अपनी बात

शास्त्रीजी के जन्मदिन पर किसानों पर लाठी चले, आंसू गैस के गोले दागे जाये, तो ये दुर्भाग्य ही है

आज देश के सर्वश्रेष्ठ, बहुत ही प्यारे-न्यारे, चरित्रवान् हमारे लाल बहादुर शास्त्री जी की जयन्ती है, जिन्होंने नारा दिया था – जय जवान, जय किसान, और देश का दुर्भाग्य देखिये, दिल्ली-यूपी सीमा पर जवान और किसान आमने सामने हैं। किसान अपनी समस्याओं को लेकर, अपनी पूर्व सूचना के अनुसार दिल्ली कूच करना चाहते हैं, पर उन्हें जवानों के द्वारा दिल्ली में प्रवेश करने नहीं दिया जा रहा, सरकार के आदेश से, ये जवान किसानों को दिल्ली जाने से रोक रहे हैं, इसके लिए वे लाठी चार्ज भी किये है, आसूं गैस के गोले भी छोड़ रहे हैं, पर किसान डटे है।

चूंकि हमारे देश में किसानों-मजदूरों के नाम पर खुब राजनीति चलती है, इसलिये यहां भी राजनीति शुरु हो गई, उसका अंदाजा आप इसी से लगाइये कि जब कोई दल सत्ता में होता है तो उसे किसानों-मजदूरों की सुध नहीं होती, पर जैसे ही विपक्ष में होता है, उसे किसानों-मजदूरों की चिन्ता सताने लगती है, आज जो कुछ भी दिल्ली सीमा पर किसानों के साथ हुआ, उसे लेकर समाजवादी पार्टी के नेता अखिलेश यादव, आम आदमी पार्टी के नेता अरविन्द केजरीवाल, कांग्रेस के राहुल गांधी समेत देश की सभी राजनीतिक पार्टियों ने भाजपा सरकार की खिंचाई कर दी।

सारे राजनीतिक दलों द्वारा केन्द्र सरकार की खिंचाई होता देख, कहीं इसका सारा राजनीतिक श्रेय विपक्षी पार्टियां न ले जाये, केन्द्र सरकार हरकत में आई और किसानों की समस्याओं के समाधान का पहल गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने किया, तथा किसानों से बातचीत करनी शुरु की, पर इसी बीच जो किसानों के साथ हुआ, वह शर्मनाक ही कहा जायेगा? आखिर हमारी सरकार, ये क्यों नहीं जानने की कोशिश करती कि देश के किसान और जवान, ये वो दो आत्मा है, जिससे भारत सुरक्षित है और इन्हें समझने की कोशिश अगर किसी ने की तो वे थे देश के पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री, पर लाल बहादुर शास्त्री के इस नारे को भी आज के दिन भूला देना, क्या बताता है?

आप क्यों भूल जाते है कि जिस नेता का आप जन्मदिन मना रहे है और उस नेता के ही आदर्शों का आप उस दिन खून करेंगे तो उसका खामियाजा देर-सबेर आपको भुगतना ही पड़ेगा, क्योंकि सत्ता सर्वदा एक खूंटे में बंधकर कभी रही ही नहीं, दिल्ली में जो कुछ भी आज हुआ, उसको देखने की आशा किसी भी भारतीय नागरिक ने नहीं की, आखिर किसानों को दिल्ली आने का ऐलान क्यों करना पड़ा?  अगर उनकी समस्या दिल्ली आने से पूर्व ही सुलझा ली गई होती तो वे दिल्ली कूच क्यों करते, एक ओर आप उन्हें दिल्ली आने पर मजबूर भी करें और जब वे पहुंच जाये तो उन्हें रोकने की कोशिश करने के चक्कर में लाठी चार्ज करवा दें, उन पर आंसू गैस के गोले छोड़े, ये बात कुछ पची नहीं, नरेन्द्र मोदी जी। संभलिये और संभालिये, खुद को, कहीं आप भूल तो नहीं रहे कि 2019 में लोकसभा के चुनाव है और उसके पूर्व राजस्थान, छत्तीसगढ़ और मध्यप्रदेश में विधानसभा चुनाव का ट्रेलर दिखाने के लिए जनता बेताब है।

आखिर किसानों की मांग ही क्या है? यहीं न कि 60 साल आयु के बाद पेंशन (नेता सिर्फ एक बार, वह भी, कुछ ही समय के लिए विधायक, सांसद बने, वह भी बिना चुनाव लड़ें तो उन्हें पेंशन और देश के लोगों का पेट भरने के लिए दिन-रात लगा किसान, सीमा की सुरक्षा में लगे जवान को पेंशन क्यों नहीं, ये तो बेशर्मी है), पीएम फसल बीमा योजना में बदलाव, गन्ने की कीमतों का जल्द भुगतान, कर्जमाफी, सिंचाई के लिए मुफ्त बिजली, किसान क्रेडिट कार्ड पर ब्याज मुक्त लोन, आवारा पशुओ से फसल का बचाव तथा सभी फसल की पूरी तरह खरीद हो, इसमें गलत क्या है? ये तो उनकी जायज मांग है, माननी ही चाहिए, पर ये क्या इसमें भी राजनीति, सत्ता में रहो तो इनकी समस्याओं को भूल जाओ और सत्ता से बाहर रहो तो किसानों की समस्याओं को जायज बताओ, ये तो निर्लज्जता है।