लापता तीन आदिवासी बच्चों को खोज निकालने के लिए पुलिस ने मांगी एक सप्ताह की मोहलत
48 घंटे की अल्टीमेटम खत्म होने के बाद जगन्नाथपुर मौसीबाड़ी से एक ही आदिवासी दंपत्ति के तीन लापता बच्चे को खोज पाने में विफल पुलिसकर्मियों के खिलाफ आज जगन्नाथपुर मौसीबाड़ी के ग्रामीणों में गहरा आक्रोश देखा गया। चूंकि ग्रामीणों ने अल्टीमेटम दिया था कि 48 घंटे के अंदर तीन लापता आदिवासी बच्चों को पुलिस खोज नहीं पाती तो ऐसे में ग्रामीण प्रोजेक्ट बिल्डिंग का वे घेराव करेंगे। अपने किये गये उक्त घोषणाओं के अनुरुप ग्रामीण जुटे, साथ ही ग्रामीणों के साथ प्रदेश कांग्रेस कमेटी, हमारा बचपन ट्रस्ट तथा अन्य सामाजिक संगठनों ने भी इस मामले में सहभागिता दिखाई।
पुलिस के इस आश्वासन पर कि उसे सात दिन की मोहलत दी जाये, वे बच्चे को ढूंढ निकालेंगे, ग्रामीणों ने तीन घंटे तक धरने देने के बाद अपना प्रदर्शन स्थगित कर दिया। प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रवक्ता आलोक कुमार दूबे के नेतृत्व में हजारों की संख्या में मौजूद मौसीबाड़ी के ग्रामीण मुख्यमंत्री के समक्ष प्रदर्शन करने एवं ज्ञापन सौंपने जा रहे थे कि पुलिस प्रशासनिक अधिकारियों ने संपर्क कर प्रदर्शन रोकने का अनुरोध किया एवं कहा कि प्रशासन अगर बच्चों को ढूंढने में नाकामयाब रहे तब आप कुछ भी करने के लिए स्वतंत्र है।
धरना पर बैठे ग्रामीणों के बीच नगर आरक्षी अधीक्षक अमन कुमार लगभग 12 बजे मौसीबाड़ी पहुंचे। उन्होंने ग्रामीणों से अनुरोध किया कि वे एक सप्ताह का समय दें। प्रशासन हर संभव बच्चे की तलाश कर बच्चों को ढूंढ निकालेगा। सिटी एसपी ने बच्चों के माता-पिता से विस्तार से बातचीत की। उन्होंने कहा कि तीन बच्चों का लापता हो जाना सामान्य सी घटना नहीं है। वे समझ सकते है कि लापता बच्चों के माता-पिता पर इस वक्त क्या गुजर रही होगी। हमारा बचपन से जुड़ी सुश्री रीतू खलखो ने कहा कि प्रशासन के अनुरोध पर हम आज विश्वास कर रहे है तो प्रशासन भी इस मामले में गंभीरता दिखाये।
समाजसेवी लक्ष्मी बाड़ा ने कहा कि पुलिस इस मामले में लापरवाही न बरते। प्रशासन की ओर से आश्वस्त होने के बाद ग्रामीणों ने पुलिस को एक सप्ताह का समय दिया और बच्चों को खोजने में मिलकर प्रयास करने का वचन दिया। नगर आरक्षी अधीक्षक ने ग्रामीणों को आश्वस्त किया कि तीनों बच्चे सही सलामत घर आयेंगे।स्थिति की समीक्षा के लिए 20 मई को संध्या 6 बजे से जगन्नाथपुर में फिर एक बैठक होगी।