संपूर्ण विपक्ष खूंटी के घाघरा में, पुलिसिया दहशत से पूरा गांव खाली, खेती-बाड़ी ठप
आज संपूर्ण विपक्ष खूंटी के घाघरा गांव में वहां की अद्यतन स्थिति जानने को पहुंचा, पूर्वाह्ण 10 बजे जैसे ही विपक्षी दलों का एक प्रतिनिधिमंडल घाघरा पहुंचा, उसने देखा कि पूरा गांव खाली है, सन्नाटा पसरा है, जो आठ-दस लोग मिले भी, तो वे या तो लाचार है या विभिन्न बिमारियों से ग्रस्त थे। प्रतिनिधिमंडल में शामिल कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ नेता थियोडोर किड़ो ने विद्रोही 24.कॉम को बताया कि गांव के हालात बहुत ही खराब है, गांव में एक भी युवा नहीं है, केवल पांच-छह महिलाएं दिखी, जो लाठी चार्ज के दौरान घायल हो गई थी, जिनके पांव में चोट थे, जो नहीं आ-जा सकती थी।
थियोडोर किड़ो के अनुसार पूरा घाघरा पुलिस छावनी में तब्दील है, करीब 500 पुलिस वहां तैनात है, पुलिसिया दहशत ऐसा है कि कोई अब गांव में रहना नहीं चाहता, फिलहाल बारिश शुरु हो गई है, यहां के लोगों को एक मात्र व्यवसाय कह लीजिये, पेशा कह लीजिये, कृषि ही है, अगर ये पुलिस यहां तैनात रहे, तो किसानी ठप हो जायेगी, ऐसे भी ये भूखे मरते है, किसानी ठप हो जाने से, इनकी और दुर्दशा हो जायेगी।
थियोडोर किड़ो ने विद्रोही 24.कॉम को बताया कि जब उन्होंने घाघरा में एक दो लोगों से बातचीत की, तब उनका कहना था कि पुलिस यहां सबेरे-सबेरे सात या आठ बजे तक आ जाती है, और मार-पीट शुरु कर देती है, ऐसे में यहां कौन रहना चाहेगा। उन्होंने कहा कि अगर सरकार ये सोचती है कि पुलिस बल तैनात कर देने से समस्या का समाधान हो जायेगा तो ये गलत है, जब तक यहां राजनीतिक प्रभुत्व स्थापित नहीं होगा, लोगों से बातचीत नहीं होगी, सकारात्मक सोच के साथ सरकार यहां के ग्रामीणों से बात नहीं करेगी, समस्या का समाधान संभव नहीं हैं, सच्चाई यह है कि यहां पालिटिकल सिस्टम ही फेल है। सरकार को अविलम्ब सारे काम-काज छोड़कर ग्रामीणों से उनके हक में बातचीत की पहल करनी चाहिए, जो बहुत ही जरुरी है।
उन्होंने कहा कि बंदूक की नोक पर जो सोचते है कि समस्या का समाधान कर लेंगे, वे भूल जाये कि बंदूके केवल आग उगलती है, न कि समस्या का समाधान करती है, राजनीतिक खालीपन इतना यहां गहरा गया है कि इसे भरना बहुत ही जरुरी है। उन्होंने कहा कि विपक्षी दलों का प्रतिनिधिमंडल जब खूंटी सर्किट हाउस गया तब वहां के एसपी और उपायुक्त से यहीं कहा कि जितना जल्द हो सके, वहां से पुलिस बल वे हटाएं, जो विकास योजनाएं सिर्फ कागज पर दिखलाई पड़ती है, उसे सही मायनों में जमीं पर उतारें, लोगों को सही समय पर अनाज, इंदिरा आवास, वृद्धावस्था पेंशन तथा सरकार की अन्य योजनाओं का लाभ त्वरित गति से दिलवाएं, तभी सही मायनों में समस्याओं का समाधान होगा।
थियोडोर किड़ो का कहना था कि सरकार और कुछ कारपोरेट हाउस के मीडिया घरानों के लोग जो पत्थलगड़ी को अंसवैधानिक बताने में लगे है, उन्हें नहीं पता कि उनके यहां 40 तरह की पत्थलगड़ी होती है, जिस पर अंगूली उठाना सही नहीं, मीडिया को निष्पक्ष होना चाहिए, भय और दहशत का माहौल बनाने से बचना चाहिए, जरा सोचिये जो लोग इस गांव में आठ-दस लोग बचे भी है, उनकी इलाज के लिए कितने डाक्टर सरकार ने यहां भेजे हैं, और अगर नहीं भेजे हैं, तो आखिर उनके इलाज के लिए सरकार कब डाक्टर भेजेगी? जरुरी है, घाघरा के लोगों के जख्म को भरने की, न कि जख्म पर नमक छिड़कने की।
थियोडोर किड़ो ने बताया कि उन्हें जानकर आश्चर्य लगा कि ग्रामीणों ने बताया कि पुलिस के द्वारा यह बताया गया था कि आज नक्सली लोग आनेवाले हैं, इसलिए गांव खाली कर दो, जरा बताइये, क्या राज्य का संपूर्ण विपक्ष नक्सली है, ऐसा गैरजिम्मेदाराना वक्तव्य कौन फैला रहा हैं, किसको इससे फायदा हो रहा है, सरकार कहना क्या चाहती है, बताना क्या चाहती है, या समझना क्या चाहती है? ये समझ में नहीं आ रहा, फिलहाल संपूर्ण विपक्ष, घाघरा के लोगों के जख्मों को सहलाने, उन्हें भरने का प्रयास किया है, निश्चित ही इसका असर होगा, एक नया माहौल बनेगा, और घाघरा के लोग पुनः हंसी-खुशी से यहां रहेंगे और सरकार अपना सामाजिक व संवैधानिक दायित्वों का निर्वहण करेगी।