अपनी बात

जरा सोचिये, जिस राज्य का मुख्यमंत्री एक पीड़ित पिता को भरी सभा में…

जरा सोचिये, जिस राज्य का मुख्यमंत्री एक पीड़ित पिता को भरी सभा में जलील करता हो, क्या उस राज्य की पुलिस, अपना दुखड़ा सुनाने गई जनता के साथ सम्मान से पेश आयेगी?  हमें लगता है कि झारखण्ड की जनता, वो वाकया नहीं भूली होगी कि एक पिता, जिसकी बेटी के साथ अपराधियों ने दुष्कर्म किया और फिर उसकी हत्या कर दी, वह न्याय मांगने सीएम रघुवर दास के पास गया था और उसके साथ सीएम रघुवर दास ने ऐसा बर्ताव किया कि पूरे झारखण्ड का सर शर्म से झुक गया, हद तो तब हो गई कि इस घटना के लिए न तो किसी भाजपा नेता ने माफी मांगी और न ही मुख्यमंत्री रघुवर दास ने और न ही किसी विपक्षी दल के नेताओं ने इस हरकत के लिए सीएम का प्रतिरोध किया…

सीएम कब, किसको, कहां बेइज्जत करेंगे, लोगों को नहीं पता

ऐसे भी झारखण्ड के मुख्यमंत्री रघुवर दास, कब किसको, कहां बेइज्जत कर देंगे, किसी को पता नही रहता, क्योंकि इन्हें कौन सी भाषा का प्रयोग कब और कहां करना है, इन्हें पता नहीं? ज्यादा दिनो की बात नहीं, हाल ही लातेहार में आयोजित पलामू प्रमंडल भाजपा अनुसूचित जनजाति मोर्चा के एक दिवसीय कार्यकर्ता सम्मेलन को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री रघुवर दास ने आक्रामक मुद्रा में कहा कि जो गुमराह करने की कोशिश करें, उसे करारा तमाचा मारें। ये समाचार मुख्यमंत्री के नये-नये पीआर बने अजय नाथ झा ने व्हाट्सअप ग्रुप पर शेयर की थी, आप उस तारीख को व्हाट्सअप ग्रुप आइपीआरडी मीडिया देख सकते है।

ऐसी भाषा सीएम की नहीं हो सकती

क्या आप अपने विरोधियों को तमाचा मारेंगे? ये सीएम की भाषा है। यहीं नहीं 1 अगस्त की ही बात है, मुख्यमंत्री रघुवर दास ने एक अधिकारी को चेतावनी देते हुए कहा कि हम सुप्रीम कोर्ट तक लडेंगे, क्या ये सीएम की भाषा है?  अरे भाई सीएम, सुप्रीम कोर्ट तक नहीं लड़ता, अगर सीएम भी सुप्रीम कोर्ट तक लड़ने लगे तो हास्यास्पद स्थिति हो जायेगी, जैसे दिल्ली के सीएम अरविन्द केजरीवाल की हो रही है। आप को जनता ने सुप्रीम कोर्ट जाकर केस लड़ने के लिए सत्ता नहीं सौंपा है, व्यवस्था को सुधारने के लिए सत्ता सौंपा है, पर आप कनफूंकवों से ऐसे घिर गये कि आपको पता ही नहीं कि क्या बोलना है और क्या नहीं? ऐसे में आप व्यवस्था को क्या चुस्त-दुरुस्त करेंगे।

एक बार तो धनबाद में एक वरीय अधिकारी को ऐसा इन्होंने बेइज्जत किया कि लोग देखते रह गये?  सीएम रघुवर दास के इस हरकत को देख, एक ने उसी वक्त कहा था कि यह भाजपा के नेता, भाजपा के मुख्यमंत्री की भाषा है तो हमें बहुत ही निराशा हो रही है, और इसका परिणाम यह होगा कि लोग भाजपा से दूरियां बनायेंगे। यहीं नहीं मेन रोड में एक भाजपा के कट्टर समर्थक और बड़े-प्रतिष्ठित व्यवसायी ने हमसे कहा था कि उन्हें बड़े दुख के साथ कहना पड़ता है कि, उनके राज्य के मुख्यमंत्री को बोलने की तमीज नहीं।

