सहानुभूति की नैया पर सवार बबीता और सीमा को पराजित करना अब असंभव
झामुमो ने जैसा कि पहले से ही सर्वविदित था, वह उन्हें ही प्रत्याशी बनाई है, जिसकी संभावनाएं थी। जिन प्रत्याशी को चुनाव लड़ने से अयोग्य करार देते हुए जिनकी विधायकी समाप्त करा दी गई, आज उन्हीं प्रत्याशियों की पत्नियां चुनाव मैदान में हैं। इन दिनों झारखण्ड में देखा जा रहा है कि विपक्ष के विधायक जिनके खिलाफ कई मुकदमें चल रहे हैं, उनके मुकदमों को हटाने के लिए राज्य सरकार उतनी रुचि नहीं ले रही, पर जिनके खिलाफ ऐसे-ऐसे अपराधिक मुकदमें हैं, जिनसे पूरे इलाका थर्राता है, उनके उपर चल रहे मुकदमों को सदा के लिए हटा लेने के लिए राज्य सरकार विशेष ध्यान देती है, क्योंकि वह भाजपा से विधायक है, बाघमारा विधानसभा से विजयी भाजपा प्रत्याशी ढुलू महतो उसके प्रत्यक्ष उदाहरण है।
इधर नेता प्रतिपक्ष हेमन्त सोरेन ने स्पष्ट रुप से कहा भी कि यह समय है न्याय और अन्याय में फर्क करने का। जहां एक तरफ भाजपा एवं दलबदल कर आये विधायक गलत कार्य करके भी सुरक्षित है, वहीं विपक्ष के विधायकों का बिन बात विधायकी समाप्त कराई जा रही है, इस निरंकुश एवं अलोकतांत्रिक सरकार के खिलाफ जंग में झारखण्डवासियों से सहयोग की अपेक्षा है।
दूसरी ओर विधायकी समाप्त होते ही जैसे ही चुनाव आयोग ने सिल्ली और गोमिया में उपचुनाव के लिए अधिसूचना जारी की, पक्ष-विपक्ष सभी ने अपने – अपने कमान से तलवारें निकाल ली। आजसू ने तो इस बार अपने सहयोगी भाजपा की औकात ही बता दी, भाजपा का नाक रगड़वा दिया और गोमिया तथा सिल्ली दोनों जगहों से अपने प्रत्याशी उतार दिये। सिल्ली से खुद आजसू सप्रीमो सुदेश महतो चुनाव लड़ रहे हैं और गोमिया से आजसू ने लम्बोदर महतो को मैदान में उतारा है। भाजपा सिल्ली में आजसू सुप्रीमो सुदेश महतो को समर्थन की है, जबकि गोमिया में माधवलाल सिंह को उसने भाजपा प्रत्याशी घोषित किया है।
इसके अलग झामुमो ने गोमिया से बबीता महतो और सिल्ली से सीमा महतो को उम्मीदवार बनाकर भाजपा-आजसू को चुनौती दे दी हैं। गोमिया से बबीता महतो और सिल्ली से सीमा महतो को प्रत्याशी बना दिये जाने से आम जनता की सहानुभूति भी इन दोनों प्रत्याशियों के साथ हैं, जबकि संपूर्ण विपक्ष द्वारा झामुमो प्रत्याशी को समर्थन दे दिये जाने से एक बार फिर आजसू सुप्रीमो को सिल्ली से अपनी जीत सुनिश्चित करा पाना कठिन दीख रहा है। झामुमो कार्यकर्ता भी अपनी जीत सुनिश्चित मानकर, जोश से लवरेज हैं, वहीं भाजपा और आजसू के कार्यकर्ताओं में वो बात नहीं दीखती, फिर भी चुनाव, चुनाव है, ऊंट कब करवट ले लें, कुछ कहा भी नहीं जा सकता, परंतु वर्तमान की जो स्थिति है, वह यहीं कह रही हैं कि सिल्ली-गोमियो में फिर से, झामुमो की जीत पुनः इस बार।