CM जनसंवाद के खिलाफ विधिसम्मत कार्रवाई के लिए सरयू ने CS को लिखा पत्र
झारखण्ड के खाद्य आपूर्ति मंत्री सरयू राय ने राज्य के मुख्य सचिव सुधीर त्रिपाठी को एक पत्र लिखकर मुख्यमंत्री जनसंवाद केन्द्र पर गंभीर आरोप लगाते हुए, चार बिन्दुओं पर ठोस कार्रवाई करने की दिशा में विधिसम्मत पहल करने की बात कही हैं। उन्होंने कहा है कि (1) मुख्यमंत्री जनसंवाद केन्द्र के वित्तीय कार्यकलापों का विशेष अंकेक्षण महालेखाकार द्वारा करा लिया जाये, (2) जो अभ्यावेदन, पत्र के साथ संलग्न है, उन अभ्यावेदन में संलग्न गंभीर प्रकृति के आरोपों की जांच भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो से करा ली जाय, (3) शिकायतकर्ता को समुचित सुरक्षा प्रदान की जाय, तथा (4) मुख्य सचिव के निर्देश पर गठित त्रिसदस्यीय जांच समिति द्वारा दोष सिद्ध व्यक्तियों पर कार्रवाई की जाये।
सरयू राय ने 76 पृष्ठों के अभ्यावेदन के साथ मुख्य सचिव सुधीर त्रिपाठी को जो पत्र दिया है, उसमें मुख्यमंत्री जनसंवाद केन्द्र चला रही कंपनी पर गंभीर आरोप हैं, आश्चर्य इस बात की भी है कि मुख्यमंत्री जनसंवाद केन्द्र चलानेवाली कंपनी पर सीधे मुख्यमंत्री रघुवर दास का वरदहस्त प्राप्त है, जिस कारण इस जनसंवाद केन्द्र चला रही माइका कंपनी पर न जाने कितने गंभीर आरोप लगे, पर उन आरोपों की ओर किसी ने ध्यान ही नहीं दिया और न ही माइका कंपनी को कटघरे में ही खड़ा किया। बताया जाता है कि भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ रहे एक युवक ने सरयू राय का अंत में दरवाजा खटखटाया तथा उनसे इस भ्रष्टाचार के खिलाफ चल रही उसकी लड़ाई में उनका सहयोग मांगा। इसी दौरान उक्त युवक को अब तक कई धमकियां भी मिल चुकी है, पर वह युवक अभी भी डिगा नहीं, उन भ्रष्टाचारियों के खिलाफ अपना अभियान सक्रिय रुप से चलाये जा रहा है। सरयू राय ने अपने पत्र में लिखा है कि जो उन्हें शिकायत मिली है, उसमें स्पष्ट है कि
(1) मुख्यमंत्री जनसंवाद केन्द्र को चलाने के लिए सूचना एवं जनसम्पर्क विभाग झारखण्ड सरकार द्वारा निविदा माध्यम से नियुक्त माइका एजुकेशन प्राइवेट लिमिटेड के पास इस हेतु प्रकाशित निविदा में निर्धारित योग्यता नहीं थी। अतः इनकी नियुक्ति अनियमित है।
(2) निविदा प्रपत्र के मुताबिक इस संस्था की नियुक्ति एक वर्ष के लिए हुई थी। निविदा वर्ष में कार्य संतोषजनक रहने की स्थिति में इन्हें मात्र अतिरिक्त एक वर्ष का अवधि विस्तार देने का प्रावधान था, परन्तु दो वर्ष बीत जाने के बाद भी नई निविदा प्रकाशित नहीं हुई और यह संस्था पूर्ववत् कार्यरत है। इसकी नियुक्ति पहली बार 1 मई 2015 से 30 अप्रैल 2016 तक के लिए हुई और निविदा शर्त के अनुसार इसे 1 मई 2016 से 30 अप्रैल 2017 तक एक वर्ष का अवधि विस्तार दिया गया। इसके बाद मुख्यमंत्री जनसंवाद केन्द्र के संचालन के लिए नई शर्तों के साथ निविदा प्रकाशित की जानी चाहिए थी, पर ऐसा किये बिना ही यह संस्था 1 मई 2017 के बाद अवैधानिक रुप से कार्यरत है और कई तरह का ऐसा वित्तीय लाभ उठा रही है, जिसका प्रावधान निविदा में नहीं था।
(3) इनके कर्मियों से मुख्यमंत्री जनसंवाद केन्द्र के अलावा अन्य कई काम भी संस्था द्वारा लिये जा रहे हैं, जो निजी किस्म के हैं।
(4) यह संस्था जनसंवाद केन्द्र में आनेवाली शिकायतों का निष्पादन अपने स्तर से ही कर देती है, जो नियमानुकूल नहीं है।
(5) यहां कार्यरत महिलाकर्मियों के साथ प्रबंधकों द्वारा अशालीन व्यवहार किया जाता है, इस आशय की जांच करने के लिए मुख्य सचिव के निर्देश पर त्रिसदस्यीय जांच समिति गठित की गई थी। जांच में मुख्यमंत्री जनंसवाद केन्द्र के संचालकों पर लगाये गये आरोप सही साबित हुए, पर कोई कार्रवाई नहीं हुई।
सरयू राय ने कहा है कि 76 पृष्ठों के इस अभ्यावेदन में इन शिकायतों के अतिरिक्त अन्य शिकायतें भी अंकित है, जिनके समर्थन में अभ्यावेदन के साथ प्रमाणिक कागजात संलग्न है। यह संस्था राज्य सरकार के लिए महत्वपूर्ण कार्य कर रही है। यह कार्य आम जनता की शिकायतों के निष्पादन से संबंधित है। एक तरह से यह संस्था विभिन्न विभागों से संबंधित जनशिकायतों का निष्पादन करने में सरकार का सहयोग कर रही है। शिकायतों के निष्पादन के अतिरिक्त यह एजेन्सी फेसबुक, टवीटर एवं अन्य सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर भी सक्रिय है। शिकायतकर्ता ने अपनी शिकायतों के संबंध में प्रमाणिक दस्तावेज संलग्न किया है।
सरयू राय ने कहा है कि प्रथम दृष्टया ये शिकायतें गंभीर प्रकृति की प्रतीत हो रही है और मुख्यमंत्री जनसंवाद केन्द्र के संचालन में व्याप्त अनियमितताओं एवं भ्रष्टाचार की तरफ इशारा कर रही है। सर्वविदित है कि राज्य सरकार द्वारा भ्रष्टाचार के प्रति शून्य सहनशीलता की सार्वजनिक घोषणा की गई है। इस परिप्रेक्ष्य में इन शिकायतों पर ठोस कार्रवाई करना राज्यहित एवं जनहित में उचित होगा। इसके पूर्व भी शिकायतकर्ता उपलब्ध वैधानिक संस्थाओं का दरवाजा खटखटा चुका है, जहां इसकी समुचित सुनवाई नहीं हुई है और इन्हें न्याय नहीं मिला है, इन्हें धमकाया जा रहा है और यह अभियान बंद करने के लिए कहा जा रहा है।