मनरेगा योजना का कार्ड रहने के बावजूद झारखण्डी बाहर जाकर जान देने को मजबूर
भाकपा माले राज्य सचिव जनार्दन प्रसाद ने मुख्यमंत्री रघुवर दास को प्रेषित आवेदन में पलायन को मजबूर गढ़वा जिले के मारे गये मजदूरों की न्याय की मांग करते हुए कहा कि दो वक्त की रोटी की जुगाड़ के लिए दर-दर भटकते, झारखण्डवासियों को कोई सुरक्षा नहीं मिल रही।
झारखण्ड के गढ़वा जिले के मेराल थाना क्षेत्र के रजो और बाना गांव के चार मजदूर मनरेगा योजना का कार्ड रहने के बावजूद, गांव में काम नहीं मिलने के कारण पलायन को मजबूर हो गये और दो रोटी के लिए आंध्रप्रदेश के कुरनूल जिले के क्रशर-पत्थर खदान में काम करने को मजबूर हुए।
3 अगस्त 2018 को शाम 7.15 बजे हाथी बेलगल गांव स्थित खदान में भयानक विस्फोट की वजह से कई मजदूर मारे गये, इन मारे गये मजदूरों में दो झारखण्ड के गढ़वा जिले रजो और बाना गांव के मुनीप पासवान और कंचन पासवान थे। कई घायल भी हुए, जिसमें इन्हीं गांव के विकास पासवान और दिलीप कुमार साव है।
इतनी भयानक विस्फोट के शिकार मजदूरों के परिवार बदहवास हैं, पर गढ़वा जिला प्रशासन से लेकर पूरा राज्य महकमा, दुर्घटनाग्रस्त परिवार के प्रति अपनी संवेदनशीलता नहीं दिखा रहा, उन तक कोई राहत नहीं पहुंचा रहा, जो शर्मनाक है।
उन्होंने मुख्यमंत्री रघुवर दास से मांग की कि वे अपने स्तर से आंध्र प्रदेश सरकार और क्रशर मालिक से बात कर मृतक परिवार को कम से कम 25 लाख रुपये मुआवजा की गारंटी करवाएं, तथा घायलों को दस-दस लाख रुपये मुआवजा प्रदान करवाएं, साथ ही झारखण्ड से पलायन को मजबूर मृतक मजदूर के परिवारों को झारखण्ड सरकार दस-दस लाख रुपये मुआवजा प्रदान करें।
उन्होंने कहा कि सुरक्षा से खिलवाड़ करनेवाले हाथी बेलगल के पत्थर खदान के मालिक पर हत्या का मुकदमा दर्ज कर कार्यस्थल पर मजदूरों की हुई मौत की न्यायिक जांच भी कराई जाये, तथा जितना जल्द हो झारखण्ड सरकार पलायन को रोकने का प्रबंध करें, ताकि कोई गरीब मजदूर किसी क्रशर मालिक का शिकार न हो सकें और मजदूरों की जिंदगी पर कोई आंच न आये।