सांप्रदायिक तनाव और ईद को देखते हुए अगले आदेश तक पूरे रांची में निषेधाज्ञा लागू
आज पूरे राज्य में ईद का त्यौहार मनाया जा रहा है। ईद शांतिपूर्वक सम्पन्न हो, इसके लिए रांची प्रशासन ने अपनी ओर से अच्छी तैयारी की है, साथ ही समाज में अशांति फैलानेवाले, असामाजिक तत्वों एवं अपराधिक छवि के लोगों पर रांची प्रशासन की कड़ी नजर हैं। रांची की अनुमंडलाधिकारी अंजलि यादव के अनुसार, चूंकि रांची के नगड़ी, इटकी, ओरमांझी आदि इलाकों में सांप्रदायिक तनाव की स्थिति उत्पन्न हुई है। ऐसे में धारा 144 के तहत प्रदत्त शक्तियों के तहत पूरे रांची में निषेधाज्ञा लागू करना उनके लिए जरुरी हो जा रहा है।
ईद को देखते हुए तथा सांप्रदायिक तनाव उत्पन्न न हो, इसके लिए इस बार रांची प्रशासन की व्हाट्सएप, टिवटर, फेसबुक आदि सोशल साइटों पर भी नजर है। प्रशासन ने यह सुनिश्चित किया है कि अगर किसी ने भी सोशल साइटों का उपयोग भड़काउ भाषण, संदेश, विडियो या ऑडियो अपलोड करने के लिए किया तो उसकी खैर नहीं। ऐसे तत्वों के खिलाफ भादवि की धारा 188 के तहत कार्रवाई की जायेगी।
इसमें कोई दो मत नहीं कि सोशल साइटों ने रांची प्रशासन ही नहीं, बल्कि शांति में विश्वास रखनेवाले आम नागरिकों के जन-जीवन को बुरी तरह प्रभावित किया है, जो सोशल साइटों का उपयोग सांप्रदायिक तनाव फैलाने या शांति को प्रभावित करने के लिए उपयोग करते हैं, जरुरत हैं ऐसे असामाजिक तत्वों पर प्रशासन कड़ाई से पेश आये और इसमें कहीं कोई ढील न हो। ये लोग किसी भी धर्म के क्यों न हो, जैसे ही इनके साथ कठोरता से कार्रवाई होगी, एक मैसेज स्वतः समाज में चला जायेगा, कि अब गलत करनेवालों की खैर नहीं, पर इसके लिए प्रशासन को भी सावधानी बरतनी होगी।
अगर प्रशासन के लोग जूते-चप्पल पहनकर मंदिरों में जायेंगे तो ऐसे लोगों का मनोबल बढ़ेगा और वे अपनी मकसद में कामयाब होंगे। अगर आपने संविधान द्वारा प्रदत्त शक्तियों का सही इस्तेमाल न कर, किसी विशेष वर्ग को उसे गलत करने में ढील देंगे तो ऐसे लोग अपने मकसद में कामयाब होंगे, इसलिए निषेधाज्ञा लागू करने के साथ-साथ रांची प्रशासन यह भी सुनिश्चित करें कि वह ऐसी गलती दुबारा न करें, क्योंकि कहीं भी अगर सांप्रदायिक तनाव उत्पन्न हुए हैं, तो इसके लिए रांची प्रशासन भी कहीं न कहीं, दोषी जरुर हैं।
आम तौर पर देखा जाये तो रांची के लोग अमन पसंद हैं, क्योंकि हाल ही में विद्रोही 24.कॉम ने देखा कि जब पिछले साल दुर्गा पूजा का त्यौहार मनाया जा रहा था, उसी दौरान मुस्लिमों का मुहर्रम भी आ गया, पर हिन्दूओं के दुर्गा पूजा का त्यौहार देखते हुए रांची की सेन्ट्रल मुहर्रम कमेटी ने मुहर्रम को सीमित तरीके से मनाने का फैसला लिया, जिससे दोनों त्योहार शांति पूर्वक गुजर गये। जहां ऐसे लोग हो, वहां पिछले कुछ दिनों से सांप्रदायिक तनाव हो, ये एक प्रकार से रांची के लिए बहुत बड़ा दाग है, शायद इस दाग को मिटाने में बहुत देर लग जाये, फिर भी रांची प्रशासन को चाहिए कि जो लोग अमन पसंद हैं, जिन्होंने रांची को बेहतर बनाने में अमूल्य योगदान दिया, उनकी हौसला अफजाई करें, तथा जिन-जिन ने अशांति फैलाने की कोशिश की, उसे कानून के तहत सजा दिलवाएं, पर क्या ऐसा संभव होगा? इसका जवाब तो रांची प्रशासन ही देगा।