आज रक्षाबंधन के अवसर पर राखी बांधने के समय बहन अपने भाई को यह जरुर बताये
रक्षाबंधन कोई सामान्य पर्व नहीं, यह सीधे राष्ट्र की रक्षा से भी जुड़ा हैं, इसलिए बहन जब आज अपने भाई की कलाई पर राखी अथवा रक्षासूत्र बांधे तो उनसे राष्ट्र रक्षा का भी संकल्प लें, क्योंकि आज जो देश की स्थिति है, वह किसी भी प्रकार से ठीक नहीं लग रही।
देश के अंदर नालायक नेताओं और उनके नालायक बेटे-बेटियों-बहुओं, पत्नियों और उनकी प्रेमिकाओं, नक्सलियों, वामपंथियों, नरपिशाचों और म्लेच्छों ने जो परिस्थितियां पैदा कर दी है, वह बेहद खतरनाक है, वहीं दूसरी ओर चीन जो हमारी अज्ञानता और देशभक्ति के अभाव में हमारी ही पैसों से सबल होकर, हमारे ही खिलाफ, हमारी ही सीने पर बंदूकें तान दी है, ऐसे में हमारी बहनों का पहला और अंतिम संकल्प होना चाहिए कि वे अपने प्यारे भाइयों को रक्षासूत्र बांधते हुए बताये कि हमें क्या करना है और क्या नहीं करना है?
ये कार्य जितने सुंदर ढंग से बहनें कर सकती है, वह दूसरा कोई नहीं कर सकता। बहन का आशीर्वाद आज भाई के लिए रक्षा का ढाल बनेगा और भाई की तलवार, शक्ति और ये जब दोनों मिलेंगे तो फिर एक ऐसी महाशक्ति का भारत में उदय होगा, जिससे बच पाना किसी भी राष्ट्रद्रोहियों के लिए नामुमकिन हैं।
आश्चर्य की बात है कि जिस वंदे मातरम् गीत पर आजादी के समय लोग फांसी पर झूल जाते थे, आज उस वंदे मातरम् को लोगों ने विवादास्पद बना दिया है, वह भी स्वतंत्रता के 70 साल बाद, यानी जिसे पता ही नहीं कि वंदे मातरम् क्या है? जो धर्म के मूल स्वरुप को ही नहीं जानते है, वे वंदे मातरम् पर सवाल उठा रहे है, ये हैं आज के भारत की स्थिति? ऐसे में जो लोग वंदे मातरम् को विवादास्पद बनाते हैं, उससे देश की सुरक्षा की सोच रखना भी मूर्खता है, क्योंकि इनका काम भारत की सुरक्षा नहीं बल्कि भारत पर एक सुनियोजित ढंग से कब्जा करना है, ताकि यहां दूसरे लोग कालांतराल में रह ही नहीं सकें, केवल वहीं रहे जिन्हें वंदे मातरम गाने से परहेज हो।
कितने शर्म की बात है हजारों वर्षों तक गुलाम रहने के बावजूद भी हमने यह नहीं सीखा कि हमें क्या करना है? क्या कोई भी देश अपनी स्वतंत्रता और मजबूती को कमजोर कर हमें बेहतर बनाने की कोशिश करेगा? उत्तर होगा – नहीं। जरा सोचिये, आप चाहेंगे कि आपका पड़ोसी आपके पैसों से शक्तिशाली हो जाये, गर नहीं तो फिर आपने ये कैसे सोच लिया कि जो चीनी सामग्री खरीद रहे है, उससे आपके घर में खुशहाली हो जायेगी। अरे सरकार की अपनी मजबूरियां होती है, हम तो मजबूर नहीं। हम अपनी जरुरतों को कम करें, परमावश्यक वस्तुओं पर ही ज्यादा ध्यान दें और आरामदायक तथा विलासिता संबंधी वस्तूओं पर थोड़ा ध्यान कम दें, फिर देखे कि यह देश कितनी तेजी से बढ़ता है। हद हो गई हम दीपावली के दीये और भगवान गणेश – लक्ष्मी की प्रतिमा के लिए भी चीन के उपर आश्रित हो गये, इससे बड़ा दुर्भाग्य और क्या हो सकता है?
सच्चाई यह है कि हमने अपनी ताकत, अपने गुण को नहीं पहचाना, अपनी देशभक्ति पर ध्यान नहीं दी और अब ये दिन आ चुका है कि हम अपनी ताकत, अपने गुण को पहचाने और पूरे विश्व को दिखा दें कि हमसे बढ़कर कोई नहीं, इसलिए आज बहन जब अपने भाई की कलाई पर राखी बांधे तो यह संकल्प लेकर बांधे कि उसका भाई राष्ट्र की रक्षा में अपना सर्वस्व बलिदान करेगा और बहन उसके साथ होगी। वह देश के अंदर और बाहर दोनों ओर से भारत की संप्रभुता की रक्षा करेगा। वह देश के अंदर रह रहे नालायक नेताओं और उनके नालायक बेटे-बेटियों-बहुओं, पत्नियों और उनकी प्रेमिकाओं, नक्सलियों, वामपंथियों, नरपिशाचों और म्लेच्छों से भी भारत की रक्षा करेगा। वह स्वदेशी वस्तुओं का प्रयोग करेगा। भारत की ओर आँख दिखानेवाले शत्रुओं को भी मार गिरायेगा।