दुनिया में सर्वाधिक बुद्धिमान हैं न्यूज 18 में कार्यरत संवाददाता, बाकी सब…
दुनिया में सर्वाधिक बुद्धिमान अगर कोई संवाददाता है, तो वह हैं न्यूज 18 में कार्यरत संवाददाता, इनके जैसा बुद्धिमान संवाददाता, पूरे विश्व में नहीं हैं, ये कुछ भी लिखे, इनकी बातों पर विश्वास कर लीजिये, क्योंकि ये गलत लिख ही नहीं सकते, अगर ये कहते हैं कि 18 पुराणों में ‘शंख पुराण’ और ‘कर्म पुराण’ भी हैं तो बिना किसी संशय के स्वीकार कर लीजिये, क्योंकि ये न्यूज 18 के संवाददाता के द्वारा कहा गया है, क्योंकि ये कभी गलत हो ही नहीं सकते, भले ही अठारहों पुराणों में ‘शंख पुराण’ और ‘कर्म पुराण’ हो या न हो।
जरा देखिये न्यूज 18 के एक प्रधान संवाददाता ने अपने फेसबुक सोशल साइट पर लिखा क्या हैं और इसकी भाषा क्या है? ‘हर ऐरा गैरा, हिन्दू धर्म और अस्थि विसर्जन की व्याख्या न करें। अगर व्याख्या करनी ही हो तो पहले शंख पुराण पढ़ो, कर्म पुराण पढ़ो, अस्थि विसर्जन की वैज्ञानिक व्याख्या पढ़ो।’ जबकि सच्चाई यह है कि पुराण सिर्फ 18 हैं और इन अठारहों पुराणों में कही भी ‘शंख पुराण या कर्म पुराण’ की चर्चा नहीं है।
आश्चर्य है कि इन 18 पुराणों में ‘शंख पुराण या कर्म पुराण’ कही भी नहीं, पर इसी का हवाला देकर, उक्त संवाददाता ने गजब ढा दिया है। देखिये आगे क्या लिखा है ‘इंसान की अस्थियां एवं नदी को वैज्ञानिक रुप से भी जोड़कर देखा जाता है। कहते है कि नदी में प्रवाहित मनुष्य की अस्थियां समय-समय पर आकार बदलती रहती है, जो कहीं न कहीं नदियों से जुड़े स्थान को उपजाऊं बनाती है। हिन्दू का रोम-रोम उसका जीवन ही नहीं, उसकी मृत अस्थि भी मानव, प्रकृति और समाज कल्याणार्थ अर्पित है।’
मैंने ‘कूर्म पुराण’ तो सुना है, देखा भी है, पर कर्म पुराण कभी नहीं सुना और शंख पुराण का तो सवाल ही नहीं उठता। अब सवाल उठता है कि एक पत्रकार द्वारा, वह भी देश का एक प्रतिष्ठित चैनल में कार्यरत संवाददाता, उक्त चैनल का लोगों लगाकर, अपनी बात रखें और किसी के लिए ऐरा-गैरा का इस्तेमाल करें, वो क्या ठीक है? जबकि ऐसे हालात में कि जिस विषय की वह चर्चा कर रहा हैं, उस विषय की उसे जानकारी ही न हो।
आश्चर्य तो तब होता है कि लोग, बिना जाने उक्त संवाददाता की तारीफदारी में, कमेन्टस के पक्ष में वाह-वाह करने लगते हैं, और उसकी बात को सत्य मानकर शेयर भी करने लगते है, क्या ये गलत नहीं, इससे समाज में गलत बातों की जानकारी नहीं जायेगी, लोग दिग्भ्रमित नहीं होंगे और जो इन्हें ऐसा करने से रोके, वे उसका ही मजाक उड़ाने लगेंगे, आश्चर्य है कि ये एक नई संस्कृति का यहां जन्म हो रहा हैं।
हमें याद है कि जब मैं ईटीवी धनबाद कार्यालय में कार्यरत था और उसी दौरान 14 जनवरी को गंगा सागर लाइभ चल रहा था, तभी एक संवाददाता ने एक साधु के माध्यम से कहलवा दिया कि राजा रघु के बेटे भागीरथ ने गंगा को धरती पर लाया, जब हमने इस बात को सुना तो हमें बहुत हंसी आई, फिर स्वयं पर क्रोध भी आया कि कैसे-कैसे लोग भरे पड़े हैं? जो गलत चीजों की जानकारी बड़ी सफाई से देकर, पूरे देश की जनता और आनेवाली पीढ़ी को दिग्भ्रमित कर रहे हैं।
अगर यहीं हाल रहा तो देश में कोई भी हिन्दू धर्म और शास्त्रों के जानकार अब खोजने पर नहीं मिलेंगे, और जो मूर्खों का जमावड़ा होगा, वह विभिन्न चैनलों में बैठकर, मूर्खों की कृपा से अपनी जय-जयकार करा रहा होगा और लोग धर्म के मूल भाव से सदा के लिए कटते जायेंगे। अंत में जान लीजिये, आपको जानना भी चाहिए कि पुराण सिर्फ 18 हैं। जिन्हें वेद व्यास ने लिखा है।
कोल्हान विश्वविद्यालय के संस्कृत विभागाध्यक्ष रह चुके, हिन्दी-संस्कृत के प्रकाण्ड विद्वान डा. सत्य नारायण पांडेय तो साफ कहते है कि, उन्होंने भी किसी जिंदगी में कर्म पुराण या शंख पुराण का नाम नहीं सुना। पुराण तो सिर्फ 18 हैं, जिनके नाम है -1. मत्स्य, 2. मार्कण्डेय, 3. भविष्य, 4. भागवत, 5. ब्रह्माण्ड, 6. ब्रह्मवैवर्त, 7. ब्रह्म, 8. वामन, 9. वाराह, 10 विष्णु, 11. वायु, 12. अग्नि, 13. नारद, 14. पद्म, 15. लिंग, 16. गरुड़, 17. कूर्म, एवं 18. स्कन्द।
बहूत बढ़िया जवाब सर 👌
बड़े चैनल के विद्वान पत्रकार हैं,
कर्म पुराण ही पढ़े होंगे,
और दर्शक मूकदर्शक के रोल में है,
और फेसबुक पर चापलुशी और राजनीतिक वाह वाह है,ऐसे हालात में भी हमें सनातन सत्य और शिव पर पूरा भरोसा है गलती पकड़ी जाएगी और उसे ठीक भी किया जाएगा..और जिसे जो चाहिए उसे वही मिलेगा,जैसे को तैसा, भवानी को भैंसा।।