युवाओं का बदल रहा मिजाज, मोदी से मोहभंग, 2019 में सत्ता परिवर्तन के मूड में युवा
आप माने या न माने, पर देश के युवाओं का मिजाज बदल रहा हैं। कल तक नरेन्द्र मोदी के बारे में एक भी शब्द नहीं सुननेवाले युवाओं का समूह बहुत तेजी से अपना सुर बदल रहा हैं, आज वह मोदी-मोदी चिल्लाने के मूड में नहीं हैं, उसे अपने परिवार की जिम्मेवारी और बेरोजगारी सता रही हैं। जो सपने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने दिखाये थे, वह पूरा होता नहीं देख, उसे लग रहा हैं कि उसके साथ बहुत बड़ी चीटिंग हुई हैं।
हाल ही में केन्द्र सरकार द्वारा कुछ लिये गये निर्णय, आज के युवाओं के उस धारणा की पुष्टि कर रहे हैं कि देश के युवाओं के साथ बहुत बड़ी चीटिंग हो रही हैं। जैसे हाल ही में रेल विभाग द्वारा बड़े पैमाने पर ग्रुप डी की बहाली के लिए निकाली गई बहाली में पांच सौ रुपये शुल्क की मांग, ग्रुप डी की बहाली में आइटीआइ प्रशिक्षित उम्मीदवार की मांग, ये सब आज के युवाओं की आंखों में धूल झोंकने के प्रयास तथा उनके साथ केन्द्र सरकार द्वारा किये जा रहे क्रूर मजाक का संकेत दे रहे थे।
शायद यहीं कारण रहा कि आज के युवाओं ने बिना किसी राजनीतिक दल एवं बिना किसी छात्र संगठन के सहयोग के, केन्द्र सरकार के खिलाफ पूरे बिहार में सड़कों पर उतरकर एक संदेश दिया। आरा रेलवे स्टेशन पर तो युवाओं ने साफ कह दिया कि वे पकौड़ा तलने या बेचने को तैयार नहीं। खुशी इस बात की है कि रेल मंत्रालय ने स्थिति की गंभीरता को समझा और बहाली के लिए शुल्क में कमी कर दी तथा आइटीआइ प्रशिक्षण की मांग को हटा लिया। कितनी शर्म की बात है कि गरीबों की बात करनेवाली मोदी सरकार, कलक्टर की बहाली के लिए 100 रुपये और चपरासी की बहाली के लिए बेरोजगार बच्चों से बेशर्म की तरह 500 रुपये की मांग कर दी थी।
दूसरी ओर पूरे देश में जो बैंकिंग, रेल सेवा, डाक सेवा में बहाली के नाम पर जो गुंडागर्दी हो रही हैं, परिणाम घोषित हो जाने के बाद भी युवाओं को नियोजन नहीं मिल रहा हैं, वह बता रहा है कि कांग्रेस के शासनकाल और भाजपा के शासनकाल में कोई अंतर नहीं हैं, सभी एक समान हैं, स्थिति वनस्पति जैसी हैं, पैकेट के उपर नाम बदले हैं, और सब में वनस्पति एक ही जैसा हैं। आश्चर्य इस बात की भी है कि बेरोजगारी से जुझते इन युवाओं के लिए एनडीटीवी को छोड़कर किसी चैनल के पास समय नहीं हैं, ये इस देश के लिए और ही दुर्भाग्य हैं।
फिलहाल दिल्ली में कर्मचारी चयन आयोग में व्याप्त धांधलियों के खिलाफ हजारों युवाओं का समूह आंदोलनरत हैं, इन युवाओं ने होली तक नहीं मनाई, पर केन्द्र सरकार में शामिल मंत्रियों के कान पर जूं तक नहीं रेंगी, जब युवाओं के बढ़ते आक्रोश ने तेवर दिखाया, तब जाकर गृह मंत्री का बयान आता है कि वे युवाओं की सभी मांगों को मानने को तैयार हैं। इधर कर्मचारी चयन आयोग के कम्बाइंड ग्रेजुएट लेवल पेपर लीक मामले पर सुनवाई के लिए सर्वोच्च न्यायालय तैयार हो गया हैं, जिससे युवाओं में थोड़ी आशा बंधी हैं, क्योंकि मोदी सरकार ने तो उनके भविष्य से खेलने का बहुत ही अच्छा इंतजाम कर लिया है।
इसी बीच कुम्भकर्णी निद्रा में अब तक सोई केन्द्र सरकार ने छात्रों के सीबीआई जांच कराने की मांग को स्वीकार कर लिया हैं, यानी केन्द्र सरकार ने स्वीकार कर लिया है कि जब तक छात्र सड़कों पर नहीं उतरेंगे, उनकी जायज मांगे नहीं सुनी जायेगी, उनकी बातों को हवा में उड़ा दिया जायेगा।
सरकार की बेशर्मी देखिये, भ्रष्टाचार मुक्त प्रशासन की बात करनेवाली मोदी सरकार का कुकृत्य देखिये। कर्मचारी चयन आयोग की तरफ से फरवरी में आयोजित सीजीएल इक्जाम टियर टू में 189843 प्रतियोगी शामिल हुए। देश में अलग-अलग केन्द्रों में 17 से 22 फरवरी के बीच ऑनलाइन परीक्षा ली गई थी। आरोप यह भी लगा कि ऑनलाइन परीक्षा देने के बाद जब छात्र बाहर आये, तो पता चला कि इसका पर्चा तो सोशल मीडिया पर पहले से मौजूद हैं। सोशल मीडिया पर परीक्षा के लीक हुए पेपर के स्क्रीन शॉट घूम रहे हैं। प्रदर्शन कर रहे छात्र स्क्रीन शॉट के पर्चे लहराकर इंसाफ की मांग कर रहे हैं, पर सरकार और उसका विभाग स्टाफ सेलेक्शन कमीशन सुनने को तैयार ही नहीं था।
छात्र तो आज भी मांग कर रहे हैं कि इस पूरे प्रकरण की सुप्रीम कोर्ट के जज की निगरानी में पेपर लीक की जांच हो, नौ मार्च को होनेवाली परीक्षा स्थगित की जाये, लैब्स की जांच ग्राउंड लेवल पर हो और चयन प्रक्रिया का समय तय हो। दिल्ली में संघर्षरत युवाओं का संघर्ष धीरे-धीरे पूरे देश में फैल रहा हैं, फिलहाल इसकी आग की लपटें बिहार और झारखण्ड में बहुत तेजी से फैल रही हैं, अगर केन्द्र सरकार ने इनके प्रति अपना रवैया नहीं बदला तो स्थिति और बद से बदतर होगी, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को ये बात गांठ बांध लेनी चाहिए।