शर्मनाकः जो देश के लिए लड़ा, 18 मेडल जीते, उसे SC-ST एक्ट के झूठे केस में फंसा दिया
नोएडा में एससी-एसटी के नाम पर एक अवकाश प्राप्त सैन्य अधिकारी के खिलाफ झूठा केस दर्ज करने का समाचार सामने आया है, यहीं नहीं उक्त रिटायर्ड कर्नल के खिलाफ एससी-एसटी एक्ट के तहत झूठा केस दर्ज कर, उन्हें आनन-फानन में जेल भी भेज दिया गया तथा इसी दरम्यान पुलिसकर्मियों द्वारा उनके साथ दुर्व्यवहार भी किया गया, पर गनीमत यह थी कि सीसीटीवी ने रिटायर्ड कर्नल के खिलाफ लगे झूठे आरोपों की पोल खोल दी, और अंत में जिसने रिटायर्ड कर्नल पर झूठे आरोप लगाए थे, वह स्वयं पूरे परिवार के साथ घर छोड़कर फरार हो गया। जब सेना के अन्य वरिष्ठ अधिकारियों को ये पता चला तो वे आंदोलन पर उतर आये, और स्थानीय पुलिस द्वारा रिटायर्ड कर्नल के साथ किये गये दुर्व्यवहार की कड़ी निन्दा के साथ-साथ स्थानीय पुलिस प्रशासन से झूठा केस वापस लेने की मांग करने लगे।
76 साल के कर्नल वी एस चौहान 1965 एवं 1971 के भारत-पाक युद्ध में भाग ले चुके हैं। युद्ध में वीरता के लिए इन्हें 18 मेडल भी मिले हैं, पर कर्नल वी एस चौहान को क्या मालूम था कि आनेवाले समय में उन्हीं को अपमानित होना पड़ेगा, झूठे केस का सामना करना पड़ेगा और उन्हें सब के सामने से मुंह छुपाकर निकलना पड़ेगा, उन्हें हथकड़ी पहनाकर, चोरों के साथ कोर्ट में ले जाया जायेगा, पर ये हुआ है, उस एससी-एसटी एक्ट के तहत, जिसको लेकर कुछ दिन पहले सर्वोच्च न्यायालय ने फैसले दिये थे।
जिसे लेकर दलित संगठनों ने सड़कों पर उतरकर बवाल काटा और केन्द्र की मोदी सरकार तथा देश की सभी विपक्षी दलों ने दलित वोट हाथ से निकल न जाये, इस भय से एससी-एसटी एक्ट को और इतना कड़ा कर दिया कि अब लोग दलितों से बात करने पर भी दस बार सोचेंगे कि कहीं कोई दलित उन्हें एससी-एसटी एक्ट के झूठे केस में फंसा न दें, क्योंकि इसमें अब अग्रिम जमानत को ही हटा दिया गया हैं, यानी उसने केस किया और आप जेल जाने को तैयार रहे, चाहे आप कर्नल हो या पत्रकार हो या कोई भी सम्मानित व्यक्ति क्यों न हो? आपको अग्रिम जमानत किसी भी हालत में नहीं मिलेगा।
इस कानून के आ जाने से पूरे देश में दहशत का माहौल है, जबकि इसके दुरुपयोग के मामले दिन-प्रतिदिन बढ़ते जा रहे हैं, उसका उदाहरण यह रिटायर्ड कर्नल है, ये तो खैर कहिये कि ये रिटायर्ड कर्नल थे, जहां घटना घटी वहां सीसीटीवी था, और इनके अवकाश प्राप्त सैन्य अधिकारियों का आंदोलन का खतरा स्थानीय प्रशासन को दिख रहा था, जिस कारण रिटायर्ड कर्नल जेल से आज बाहर निकल गये तथा दोषी पुलिस अधिकारियों पर कारर्वाई हो गई, और जिस अपर जिलाधिकारी ने झूठा केस दर्ज कराया था, वह खुद अपने परिवार के साथ फरार हो चुका है। आश्चर्य है कि कर्नल वी एस चौहान के साथ इस दरम्यान पुलिसकर्मियों ने जमकर बदतमीजी की, इन पुलिसकर्मियों को ये भी ख्याल न रहा कि सामनेवाला व्यक्ति कभी देश के लिए दुश्मनों से लड़ा हैं।
