हमको माला पहनने के लिए बहुत समय हैं, पर प्रेस क्लब आने और इसके उत्थान के लिए समय नहीं
हमारे पास समय नहीं हैं, हम इतना समय प्रेस क्लब को नहीं दे सकते, केवल महत्वपूर्ण समयों पर जब हमें चीफ गेस्ट बनायेंगे तो चेहरा दिखाने के लिए आ जायेंगे, ये सोच हैं रांची प्रेस क्लब में पदाधिकारी बने कुछ नवनिर्वाचित साहबों का। ये पत्रकारों के वोट से पदाधिकारी बने, पर अब इन्हें पत्रकारों और रांची प्रेस क्लब को कैसे सम्मान दिलाएं, इसके लिए इनके पास समय नहीं हैं। अब सवाल उठता है कि जब आपके पास समय नहीं था, तब आप चुनाव लड़ें क्यों? किसने कहा था चुनाव लड़ने को, अच्छा होता आप चुनाव नहीं लड़ते तो कम से कम लोगों को विकल्प होता, वे अन्य को चुनते, पर आपने सब्जबाग दिखाया और लोगों ने जब आप पर भरोसा जताया तो अब आप नवाबी झार रहे हैं, अच्छा रहेगा कि आप तत्काल अपने पद से इस्तीफा दें ताकि जिनके पास समय हो, वे निर्वाचित होकर, उस स्थान पर जा सकें, जहां आप हैं।
सूत्र बताते हैं कि रांची प्रेस क्लब में आप मात्र तीन ही व्यक्ति को नियमित रुप से आते तथा क्रियाशील रुप में देख सकते हैं, जिसमें प्रथम स्थान रांची प्रेस क्लब के अध्यक्ष राजेश कुमार सिंह, दूसरा स्थान कार्यकारिणी सदस्य संजय रंजन और तीसरा स्थान कार्यकारिणी सदस्य जयशंकर का हैं, इसके बाद यहां क्रियाशील रहनेवालों में कोषाध्यक्ष प्रदीप कुमार सिंह तथा कार्यकारिणी सदस्य सत्य प्रकाश पाठक का नाम ले सकते हैं, और बाकी लोग क्या है? वे खुद समझ लें कि वे क्या कर रहे हैं?
सूत्र यह भी बताते हैं कि महीने में रांची प्रेस क्लब के पदाधिकारियों की दो ही बार बैठक होती है, जिसमें अब तक जितने भी कार्यकारिणी की बैठक हुई, उसमें आज तक कभी भी सभी सदस्यों की उपस्थिति नहीं हो सकी। ले देकर किसी मीटिंग में अगर दस लोग पहुंच गये तो समझ लीजिये बहुत बड़ी बात हो गई, जबकि रांची प्रेस क्लब के गठन हुए मात्र 6 महीने ही हुए हैं, यानी नई-नई कमेटी का ये हाल है। सूत्र बताते हैं कि कई महानुभाव तो इस कार्यकारिणी की बैठक को भी महत्व नहीं देते। स्थिति यह है कि इन सभी कारणों से रांची प्रेस क्लब के उत्थान पर सीधा संकट आ रहा है, क्योंकि अकेला कोई भी व्यक्ति इतने बड़े संस्थान को नहीं चला सकता, फिर भी जिन लोगों ने नियमित रुप से आकर, इस संस्थान को आगे बढाने का बीड़ा उठाया है, उसकी प्रशंसा करनी ही होगी।
सूत्र यह भी बताते हैं कि स्थिति यह है कि यहां लॉग बुक भी नहीं है जिससे यह पता चल सके कि, यहां प्रतिदिन कौन आ रहा हैं? कितने बजे आ रहा है? और कितने बजे जा रहा है? ताकि पता चल सकें, कि रांची प्रेस क्लब में नियमित रुप से आनेवाले पत्रकारों, सदस्यों, कार्यकारिणी सदस्यों, पदाधिकारियों का पता चल सकें। आश्चर्य इस बात की है कि रांची प्रेस क्लब के पदाधिकारी बड़े शान से अन्यत्र जगहों पर ये बताने में बड़ा गर्व महसुस करते है कि वे रांची प्रेस क्लब के फलां अधिकारी है, पर रांची प्रेस क्लब में नियमित आने, इसके उत्थान में समय देने में कोताही बरत रहे हैं, जिसको लेकर नियमित रुप से नहीं आनेवाले तथा समय नहीं देनेवालों के खिलाफ स्वयं रांची प्रेस क्लब के अंदर ही आग सुलग रहा हैं, जो कभी भी भयंकर रुप ले सकता है।
सूत्र यह भी बताते हैं कि जो आज निर्वाचित पदाधिकारी है, शायद ये नहीं समझ रहे है कि आनेवाले समय में इनकी इज्जत का फलूदा बनना तय है, क्योंकि आपका नाम तभी होगा, जब आप कुछ काम करेंगे, नहीं तो आनेवाले समय में आपके ही पत्रकार बंधु आप को किस नजर से देखेंगे, ये समझने की आज ही जरुरत है। फिलहाल रांची प्रेस क्लब की स्थिति को किसी भी प्रकार से ठीक नहीं कहा जा सकता क्योंकि यहां अधिकतर पदाधिकारी और कार्यकारिणी सदस्य रांची प्रेस क्लब के उत्थान के प्रति ईमानदार नहीं दीख रहे हैं, जैसा कि इन्होंने चुनाव के समय वायदे किये थे।