यौन शोषण, बच्चों के बेचने में संलिप्तता से, देश में मिशनरियों के साख पर उठे सवाल
पूरे देश में चल रही मिशनरियों द्वारा संचालित विभिन्न संस्थाओं के घिनौने चेहरे धीरे-धीरे उजागर होने लगे हैं, एक के बाद एक घट रही घटनाओं ने सामान्य लोगों को यह सोचने पर विवश कर दिया कि आदमी विश्वास करे तो किस पर करें। मिशनरियों द्वारा संचालित संस्थाओं ने सामान्य जनों के विश्वास पर जो कुठाराघात किया है, वह बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के पक्ष ले लेने से न तो धूलनेवाला हैं और न ही कुछ प्राप्त होनेवाला, क्योंकि सभी जानते है कि राजनीति करनेवाले, अपने-अपने ढर्रे पर राजनीति करते हैं, ताकि उन्हें इनका फायदा मिल सकें।
जरा देखिये, पटना के संत जेवियर स्कूल की दोनों शिक्षिकाएं नूतन जोसेफ और इंदू आनन्द यौन शोषण मामले में दोषी करार दे दी गई। हाल ही में केरल में, अर्थोडेक्स चर्च ने यौन शोषण के आरोप झेल रहे चार पादरियों को बिना लबादा पहने आत्मसमर्पण को कहा है, साथ ही यह भी कहा है कि उन्हें दी गई पादरी की उपाधि वापस नहीं ली जायेगी। लबादा पहनने से वे बेनकाब हो जाते, अतः अपने लबादा की चिंता वे खुद करें। झारखण्ड के ही खूंटी इलाके में पांच महिलाओं के साथ हुए दुष्कर्म में, पादरी अल्फोंस की भूमिका की सर्वत्र आलोचना हो रही है, वहीं मिशनरीज ऑफ चैरिटी रांची से बच्चे बेचने के समाचार ने तो मिशनरियों की चूलें हिला दी।
इसी बीच कैथोलिक बिशप्स कांफ्रेस ऑफ इंडिया के महासचिव बिशप थियोडोर मास्करेन्हास ने आर्चबिशप हाउस, पुरुलिया रोड में पत्रकारों से बातचीत में स्वीकार किया कि अनीमा इंदवार मिशनरीज ऑफ चैरिटी की कर्मचारी है, सिस्टर नहीं, उसने पैसे लेकर एक बच्चा किसी को दे दिया, उसने गलत किया, वे उसकी निन्दा करते हैं पर इसमें मिशनरीज ऑफ चैरिटी धर्मसंघ शामिल नहीं हैं, इसके सभी केन्द्रों की जांच सीडब्ल्यूसी कर चुका है, जिसमें कुछ भी नहीं मिला, 280 बच्चों की बात झूठी है, घटना के आठ दिनों बाद तक किसी को भी गिरफ्तार नहीं किया गया, सिस्टर कोंसीलिया से मिलने तक नहीं दिया गया। कोंसीलिया पर दर्ज प्राथमिकी की प्रतिलिपि के लिए कोर्ट का सहारा लिया गया, तब जाकर सिस्टर से मिलने का मौका मिला, जिसमें कोंसीलिया ने बताया कि उनसे जबरन बयान लिया गया, और हस्ताक्षर करवाया गया। बिशप मास्करेन्हास के अनुसार जो दोषी हो, उसे सजा मिलनी चाहिए, पर पूरे मिशनरीज ऑफ चैरिटी को कटघरे में खड़ा करना सहीं नहीं हैं।
बिशप मास्करेन्हास बताते है कि केन्द्र सरकार, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से उनके अच्छे संबंध हैं, भाजपा की केन्द्र व राज्य सरकारों ने जरुरत के समय उनकी अच्छी मदद की हैं, इसलिए उनकी केन्द्र से कोई शिकायत नहीं, उन्हें संविधान पर पूरा भरोसा है, उन्होंने विदेशी फंडों का कभी कोई दुरुपयोग नहीं किया, जिससे उन्हें किसी से भय खाने की जरुरत पड़े।
इधर भाजपा के वरिष्ठ नेता तथा झारखण्ड के पूर्व प्रभारी रह चुके हरेन्द्र प्रताप सोशल साइट के माध्यम से कहते है कि उत्तर प्रदेश के अखलाक के सवाल पर देश में पुरस्कार लौटाये गये, पूरे देश में जुलूस प्रदर्शन हुए, पर झारखण्ड में टेरेसा की संस्था द्वारा बच्चों के व्यापार और केरल में चर्च के पादरियों और पटना के ईसाई स्कूल सेंट जेवियर के खिलाफ प्रदर्शन नहीं दिख रहा। आज भी देश की संस्थाएं ईसाई जगत की गुलाम है। अधिकतर राजनीतिक दलों के नेताओं, आइएएस/आइपीएस अधिकारियों, व्यापारियों के बच्चे ईसाइयों द्वारा संचालित शिक्षण संस्थाओं में ही पढ़ते हैं। दुमका के क्रिस्टोफर प्रकरण के बाद ईसाई स्कूलों ने बंदी की धमकी दी और लोग झूक गये, उस समय भी अकेली ही उन्होंने विरोध का बिगुल बजाया था।