शर्मनाक, भाजपा कार्यकर्ता निशिकांत का पैर धोकर, जल पी गया, पर सांसद ने उसे रोका नहीं
ये निशिकांत दूबे है, ये गोड्डा से सांसद है, इन्हें हाल ही में सर्वश्रेष्ठ सांसद का खिताब भी मिलनेवाला हैं, क्योंकि घोषणा हो चुकी है, जरा देखिये इस व्यक्ति को कैसे अपने फेसबुक पर गर्व से फोटो डालकर ये घोषणा कर रहा है कि ‘आज मैं अपने आप को बहुत छोटा कार्यकर्ता समझ रहा हूं, भाजपा के महान कार्यकर्ता पवन साह जी ने पुल की खुशी में हजारों के सामने पैर धोया व उसको अपने वादे पुल की खुशी में पिया।’
मैं एक सवाल सामान्य नागरिक से पूछना चाहता हूं और यहीं सवाल भाजपा के शीर्षस्थ नेताओं से कि क्या आज के युग में किसी से पैर धुलवाना और उस पैर से धूले जल को किसी व्यक्ति को पीने देना, सही हैं या अमानवीय कृत्य है? दूसरा सवाल क्या एक सांसद को ऐसा करने से रोकना नहीं चाहिए, जब कोई व्यक्ति उसके पैर से धूले जल को, उसी के सामने पीने की कोशिश करें, क्या एक सांसद को इस बात का ढिंढोरा पीटना चाहिए कि एक व्यक्ति ने अपने वायदे के अनुरुप हजारों के सामने उसका पैर धोया और उस पैर से धूले जल को सभी के सामने पिया। क्या इस मानवीय कृत्य के लिए कोई भी व्यक्ति सांसद को माफ कर सकता है।
जरा इस आलेख में दिये गये चित्र को ध्यान से देखिये, क्या निशिकांत दूबे, भगवान राम हो गये, क्या निशिकांत दूबे भगवान कृष्ण हो गये कि उनके चरण सब के सामने धोए जायेंगे और उनके चरणोदक को कोई पीयेगा? इस प्रकार की सोच साफ बताती है कि आज भी हमारे समाज में सामंतवादी विचारधारा के लोग हैं, जो चाहते है कि लोग सदैव इसी प्रकार से उनके पांव धोते रहे और वे अपने पांव से धूले जल को उन्हें पिलाते रहे।
हमारा स्पष्ट विचार है कि जैसे ही पवन साह ने ऐसा करने की कोशिश की थी, सांसद को उसे ऐसा करने से रोकना चाहिए था, पर सांसद ने उलटे उससे हजारों के बीच पांव धुलवाएं और पवन साह ने उसी के सामने पैर से धूले जल को पीया, जो शर्मनाक हैं, अमानवीय है, इस कुकृत्य के लिए क्षमा नहीं है, हमारे विचार से जनहित में उक्त सांसद के खिलाफ एक प्राथमिकी तो स्थानीय थाने में जरुर दर्ज करना चाहिए और जो लोग ऐसे कुकृत्यों को समर्थन करते हैं, उन्हें भी दंडित करना चाहिए तथा उनके खिलाफ भी प्राथमिकी दर्ज करना चाहिए।
हमें इस बात की खुशी है कि खुद निशिकांत दूबे के इसी पोस्ट पर कई लोगों ने इसकी कड़ी आलोचना करते हुए, इस कांड की तीव्र निन्दा की हैं, क्या भाजपा वाले इस कांड की तीखी आलोचना करेंगे, या विपक्ष इस कुकृत्य की आलोचना करेगा, या मुंह ताकता रह जायेगा, कि पवन साह ने वायदा किया और उसने वायदा निभाया, इसलिए कुछ गलत नहीं, अगर विपक्ष में ऐसी सोच पनपती है, तो समझ लीजिये, यह देश और इस प्रांत के लिए, इससे बड़ा दुर्भाग्य दुसरा कुछ हो ही नहीं सकता।