पूरे झारखण्ड में सिस्टम फेल, मानदेय नहीं मिलने से पारा टीचर हकीमुद्दीन की बेटी की मौत
धनबाद के बरियो निवासी पारा शिक्षक हकीमुद्दीन अंसारी जिसकी बेटी नुजहत जहां नाज की शादी ईद के बाद होनेवाली थी, उसकी शादी तो नहीं, पर दो दिन पहले उसका जनाजा जरुर निकल गया। हकीमुद्दीन अंसारी और उसकी पत्नी आयशा खातून का रो-रोकर बुरा हाल है, आर्थिक तंगी और घर के हालात कुछ इस प्रकार है कि वह अपनी बेटी का ठीक से इलाज भी नहीं करा पाया।
हकीमुद्दीन अंसारी का कहना है कि पिछले पांच महीनों से उसे मानदेय नहीं मिले, ऐसे में वह घर के सदस्यों के लिए कैसे खाने का इंतजाम करें? कैसे अपनी बेटी का इलाज करायें? वह जैसे-तैसे अपनी बेटी नुजहत नाज को लेकर सेंट्रल हास्पिटल इलाज के लिए गया था, जहां डाक्टरों ने बाहर इलाज कराने के लिए बोला था, पर उसके घर में तो पैसे ही नहीं और न राज्य सरकार ने उसे पांच महीनों से मानदेय ही दिया, ऐसे में वह अपनी बेटी का इलाज कैसे कराता?
हकीमुद्दीन अंसारी और आयशा खातून की बेटी नुजहत नाज, दरअसल सिस्टम की शिकार हुई है। राज्य सरकार तो अपने विधायकों, मंत्रियों तथा खुद के लिए बेहतर इंतजाम कर लेती है, पर उनके लिए जो विभिन्न संस्थानों में वेतन नहीं, सिर्फ मानदेय पर निर्भर है, उसे भी समय पर देने में आनाकानी करती है, जिसका नतीजा सामने हैं, आज पूरे राज्य के करीब 75000 आंगनवाड़ी सेविका/सहायिकाओं की हालत इससे भी बदतर है, वे आज भी विभिन्न जिलों में अपनी मांगों को लेकर हड़ताल पर है, पर सरकार के कानों पर जूं तक नहीं रेंग रही हैं, इधर धनबाद के जिला शिक्षा अधीक्षक विनीत कुमार कहते है कि जैसे ही उनके पास पारा शिक्षकों का मानदेय आयेगा, वे पहुंचा देंगे, अब सवाल उठता है कि पांच महीने तो बीत गये, आखिर कब मिलेगा मानदेय, और अगर मानदेय आ भी गया, तो क्या हकीमुद्दीन अंसारी और आयशा खातून की बेटी भी उस मानदेय के साथ आ जायेगी।
दरअसल यहां तीन प्रकार का सिस्टम चल रहा है, एक सिस्टम हैं कि जो सीधे मुख्यमंत्री/आइएएस/आइपीएस से जुड़ा हैं, जो इससे जुड़ा है, वह सरकारी वेतन पर ऐश कर रहा है, उसे हर प्रकार की सुविधा मिल रही हैं। दुसरा सिस्टम हैं, जो मुख्यमंत्री/आइएएस/आइपीएस से भले ही सीधे न जुड़ा हो, पर सरकारी विभाग के माध्यम से वेतन/पेंशन ले रहा हैं, और तीसरा सिस्टम है जो सरकार का काम तो कर रहा है, पर वह मानदेय पर है, जो कभी भी समय पर पूरा-पूरा नहीं मिला, तो जो तीसरे सिस्टम में हैं, उसकी बेटी या बेटे का हाल हकीमुद्दीन अंसारी और आयशा खातून की तरह हैं, अब आप स्वयं समझिये कि आपको किस प्रकार यह केन्द्र या राज्य की भाजपा सरकार ट्रीट कर रही हैं और कैसे आप इनके सिस्टम के शिकार हो रहे हैं? सवाल आपके पास हैं, जवाब भी आपको ही देना है, 2019 में ज्यादा दिन नहीं है, अभी से गांठ बांधिये और आनेवाले लोकतंत्र के महाचुनाव में ऐसे लोगों को बाहर का रास्ता दिखायें, जिन्होंने आपसे जीने का अधिकार तक छीन लिया है।