अनैतिक तरीके से प्राप्त सत्ता को चिमटे से भी नहीं छूनेवाली भाजपा, अब ऐसा करना शान समझ रही
किसानों ने आत्महत्या सिर्फ मोदी के शासन में ही नहीं, बल्कि कांग्रेस पार्टी के शासन में भी की है। भ्रष्टाचार केवल मोदी के शासन में ही नहीं, बल्कि भ्रष्टाचार कांग्रेस पार्टी के शासन में भी था। बेरोजगारी केवल मोदी के शासन में नहीं बढ़ी, ये बेरोजगारी कांग्रेस पार्टी के शासनकाल में भी थी। पेट्रोल के दाम केवल मोदी के शासनकाल में नहीं बढ़ रहे, ये कांग्रेस के शासनकाल में भी बढ़ते थे। महंगाई केवल मोदी के शासनकाल में नहीं, बल्कि कांग्रेस के शासनकाल में भी बढ़ते थे। ये जवाब हैं भाजपा नेताओं के, भाजपा कार्यकर्ताओं के, भाजपा के अंधसमर्थकों के। अब जब ये जवाब हैं तो इसका मतलब, ये भी तो नहीं कि भारत की जनता भाजपा को भी कांग्रेस की तरह 60 सालों तक खुली लूट या खुला खेल फर्रुखाबादी की तर्ज पर देश को बर्बाद करने की छूट दे दें।
अरे भाई, लोकतंत्र में पांच वर्षों के बाद चुनाव की प्रक्रिया क्यों अपनाई गई? इसीलिए न, कि अगर जनता को लगे कि कोई सरकार उसके विश्वास पर खड़ी नहीं उतरे तो जनता पांच वर्षों के बाद उक्त दल की सरकार को बाहर का रास्ता दिखाये। अगर कांग्रेस ने गलत किया, जनता के विश्वासों पर खड़ी नहीं उतरी तभी तो जनता ने कांग्रेस से खुद को किनारा कर लिया, और आपको सत्ता सौंपी, और जब आप भी कांग्रेस के तर्ज पर ही शासन करने लगो तो फिर आपने ये कैसे समझ लिया कि देश की जनता आपको भी 60 वर्षों तक झेल ही लेगी।
सच्चाई यह है कि पूरे देश में केन्द्र की मोदी सरकार से लोगों का मोहभंग हो रहा है। लोकसभा के उपचुनावों में भाजपा की करारी हार तथा कुछ राज्य की विधानसभाओं में भाजपा को पूर्ण बहुमत आने का मतलब यह भी नहीं की, आप लोकप्रिय हैं और जनता आप पर विश्वास कर रही हैं, दरअसल राज्य के मसले कुछ अलग होते है, जो केन्द्र से बिल्कुल अलग होते है, आप भूल रहे हैं कि गुजरात में आपको सत्ता में आने के लिए बहुत पापड़ बेलने पड़े और कर्नाटक में तो जनता ने आपको बहुमत से बहुत दूर रखा, पर आप इसे समझने की कोशिश नहीं कर रहे, आपको गलतफहमी है कि सोशल साइट और पूंजीपतियों के टूकड़ों पर पलनेवाले अखबारों व चैनलों के सामने विज्ञापनों के दो टूकड़े फेंककर आप अपने लिए माहौल बना लेंगे। आपको पता ही नहीं कि जिस दिन संपूर्ण विपक्ष ने एक होकर, पूरे देश में एक-एक सीट पर एक-एक उम्मीदवार खड़ा कर दिया तो आपको लेने के देने पड़ जायेंगे।
आप भूल रहे है कि कभी कांग्रेस ने धारा 356 का दुरुपयोग किया। सत्ता पाने के लिए कभी इंदिरा शासनकाल में जम्मू कश्मीर और आंध्रप्रदेश की बहुमत सरकार को राज्यपाल जगमोहन तथा रामलाल के माध्यम से गिरवा दी गई, अनैतिकता के बीज बोये गये, जिसका आज परिणाम है कि कांग्रेस पर आम जनता का विश्वास धीरे-धीरे समाप्त होता गया, आज स्थिति ऐसी है कि कांग्रेस मृत्यु शैय्या पर लेटी है, पर जिस प्रकार के चरित्र आप दिखा रहे हैं, वो साफ बता रहा है कि कांग्रेस में प्राण भी आप ही फूंकेंगे, ये भूल जाइये कि जनता के पास आपका यानी मोदी का कोई विकल्प नहीं, विकल्प दल नहीं देता न नेता देता है, विकल्प तो जनता खुद ब खुद तैयार कर देती हैं।
भाजपावालों को पता ही नहीं कि 13 दिन की अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में वाजपेयी द्वारा विपक्षी दलों को सदन में दिया गया जवाब, कैसे भारतीय जनमानस में छाप छोड़ा जो इतना गहरा था कि उसके बाद हुए लोकसभा चुनाव में अटल बिहारी वाजपेयी को जनता ने बहुमत प्रदान कर दिया, यहीं नहीं तीन लगातार हुए लोकसभा चुनाव में अटल बिहारी वाजेयपी को ही जनता ने चुना। उस वक्त वाजपेयी ने करोड़ों – अरबों रुपये विज्ञापन में नहीं फेंके थे, चरित्र के आधार पर उन्होंने ऐसी करामात दिखा दी।
