रांची में पानी और बिजली के लिए हाहाकार, कांग्रेसियों ने रघुवर सरकार को कोसा
रांची में पानी और बिजली के लिए हाहाकार है, पर सरकार कान में तेल डालकर आराम से बैठी है। इस अंधी-बहरी रघुवर सरकार को नींद से जगाने के लिए रांचीवासी आज सड़कों पर उतर गये, वहीं राज्य में बिजली की बदतर स्थिति को देख भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के नेताओं ने ऊर्जा मंत्रालय संभाल रहे मुख्यमंत्री रघुवर दास से खुद इस विभाग से मुक्त होने की सलाह दे डाली।
इधर पिछले एक सप्ताह से पानी की सप्लाई बंद हो जाने के कारण मेन रोड, अशफाक उल्ला चौक, इमारत शरिया लाइन और गुदरी चौक के लोगों ने अपने परिवार के साथ सड़कों पर उतरकर, मेन रोड को जाम कर दिया। मेन रोड के जाम होने से, रांची ट्रेफिक की स्थिति बिगड़ने लगी। सड़क जाम होता देख आनन-फानन में पुलिस पहुंची और क्रुद्ध परिवारों को शांत कराकर विदा किया।
इधर पानी की सप्लाई नहीं होने से लोगों का जीना हराम हो चुका है। खाना बनाने से लेकर नहाने-धोने तक, साफ-सफाई का काम प्रभावित है, इन परिवारों को कहना था कि एक तो रमजान का महीना चल रहा, ऐसे समय में साफ-सफाई ज्यादा महत्वपूर्ण हो जाती है, और ऐसे समय में पानी की सप्लाई बंद हो जाना, दिक्कतों का पहाड़ का सामना करने के बराबर है, पर कोई उनकी सुन नहीं रहा, ऐसे हालात में विकल्प क्या था, आज सड़कों पर उतर कर रोड जाम कर रहे है।
दूसरी ओर कांग्रेस पार्टी के नेताओं का कहना था कि झारखण्ड बने 17 साल हो गये, पर जो हालात बिजली की इस सरकार में हैं, आज तक ऐसी बिजली की दुर्दशा कभी नहीं देखी गई। जीरो पावर कट तो एक तरह से सपना रह गया। कांग्रेसियों का कहना था कि ऐसा नहीं कि आंधी-पानी कोई पहली बार रांची में आया है, ये तो हमेशा होता रहा हैं, पर ऐसी नारकीय स्थिति, और उस पर से सरकार का आंख मूंद लेना शर्मनाक है।
कांग्रेसियों का कहना था कि रिम्स और दूसरे स्वास्थ्य केन्द्रों में बिजली नहीं रहने से लोगों की जिंदगी खतरे में पड़ गई पर राज्य के मुख्यमंत्री, मंत्रियों, विधायकों, सांसदों को तुरंत बिजली उपलब्ध करा दी जा रही है। कांग्रेसियों का कहना था कि आखिर बिजली को ठीक करने की जिम्मेदारी पॉली कैब कंपनी को दी गई है और यह कंपनी जब ठीक काम नहीं कर रही तो फिर सरकार ऐसी कंपनी को बाहर का रास्ता क्यों नहीं दिखाती, आखिर क्या वजह है कि भारी गड़बड़ियों के बावजूद पॉली कैब कंपनी पर सरकार कुछ ज्यादा ही प्यार लूटा रही है।
कांग्रेसियों ने यह भी सवाल उठाया कि आखिर भ्रष्टाचार में संलिप्त एवं दागी अधिकारी पी पी शाह को सरकार टीवीएनएल का एमडी क्यों बनाना चाहती है? वह भी तब जबकि इस पर महामहिम ने भी अपनी आपत्ति दर्ज करा दी है।