जब एक पिता को भरी सभा में बेइज्जत किया

हाल ही में, एक पिता, जिसकी बेटी के साथ अपराधियों ने दुष्कर्म किया और फिर उसकी हत्या कर दी, न्याय मांगने के लिए सीएम रघुवर दास के पास पहुंचा, जरा देखिये, सीएम ने उस पीड़ित पिता के साथ कैसी हरकत कर दी। क्या कोई भी व्यक्ति, ऐसे व्यक्ति के साथ, ऐसी हरकत कर सकता है, जैसा कि मुख्यमंत्री रघुवर दास ने किया, अगर नहीं तो हम कैसे मान लें कि इस राज्य की पुलिस आम जनता के साथ बेहतर ढंग से पेश आती होगी। कभी ये बड़े शान से रांची की सड़कों पर होर्डिंग लगवाते है – रघुकुल रीति सदा चलि आई और फिर अपने ही इस चौपाई की बेइज्जत करवा देते है, सीएनटी-एसपीटी उसका ताजा उदाहरण है। कभी ये हाथी उड़वा देते है?  और मजे की बात है कि गलती को भी सही ठहराने में जोर लगा देते है।

यहां कांस्टेबल, नेताओं और पुलिस अधिकारियों के यहां सब्जी ढोने तथा पोते-पोतियों को खिलाने-खेलाने के काम आते हैं

ऐसे में जिस राज्य में थाना प्रभारी कौन बनेगा? इसकी नियुक्ति ही अर्थतंत्र पर विकसित होती हो, वहां  की स्थिति कैसी होगी?  जहां कांस्टेबल की नियुक्ति ही वरीय पुलिस अधिकारियों और नेताओं के यहां सब्जी ढोने तथा उनके पोते-पोतियों को खिलाने-खेलाने के लिए होती हो, वहां बेहतरी की गुंजाइश कैसे होगी? जिस थाने में प्राथमिकी ही आदमी की हैसियत और औकात देखकर दर्ज होती हो, वहां बेहतरी की गुंजाइश कैसे होगी? जिस राज्य का मुख्यमंत्री ही अपनी जनता के साथ ठीक से नहीं पेश आता हो, वहां की पुलिस, शिकायत या प्राथमिकी दर्ज कराने आयी जनता के साथ कैसे पेश आती होगी। जरा झारखण्ड पुलिस की कारगुजारी देखिये –

पुलिसकर्मियों की ऐसी हरकत, मामला सुलझाने का भी शुल्क लेते हैं

सात – आठ महीने पहले रांची के स्टेशन रोड की एक घटना है। हरमू में व्यवसाय चला रहे एक युवक की चार चक्के की गाड़ी और उसके साथ काम कर रहे कर्मचारी की बाइक को नशे में गाड़ी चला रहे एक मारवाड़ी युवक ने ठोक दी, मामला चुटिया थाने पहुंचा। मारवाड़ी युवक के पिता ने प्रभावित युवक से अपने बेटे के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज न कराने तथा मामला सलटाने की अपील की। प्रभावित युवक भी केस-कोर्ट आदि के चक्कर में न उलझने से अच्छा मामला सलटाने में रुचि दिखाई, मामला सलट गया और इस मामला सलटाने का भी अच्छा खासा शुल्क रांची के चुटिया थाना के पुलिस पदाधिकारियों ने मारवाड़ी युवक के पिता से उठा लिया।

क्या बात है?  रांची पुलिस मामला सलटाने का भी शुल्क लेती है और ठीक इसी प्रकार की घटना कुछ महीने बाद कोतवाली थाने के अंतर्गत घटा, इस बार प्रभावित करनेवाला युवक हरमू का था, और प्रभावित होनेवाला परिवार रातू रोड का रहनेवाला और इस बार मामला सलटाने वाला शुल्क किसने लिया, अब भी अगर हमको बताना पड़े तो ये हमारा दुर्भाग्य है, हमारे पास तो रांची पुलिस के कुकर्मों के अनेक उदाहरण है, जिसे देख-पढ़कर आप शरमा जाय। कमाल है –

इन दिनों शिव सरोज प्रकरण पर रांची पुलिस, उसके एसोसिएशन यह कह रहे है कि चुटिया थाना प्रभारी और सिटी डीएसपी निर्दोष है, हो सकते है कि वे निर्दोष भी हो, पर भाई थोड़ा जांच हो जाये तो क्या दिक्कत है?  जांच में क्या निकलेगा? वो तो राज्य की सारी जनता जानती है, वो तो प्रभावित परिवार के लोग भी जानते है,  क्योंकि यहां तो न्याय भी बिकता है, बस वकील बढ़िया होना चाहिए और आपके पास पैसा इतना होना चाहिए कि बहाने में आपको तकलीफ न हो…