CM या अपने विरोधियों की अगर आप इज्जत नहीं कर सकते तो गाली-गलौज भी न करें
ये भाषा आदिवासियों की नहीं हो सकती और न ही कोई आदिवासी ऐसी भाषाओं को स्वीकार करेगा, या ऐसे लोगों को समर्थन करेगा, जो इस प्रकार की भाषा, अपने विरोधियों अथवा वैचारिक रुप से नहीं मेल खानेवालों के खिलाफ प्रयोग करते हैं। आमतौर पर सार्वजनिक मंचों पर किसी भी आर्गेनाइजेशन या समुदाय या व्यक्ति के खिलाफ कोई भी व्यक्ति आपत्तिजनक अथवा असंवैधानिक शब्दों का प्रयोग नहीं करता, जैसा कि आज आदिवासियों की रैली में मोराबादी मैदान में मंच से कुछ वक्ताओं ने किया।
आज सारी सीमाओं को वे लोग लांघ गये, जो कभी विधायक अथवा मंत्री हुआ करते थे, आज वे अपने विरोधियों के लिए ऐसी भाषा का प्रयोग कर रहे थे, जिस भाषा को हम लिखकर बता नहीं सकते। अब सवाल उठता है कि क्या अब झारखण्ड में लोग गाली-गलौज से एक दूसरे से बात करेंगे? क्या ये अब मान लिया जाये कि अब हमारे पास शब्दों की भारी कमी हो गई, और हम इन कमियों को गाली-गलौज से भरेंगे। इतिहास गवाह है कि गाली-गलौज से आप अपना ही अहित करते है, उसका नहीं, जिनके खिलाफ आप विष-वमन करते हैं।
कमाल है, आये थे, आप अपनी बात कहने और उन लोगों को आप मजबूत करके चले गये, जिनके खिलाफ आपने जी भरकर गालियां दी और अनाप-शनाप कहा। आप ये न भूले कि राज्य का मुख्यमंत्री सिर्फ मुख्यमंत्री नहीं होता, वह पूरे राज्य का प्रतिनिधि है, वो चूनकर आया है, वो संविधान की गरिमा के अनुकूल उक्त पद पर आया है, अगर आप उसकी इज्जत नहीं कर सकते तो आप अपमानित भी न करें।
आप मुख्यमंत्री को गाली देते हैं, आप विधायकों और अधिकारियों को गांव में घूसने नहीं देंगे, की बात करते हैं, आदिवासियों को हिन्दू कहनेवाले को बंगाल की खाड़ी में फेक देने की बात कर रहे हैं, आप वनवासी कल्याण आश्रम को झारखण्ड से निकाल बाहर करने की बात कर रहे हैं, आप हिन्दू पर्व-त्योहारों के खिलाफ विषवमन कर रहे हैं, आप हिन्दू संस्कार अपनानेवालों के खिलाफ आग उगल रहे हैं, आप स्वयं बताये कि ये रैली आपने किसलिए बुलाई थी, यहीं सब करने के लिए क्या? अपनी भड़ास मिटाने के लिए क्या? गाली-गलौज करने के लिए क्या?
आपको नहीं पता कि आज की रैली ने आदिवासियों को कितना अहित कर दिया? जिस-जिसने भी आज की रैली में विभिन्न वक्ताओं के मुख से असंसदीय भाषा तथा एक विशेष समुदाय के खिलाफ अमर्यादित भाषा का प्रयोग सुना है, उसे जरुर ये आभास हो गया होगा कि आप आनेवाले समय में झारखण्ड को कहां ले जाना चाहते हैं?
राज्य की जनता को भी अब संकल्प लेना होगा कि राज्य को बर्बाद करने के लिए जिन-जिन राजनीतिज्ञों ने संकल्प कर रखा है, उसे अब पहचानिये और उनका सामाजिक बहिष्कार करें ताकि झारखण्ड में प्रेम और शांति सदैव बरकरार रहे। हालांकि इन दिनों झारखण्ड में फैली शांति को अशांत करने के लिए लोग काफी सक्रिय है, राज्य सरकार को चाहिए कि अशांति फैलानेवाले ऐसे लोगों पर कड़ी कार्रवाई करें, ताकि फिर कोई पार्टी या दल इस प्रकार का आयोजन कर समाज में वैमनस्यता फैलाने की कोशिश नहीं करें।