वार्ड 46 की जनता ने सामान्य महिलाओं की घोषित वार्ड से एक आदिवासी महिला को जीत दिला दी
पिछले दिनों नगर निकाय के चुनाव में रांची नगर निगम के वार्ड नं. 46 के मतदाताओं ने गजब का निर्णय लिया, जो पूरे रांची शहर में चर्चा का विषय बन गया। दरअसल सामान्य महिलाओं के लिए आरक्षित इस वार्ड में यहां के मतदाताओं ने यहां से चुनाव लड़ रही आदिवासी महिला रीता मुंडा को जीता दिया, जो आश्चर्य का केन्द्र रहा।
हम आपको बता दें कि यह वार्ड भाजपा समर्थक वार्ड हैं, यहां से ज्यादातर वोट भाजपा को ही मिलते है, पर यहां कई भाजपा कार्यकर्ताओं ने अपनी पत्नियों को चुनाव लड़वा दिया था, जिन्हें सफलता नहीं मिली। पूर्व में चूंकि यह वार्ड आदिवासियों के लिए सुरक्षित था, तब रीता मुंडा इसी वार्ड से निर्वाचित हुई थी। बाद में इस बार यह सामान्य महिलाओं के लिए यह वार्ड घोषित कर दिया गया, ऐसे में लगा कि इस बार रीता मुंडा चुनाव नहीं जीत पायेंगी।
ऐसे भी रीता मुंडा का चुनाव प्रचार इस बार बहुत फीका था, इनके साथ प्रचार-प्रसार करनेवाले कार्यकर्ताओं की भीड़ भी नगण्य थी, पर मतदाताओं ने जैसा कि निर्णय ही ले लिया था कि रीता मुंडा को चुनाव जीताना है। पूर्व में जो भाजपा कार्यकर्ता रीता मुंडा के साथ हुआ करते थे, इस बार उन कार्यकर्ताओं ने रीता मुंडा से किनारा कर लिया था और स्वयं की पत्नी को चुनाव में खड़ा करा दिया, फिर भी रीता मुंडा यहां से चुनाव जीत गई।
कुल मिलाकर देखा जाय, तो इस बार इस वार्ड में देवेन्ती देवी के जीत का लोग दावा कर रहे थे, इसके अलावा इस वार्ड से अनिता वर्मा, पूजा बर्नवाल, निशा सिंह आदि कई महिलाएं चुनाव लड़ रही थी, फिर भी रीता मुंडा का यहां से दुबारा जीतना, वह भी सामान्य महिलाओं की आरक्षित सीट पर जीतना काफी कुछ कह देता है, इसका मतलब है कि लोगों ने जाति-पांति, धर्म-संप्रदाय से उपर उठकर रीता मुंडा को जीताया और यह संदेश दिया कि उम्मीदवार की जाति कोई भी हो, जो काम करेगा, वह जीतेगा, जो जनता के बीच रहेगा, वह जीतेगा, चाहे वह कोई भी हो।