महिला शिक्षक के साथ प्राचार्य का आपत्तिजनक फोटो, छात्र गुस्से में, प्रभात खबर ने छात्रों के आंदोलन पर लगाया प्रश्नचिह्न
देवघर में इन दिनों छात्र आंदोलन पर उतारु है। ये आंदोलन उन्होंने शुरु किया है, एक फोटो के वायरल होने के बाद। आखिर फोटो में क्या है? फोटो में एएस कॉलेज के प्राचार्य डा. फणिभूषण यादव को बीएड कॉलेज की एक शिक्षिका के साथ आपत्तिजनक में देखा गया है। इस आपत्तिजनक फोटो को देखने के बाद छात्रों का कहना है कि इससे कॉलेज की मर्यादा व उसके सम्मान को गहरा ठेस पहुंचा है। छात्रों का समूह इस आपत्तिजनक फोटो के वायरल होने के बाद प्राचार्य की बर्खास्तगी की मांग कर रहा है।
दूसरी ओर वायरल हुए इस फोटो के बाद प्रिंसिपल का कहना है कि फोटो में दिख रही महिला, उनकी बेटी के समान है, जबकि इस फोटो को लेकर अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद् व पूर्व छात्र संघों में गहरा आक्रोश देखा जा रहा है। कल यानी शनिवार को अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के बैनर तले जिला संयोजक सौरभ पाठक के नेतृत्व में कार्यकर्ताओं ने कैंपस में ही प्राचार्य का पुतला फूंका, आर्ट्स ब्लॉक में तालाबंदी कर दी, साथ ही मांग की कि प्राचार्य को अविलम्ब पद से हटाया जाय, वरना परिषद् कॉलेज में अनिश्चितकाल के लिए तालाबंदी कर देगी।
उधर सिदो-कान्हू मुर्मू विश्वविद्यालय दुमका के पूर्व छात्र संघ के विश्वराज सिंह के नेतृत्व में प्राचार्य डा. फणिभूषण यादव का पुतला फूंका गया। विश्वराज सिंह ने कहा कि एएस कॉलेज के प्राचार्य का बीएड कॉलेज की एक शिक्षिका के साथ आपत्तिजनक फोटो शर्मसार करनेवाली है, कॉलेज की एक स्वच्छ छवि पर यह एक काला धब्बा है।
इधर इस पूरे प्रकरण पर देवघर से प्रकाशित ‘प्रभात खबर’ ने ‘आखिर इस आंदोलन का क्या मतलब है’ नामक हेडिंग से एक छोटा सा अपना मंतव्य प्रकाशित किया है। प्रभात खबर का कहना है कि इस मामले में महिला शिक्षिका ने अपनी शिकायत दर्ज कराने आगे नहीं आयी है, अगर तस्वीर पर कोई आपत्ति थी तो महिला शिक्षिका को आगे आना चाहिए था, लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं हुआ हैं, प्रिंसिपल भी पहले कह चुके है कि फोटो में दिख रही महिला मेरी बेटी के समान है। आखिर इस आंदोलन का क्या मतलब है, पुतला दहन से लेकर कॉलेज को बंद कराया गया, पठन पाठन प्रभावित रहा, इससे किसको फायदा हुआ, यह लोगों के समझ से परे है।
जबकि यहीं ‘प्रभात खबर’ अपने समाचार में ‘आपत्तिजनक फोटो’ जैसे शब्दों का प्रयोग भी कर रहा हैं। कमाल है, खुद मान रहा है कि फोटो, आपत्तिजनक हैं और दूसरी ओर छात्रों के आंदोलन को कटघरे में रखने का प्रयास भी कर रहा हैं, अब ऐसे संपादक और ऐसे अखबार को क्या करना चाहिए? जनता ही इस पर राय दें तो बेहतर होगा, हालांकि इस पूरे प्रकरण ने उक्त कॉलेज के प्रिंसिपल की हालत पस्त कर दी है, जबकि फोटो में शामिल महिला, इस पूरे प्रकरण पर चुप्पी साधने में ही ज्यादा बुद्धिमानी दिखाई है।