अटल बिहारी वाजपेयी का ही चरित्र था कि उन्होंने सदन में ताल ठोंककर उस दौरान कहा था कि “पार्टी तोड़ के, सत्ता के लिए नया गठबंधन करना, और इस प्रकार से, अगर सत्ता हाथ में आती है तो मैं ऐसी सत्ता को चिमटे से छूना पसन्द नहीं करता” क्या वर्तमान में भाजपा में कोई ऐसा नेता है, जो ये बात साहस के साथ कह सकें? उत्तर होगा – नहीं, क्योंकि गोवा, नागालैंड की घटना और कर्नाटक ने भाजपा के कांग्रेसीकरण का जनता को सबूत दे दिया। यहीं सबूत बता रहा है कि मोदी कितना भी ताल ठोंक लें, कि वे 2019 में पुनः केन्द्र की सत्ता में सत्तारुढ़ होंगे, मैं कहूंगा कि अब ये कभी संभव नहीं, क्योंकि देश की जनता कभी भी चरित्रहीनों को बर्दाश्त नहीं की है।
मैं 52 साल का होने जा रहा हूं। बराबर अटल बिहारी वाजपेयी और उस समय की शक्तिशाली नेत्री श्रीमती इंदिरा गांधी का भाषण सुना है, पर आज तक एक दूसरे के लिए या एक दूसरे दल के लिए आपत्तिजनक शब्दों का प्रयोग या धमकी भरे शब्दों का प्रयोग नहीं सुना और न ही अखबारों में पढ़ा, पर जिस प्रकार से भाजपा के नेता, उनके समर्थक, उनके कार्यकर्ता, अपने विरोधियों के लिए आपत्तिजनक, असंसदीय भाषाओं का प्रयोग कर रहे हैं, उससे किसी भी व्यक्ति का सर शर्म से झूक जा रहा है।
आखिर हम अपने देश को किस ओर ले जा रहे हैं? क्या हमारे देश के नेताओं की ऐसी ही भाषा होनी चाहिए? क्या अब अपने देश में जनता के बीच झूठ की खेती होगी? कल तक जो मां अपने बच्चों में गांधी, नेहरु और शास्त्री देखने की कोशिश करती थी, क्या वर्तमान में कोई भी मां अपने बेटे में मोदी का चेहरा देखना चाहेंगी? मैं चाय बेचता हूं, मैं गरीब घर में रहा हूं, मैं 18-18 घंटे काम करता हूं, मैंने कभी छूट्टी नहीं ली, ये बताकर आप कहना क्या चाहते है? हमारे बिहार में ऐसी बात करनेवालों को अपनी मुंह मियां-मिट्ठू कहा जाता है, इससे ज्यादा कुछ नहीं।
इस देश में लाल बहादुर शास्त्री जैसा गरीब प्रधानमंत्री कभी नहीं हुआ। सुना हूं कि जब वे पढ़ने जाते थे तो नदी तैरकर पार करते थे, नदी पार करते समय उनके कपड़े गीले हो जाते थे, तब उन्हें सुखाना भी पड़ता था, क्या लाल बहादुर शास्त्री ने अपने भाषण के क्रम में ये बाते जनता को बताई? उत्तर होगा – नहीं, पर आप चाय बेचने की बात, पता नही आप चाय बेचे भी या नहीं, भगवान जाने, लेकिन इतना तो तय है कि आप अपने मुंह मिया मिट्ठू बने हुए हैं।
इधर देख रहा हूं कि 2019 के चुनाव को आया देख, आप बड़ी ही सुनियोजित तरीके से चुनावी प्रबंधन में जुट गये हैं, शिलान्यास कार्यक्रम तथा नये – नये उद्घोषणा प्रारम्भ कर चुके हैं, विभिन्न राज्यों की भाजपा सरकारें आपकी चुनावी प्रबंधन के लिए आर्थिक संसाधन जुटाने में लग गई हैं, उनकी आप जय-जय भी करने लगे हैं, पर जान लीजिये, इस बार जनता धोखा खाने को तैयार नहीं है, क्योंकि उसे विश्वास हो गया कि अब भाजपा में अटल बिहारी वाजपेयी या लालकृष्ण आडवाणी जैसे चारित्रिक गुणों से लैस नेताओं का कोई स्थान नहीं, यहां खांटी गुजराती जिसका नाम मोदी और शाह हैं, उसी की चल रही हैं, बाकी लोग तो मौन साधना में रत हैं। देश हर क्षेत्र में पिछड़ रहा हैं, देश की जनता खुद को ठगी महसूस कर रही हैं, जिस जनता ने अच्छे दिन के स्वपन देखे थे, उसके अच्छे दिन कब लौटेंगे या लौंटेंगे भी नहीं, यहीं सोच-सोचकर भारत की जनता खूंन के आसूं रो रही हैं।