जो अपने विरोधियों को सम्मान नहीं दे सकता, सुशासन क्या देगा? फिसड्डी झारखण्ड
सिर्फ झारखण्ड के मुख्यमंत्री रघुवर दास ही नहीं, बल्कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की भी बैंड बजाकर रख दी हैं, पीएसी यानी पब्लिक अफेयर्स सेन्टर ने। पीएसी ने जो सुशासन के मामले में जो रैंकिंग जारी की है, उस रैंकिग में झारखण्ड 30 राज्यों में 28 वें स्थान पर हैं, यानी बिहार और मेघालय से सिर्फ उपर, जबकि सुशासन के मामले में केरल जैसे राज्य ने अपनी सर्वश्रेष्ठता सिद्ध की है।
हम आपको बता दें कि इस इंडेक्स को तैयार करने के लिए राज्यों में आधारभूत संरचनाएं, मानव विकास का मूल्यांकन, सामाजिक सुरक्षा, कानून व्यवस्था, महिलाओं व बच्चों के सामाजिक विकास का विशेष रुप से ध्यान रखा जाता हैं और ऐसे हालत में झारखण्ड की जो आधारभूत संरचनाओं, सामाजिक सुरक्षा और कानून व्यवस्था का जो हाल हैं, उसे देखते हुए आप इसे चुनौती भी नहीं दे सकते, हालांकि भाजपाइयों से कौन टकराएं, वे तो किसी को भी चुनौती दे सकते हैं।
आधारभूत संरचनाओं का देखो हाल, रांची की जनता हैं परेशान
जबकि वे खुद ही नहीं बल्कि पूरी रांची पिछले तीन दिनों से अभूतपूर्व बिजली संकट से जूझ रही हैं और यह बिजली संकट कैसे दूर होगा, इसका जवाब सीएम रघुवर दास के पास नहीं, जबकि ऊर्जा मंत्रालय इन्हीं के पास है, पूरे देश में ऊर्जा सप्लाई करने के लिए कोयला उपलब्ध करानेवाला एवं बांगलादेश को बिजली उपलब्ध कराने के लिए एड़ी-चोटी एक करनेवाला झारखण्ड अपनी किस्मत पर रो रहा हैं। झारखण्ड में महिलाओं की स्थिति कैसी हैं? वह आप इसी से समझे, कि यहां दुष्कर्म अब सामान्य सी बात हो गई। सड़क और पेयजल व्यवस्था में तो इसका और बुरा हाल है।
मंत्री बोले कंबल घोटाला, चारा घोटाले से भी बड़ा, फिर भी सीएम रघुवर नहीं देता मंत्री को भाव
राज्य के एक जिम्मेदार मंत्री सरयू राय कई बार विभिन्न प्रकार की गड़बड़ियों पर मुख्यमंत्री रघुवर दास का ध्यान आकृष्ट कराया, पर उनकी कोई सुनता ही नहीं, जरा देखिये हाल ही में मंत्री सरयू राय ने कंबल घोटाला की तुलना, चारा घोटाले से कर दी है, पर उनकी बात हवा में उड़ा दी जाती है, और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और अमित शाह की बात करें तो ये कहेंगे कि विकास देखना हो तो झारखण्ड आइये, कमाल है किन आंखों से इन्हें झारखण्ड में विकास और सीएम रघुवर का विकासात्मक कार्य दिखाई दे जाता है, यहां के लोगों को पता ही नहीं चल रहा।
सीएम रघुवर का प्यारा विधायक ढुलू जिससे हर कोई हैं परेशान
बाघमारा का भाजपा विधायक पूरे धनबाद में अपनी समान्नातर सरकार चला रहा हैं, वह खूलेआम भाजपा सांसद रवीन्द्र पांडे ही नहीं, बल्कि अन्य भाजपा सांसदों-विधायकों के खिलाफ आग उगलता हैं, कोयला व्यवसाय में लगे लोगों को धमकी देता है, कल की ही खबर है कि ढुलू महतो के गुर्गों ने ओरियंटल कंपनी के एजीएम का पैर तोड़ दिया, पर जरा देखिये सीएम रघुवर दास को कोई फर्क नहीं पड़ता।
सीएम रघुवर की अमर्यादित भाषा से नेता ही नहीं, आम जनता भी परेशान, पर पीएम मोदी और अमित शाह हैं बहुत खुश
आश्चर्य यह है कि सीएम रघुवर अपने विरोधियों के लिए जिस भाषा का प्रयोग करते है, उस भाषा को कोई शरीफ व्यक्ति सही नहीं ठहरा सकता, पर क्या किया जाये, प्रधानमंत्री और भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष को उनका यहीं हरकत बहुत पसन्द आता है, यानी एलइडी और अखबारों में छाए रहनेवाले सीएम रघुवर दास के सुशासन की पीएसी ने पोल खोलकर रख दी, झारखण्ड को 28 वें स्थान पर ढकेल दिया, फिर भी इनकी हरकत सुधरनेवाली नहीं।
सीएम रघुवर दास के भाषा को ही लेकर नेता प्रतिपक्ष हेमन्त सोरेन ने आज कड़ी टिप्पणी कर दी। नेता प्रतिपक्ष हेमन्त सोरेन के शब्दों में “मै भी किसी पर पारिवारिक टिप्पणी कर सकता हूं, पर मेरी परवरिश और झारखण्डी संस्कार मुझे इसकी इजाजत नहीं देता, मैं मानता हूं कि जो व्यक्ति सदन में अपनी बातों को नहीं रख सकता, उन पर कटाक्ष एवं राजनीति नहीं होनी चाहिए। मैंने कभी भी कोई भी जांच से मना नहीं किया है, मेरा जीवन एक खुली किताब जैसा है, जो हर एक झारखण्डी जानता है। सदन और राजनीति में बैठे ऐसे लोगों से मैं कहना चाहुंगा कि ओछी राजनीति बंद कर झारखण्ड के असल मुद्दों पर राजनीति करें। अगर आपने वाकई में पिछले चार सालों में काम किया, तो इन ओछी हथकंडों की जरुरत नहीं पड़ती, आपका काम बोलता, और आपको पोस्टरों/एलइडी पर करोड़ों फूंकने की जरुरत नहीं होती।”
झाविमो सुप्रीमो बाबू लाल मरांडी ने भी सीएम रघुवर दास की भाषा को लेकर कड़ी टिप्पणी की है, उनका कहना है कि ”सदन के अंदर जनप्रतिनिधियों का आचरण किस अनुरुप हो, वह तमाम चीजें परिभाषित की गई है। ऐसा कभी प्रतीत नहीं होना चाहिए कि कोई जनप्रतिनिधि उद्दंडता कर सदन की गरिमा को तार-तार कर रहा हैं। सदन के नेता का जो तानाशाही व्यवहार दिख रहा है, वह पूरी तरह अमर्यादित व लोकतंत्र के इस व्यवस्था के विपरीत है। सदन के नेता रघुवर दास ने झाविमो विधायक प्रदीप यादव को सदन के अंदर जो धमकी दी, व इशारों में कई बातें कही कि जेल में सड़ा देंगे, यह पूरी तरह अमर्यादित है। जब सदन के नेता ही मर्यादा को तार-तार करने लगे तो इसे लोकतंत्र के लिए शुभ संकेत नहीं माना जा सकता।”