बार-बालाओं के साथ डांस करनेवाले बलदेव को मिली सफलता, पत्रकारों का एक वर्ग मायूस
मोतिहारी का पताही प्रखण्ड इन दिनों खुब चर्चा में हैं। चर्चा का कारण यहां के प्रखण्ड प्रमुख पद पर नवनिर्वाचित बलदेव पासवान हैं। इन पर आरोप है कि इन्होंने पताही प्रखण्ड प्रमुख पद पर स्वयं को स्थापित करने के लिए पताही के पंचायत समिति सदस्यों को कुछ दिन पहले नेपाल ले गये, और वहां जाकर बार-बालाओं के साथ डांस किया और मस्ती की। जब इनकी बार-बालाओं के साथ डांस और की जा रही मस्ती का विडियो वायरल हुआ था, तो इस विडियो के आधार पर चुनाव प्रक्रिया को रोकने की मांग की गई थी, पर चुनाव अधिकारियों ने इस मांग को ठुकरा दिया, इसी बीच आज ही चुनाव प्रक्रिया संपन्न कराई गई हैं और बलदेव पासवान प्रखण्ड प्रमुख के रुप में निर्विरोध निर्वाचित कर दिये गये।
लोग बताते हैं कि पताही प्रखण्ड प्रमुख के पद पर पूर्व में अमीरी बैठा नियुक्त थे, जिनकी कुर्सी उस वक्त चली गई, जब वे पिछले दिनों विश्वास मत हासिल नहीं कर सके। बताया जाता है कि पताही प्रखण्ड में कुल 21 सदस्य हैं, जिनमें एक सदस्य के निधन हो जाने के कारण, वर्तमान में घटकर पंचायत समिति सदस्यों की कुल संख्या 20 हो गई, चूंकि अमीरी बैठा विश्वास मत खो चुके थे, इसलिए पुनः इनकी उम्मीदवारी को स्वीकृत करना, वैध नहीं था, जिसके बाद अमीरी बैठा के साथ-साथ नौ सदस्यों ने चुनाव का बहिष्कार कर दिया, और उसके बाद बचे 11 सदस्यों का समर्थन बलदेव पासवान को मिल गया, जिसके कारण बलदेव पासवान पताही प्रखण्ड प्रमुख का चुनाव जीत गये।
सूत्र बता रहे हैं कि इस प्रकरण पर पत्रकारों के बीच जमकर वाकयुद्ध चल रहा हैं। एक पक्ष को बलदेव पासवान के एक महीने पुराने इस विडियों में कुछ भी गलत नहीं दिख रहा, जबकि दूसरे पक्ष को गलतियां ही गलतियां दिखाई दे रही है। मोतिहारी में रह रहे कुछ पत्रकारों का कहना है कि बलदेव पासवान को लेकर जो विडियो वायरल हुआ हैं, वो दरअसल एक महीने पुराना हैं और जो लोग इसमें दिख रहे हैं, वे सभी जनप्रतिनिधि नहीं हैं और ये विडियो जानबूझकर ऐसे समय वायरल किया गया, ताकि बलदेव पासवान प्रखण्ड प्रमुख नहीं बन सकें, यहीं कारण है कि इसे सुनियोजित तरीके से मीडिया के माध्यम से प्रसारित किया गया।
कुछ पत्रकारो का कहना है कि यह वीडियो एक महीने पूर्व यूट्यूब पर भी लोड किया गया था, पर बाद में इसे डिलीट कर दिया गया था, पर अचानक इसका पुनः वायरल हो जाना, समझ से परे हैं। एक का कहना है कि अब जब पत्रकार ही राजनीति करेंगे, तो फिर हो गया समाज का।
कुछ पत्रकारों का कहना है कि कोई व्यक्ति या कोई पंचायत समिति का सदस्य बाहर जाकर, किसी पार्टी या फंक्शन में बाहर जाकर नाचता हैं, या गाता है, तो क्या इससे देश का अपमान हो जाता हैं? पत्रकारों का ये भी कहना है कि क्या बिहार से दूसरे जगह जाकर, लोग भी अपनी मर्जी की जिंदगी नहीं जी सकते, आखिर एक माह पुराना विडियो चलाकर पत्रकारों ने समाज को क्या संदेश दिया? जबकि दूसरा पक्ष इसे गलत मानते हुए, अपने चैनलों में स्थान दे रहा है कि चूंकि संबंधित व्यक्ति एक जन-प्रतिनिधि हैं, इसलिए जनप्रतिनिधि को ऐसा करना शोभा नहीं देता।
सच्चाई यह है कि एक पताही प्रखण्ड के प्रखण्ड प्रमुख पद पर नियुक्त व्यक्ति में किसी को एमएलए या सांसद दीख सकता हैं, पर ये मामला इतना भी बड़ा नहीं था, कि जिसे बतंगड़ बनाया जा सकता था, पर चूंकि बिहार में हर छोटी-छोटी बातों को बतंगड़ बनाने की कला अब पत्रकारों को रास आने लगी हैं, सच्चाई यह भी है कि अगर इन्हीं पत्रकारों के मोबाइलों की सहीं-सहीं अचानक जांच हो जाये, तो कई इसमें समाज के सामने नंगे हो सकते हैं, पर क्या किया जाय? सभी को दूसरे में ही गलतियां या छेद ज्यादा दिखाई दे जाता हैं।