथ हैं, वहीं भाजपा पूर्णतः अलग-थलग पड़ गयी है। स्थिति ऐसी है कि पत्थलगड़ी तथा नियोजन नीति को लेकर राज्य का युवा, मुख्यमंत्री रघुवर दास से बहुत ही नाराज चल रहा हैं।