दुमका नगर परिषद् चुनाव में भाजपा की बढ़ सकती हैं मुश्किलें, कार्यकर्ता नाराज
दुमका नगर परिषद चुनाव में भाजपा ने अध्यक्ष पद पर अमिता रक्षित और उपाध्यक्ष पद पर गरीब दास को मैदान में उतारा है, हालांकि भाजपा ने इनकी उम्मीदवारी तो तय कर दी, पर भाजपा कार्यकर्ता इन्हें पचाने की स्थिति में नहीं और इन दोनों का विरोध भी यहां बड़ी तेजी से प्रारंभ हो गया है, सूत्र बताते है कि बड़ी तेजी से यहां के मतदाता भी अध्यक्ष पद के लिए इस बार निर्दलीय उम्मीदवार के रुप में किस्मत आजमा रही श्वेता झा तथा उपाध्यक्ष पद के लिए निर्दलीय प्रत्याशी बिनोद कुमार लाल की तरफ गोलबंद हो रहे हैं, अगर यहीं स्थिति चुनाव तक रही तो अमिता रक्षित और गरीब दास की जीत की संभावना पर प्रश्न चिहन लग सकता है।
विक्षुब्ध भाजपा कार्यकर्ताओं का कहना है कि भाजपा के वरीय नेताओं ने कार्यकर्ताओं की एक नहीं सुनी और उन पर अपने मन के मुताबिक उम्मीदवार थोप दिये, ऐसे में कोई जरुरी नहीं कि भाजपा कार्यकर्ता इनकी जीत के लिए प्रयास करना प्रारंभ ही कर दें, सूत्र बताते है कि अमिता रक्षित सीटिंग कैंडिडेट रही हैं, और उनकी भी दुमका क्षेत्र में अच्छी पकड़ है, अपने सामाजिक क्रियाकलापों के कारण ये स्वयं अकेले भी चुनाव लड़े तो जीतने की क्षमता रखती है, इनके लिए पार्टी कोई मायने नहीं रखता, हर पार्टी में इनके चाहनेवाले लोग है, जो इन्हें टिकट देने के लिए तैयार बैठे थे, पर इस बार मतदाताओं की नाराजगी ही उनके लिए परेशानी का बड़ा कारण बन गया है।
तुषार मिश्र का कहना है कि अमिता रक्षित के कार्यकाल में उन पर भ्रष्टाचार के कई गंभीर आरोप लगे है, इसलिए जनता इस बार इन्हें अपना प्रतिनिधि चुनेगी, संभावना कम दिखाई पड़ रही है। संतोष गुप्ता का कहना है कि इस बार श्वेता झा के रुप में अध्यक्ष के रुप में उन्हें विकल्प मिला है, देखते है क्या हो सकता है?
निशांत पाठक कहते है कि भाजपा ने स्वार्थ देखा, लेकिन अपनी कथनी से पलट गई, भाजपा नेता हमेशा से ये कहते देखे गये कि कार्यकर्ता पार्टी की जान है, आज बीजेपी ने सीट की लालच में अपने सिद्धांत से मुंह फेर लिया। हो सकता है, अमिता रक्षित अपने बदौलत दुमका सीट निकाल लें, फिर भी यह तो मानना ही पड़ेगा कि भाजपा ने अपने कार्यकर्ताओं को धोखा दिया, दुमका की जनता को इस चुनाव में उचित निर्णय लेना ही चाहिए।