कर्नल वी एस चौहान पर एडीएम की पत्नी ने छेड़खानी और एससी-एसटी एक्ट के तहत केस दर्ज कराया था। कर्नल चौहान नोएडा के सेक्टर 29 के एक मकान मे रहते हैं, जिसके ठीक उपर मुजफ्फरनगर के अपर जिलाधिकारी हरीश चन्द्र का परिवार रहता है। हरीश चन्द्र द्वारा किये जा रहे अवैध निर्माण को लेकर, कर्नल की बराबर उनके परिवार के साथ तू-तू, मे-मे होती रही है।
बताया जाता है कि 14 अगस्त को हरीश चन्द्र की पत्नी और कर्नल चौहान के बीच किसी बात को लेकर विवाद हो उठा, जिस पर हरीश चन्द्र अपने गनर और अन्य कर्मचारियों के साथ वहां आकर, कर्नल चौहान से उलझ गये, सीसीटीवी साफ दिखा रहा था कि एडीएम ने कर्नल को मुक्का मारकर जमीन पर गिरा दिया, उस दौरान पार्क में काफी लोग मौजूद थे, तथा इसी बीच हरीश चन्द्र ने अपने रसूख का इस्तेमाल करते हुए, रिटायर्ड कर्नल के खिलाफ झूठा केस भी दर्ज करवा दिया।
जब सैन्य अधिकारियों ने मामले को लेकर आपत्ति दर्ज की, सीसीटीवी दिखाया, पुलिस के वरीय अधिकारियों तक बात पहुंचाई तब जाकर दोषी पुलिसकर्मियों पर कार्रवाई की गई, तथा एडीएम और उसके साथ रह रहे लोगों के खिलाफ हत्या के मामले का केस दर्ज कर लिया गया, गनर और नौकर गिरफ्तार है, जबकि एडीएम और उनका परिवार फरार बताया जा रहा है।
इसी बीच सूचना है कि कर्नल वी एस चौहान को जमानत मिल चुकी है, वे जेल से बाहर आ चुके है, सैन्य के वरीय अधिकारियों ने उनका स्वागत किया है, तथा परिवारवालों ने राहत की सांस ली है, लेकिन एक बात फिर लोगों के जेहन में दौड़ रहा है कि क्या अब कोई भी अनुसूचित जाति या अनुसूचित जन-जाति के लोग किसी भी सवर्ण या पिछड़ी जाति के लोगों को एससी-एसटी एक्ट के तहत झूठे केस में फंसायेंगे और पुलिस उन झूठे केसों के आधार पर बिना-सोचे समझे किसी के इज्जत के साथ खेल जायेंगी, उनके साथ बदसलूकी करेगी।
क्या इससे देश में समरसता बढ़ेगी या दहशत का माहौल कायम होगा, ये तो केन्द्र या राज्य सरकार तथा देश की समस्त राजनीतिक दलों को सोचना होगा? जो दलित वर्ग में बुद्धिजीवी हैं, उन्हें भी यह कांड सोचने पर जरुर ही मजबूर किया होगा, क्योंकि कोई भी कानून समाज में समरसता लाने के लिए हैं, न कि दहशत का माहौल या किसी को झूठे केस में फंसाने का हथियार तैयार करने के लिये।
हमारे विचार से ये भी कानून बनना चाहिए कि अगर किसी ने एससी-एसटी एक्ट का इस्तेमाल झूठे केस दर्ज कराने में किया तो उसे भी कड़ी से कड़ी सजा मिलेगी, ताकि कोई इस एक्ट का गलत इस्तेमाल ही न कर सकें तथा दोनों पक्षों को इस एक्ट का सही लाभ भी मिल सकें, फिलहाल तो इस एक्ट का गलत इस्तेमाल साफ दिख रहा हैं और वह ही इसका गलत इस्तेमाल करनेवाला कोई सामान्य व्यक्ति नहीं, अपर जिलाधिकारी है, जब अपर जिलाधिकारी ऐसा कर सकता है तो अन्य क्या करेंगे, चिन्तन करिये।