राजनीति

जयंत की प्रतिमा पर अवसरवादी नेता सुदेश महतो को माल्यार्पण करने का अधिकार नहीं – भाकपा माले

भाजपा के कट्टर समर्थक व भाजपा नेताओं के साथ कदम से कदम मिलाकर चलने का मन में भाव रखनेवाले आजसू नेता सुदेश महतो इन दिनों स्वराज अभियान यात्रा पर है। उन्होंने इसकी शुरुआत हजारीबाग के हेसालौग गांव से की है। दरअसल झारखण्ड के सारे राजनीतिक दलों को इस बात का आभास हो गया है कि राज्य में विधानसभा का चुनाव भी लोकसभा चुनाव के साथ कराया जा सकता है, इसलिए सभी अपनी-अपनी श्रेष्ठता सिद्ध करने के लिए राज्य की जनता को अपने पक्ष में करने का काम प्रारम्भ कर दिया है, ये अलग बात है कि किसी पार्टी को इसका फायदा मिल रहा हैं तो कोई लाखों-करोड़ों खर्च करने तथा पत्रकारों व अखबारों-चैनलों को खरीदने के बावजूद भी वह काम नही कर पा रहा, जिसकी उसे उम्मीद है।

झारखण्ड में एकमात्र आजसू ही ऐसी पार्टी है, जो यहां किसी की भी सरकार रही, सत्ता में शामिल होकर, अपना कायाकल्प करती रही है, ये अलग बात है कि आजसू के पूर्व की हरकतों से आजिज, भाजपा ने इस बार, आजसू की सारी हेकड़ी निकाल दी, जब उसने झारखण्ड विकास मोर्चा के दलबदल में माहिर 6 विधायकों को अपनी पार्टी में मिला लिया और भविष्य में रोज-रोज की ब्लैक मेलिंग से स्वयं को उबार लिया, नहीं तो ब्लैक मेलिंग का धंधा चलता रहता और भाजपा सरकार आजसू के इशारों पर नाचती रहती, क्योकि तब भाजपा के ताले की चाबी आजसू के पास रहती।

इधर आजसू सुप्रीमो सुदेश महतो की सिल्ली में लगातार हुई दो बार हार ने आजसू की घिग्घी बंद कर दी है, पर समय ठीक नहीं रहने के कारण, आजसू झारखण्ड में खुद को मजबूत करने के लिए धीरे-धीरे कदम बढ़ा रही है, पर सफलता मिलेगी, इसकी संभावना न के बराबर है। इधर कल से शुरु हुई हेसालौंग से स्वराज अभियान यात्रा की भाकपा माले ने कड़ी आलोचना की है। भाकपा माले के गुस्सा होने का कारण भी स्पष्ट है।

चूंकि स्वराज अभियान की शुरुआत करनेवाले आजसू प्रमुख सुदेश महतो ने अपनी यात्रा हजारीबाग के हेसालौंग में भाकपा माले केन्द्रीय कमेटी के नेता रहे का. जयंत गांगुली की प्रतिमा पर माल्यार्पण करने के बाद प्रारंभ की है। जिसको लेकर भाकपा माले राज्य सचिव जनार्दन प्रसाद ने इसकी तीखी आलोचना कर दी। जनार्दन प्रसाद का कहना है कि जयंत गांगुली की प्रतिमा पर माल्यार्पण करना, दरअसल सुदेश महतो की अवसरवादिता है। कां. जयंत गांगुली समर्पित नेता थे। उन्होंने अपनी पूरी जिंदगी गरीब-गुरबों के लिए समर्पित कर दिया। संपूर्ण जीवन, यहां तक की संपत्ति सब कुछ जनता की बेहतरी के लिए न्योछावर कर दिया।

जनार्दन प्रसाद के अनुसार, जयंत गांगुली की राजनीति सत्ता सुख के लिए नहीं थी, बल्कि वे हमेशा सत्ता के खिलाफ मुखर रहे। इस तरह के महान नेता, समर्पित नेता की प्रतिमा पर सुदेश महतो जैसा अवसरवादी नेता माल्यार्पण करें, ये जंयत गांगुली के समर्पण का अपमान है। सुदेश महतो सत्ता के लिए सिद्धांतविहीन समझौते के प्रतीक है. भाजपा की गोद में खेलनेवाले, सत्ता के खिलाफ संघर्ष के प्रतीक पुरुष को माल्यार्पण कर अपने जनविरोधी कृत्यों को ढंक नहीं सकते, सुदेश महतो को इस कृत्य के लिए झारखण्ड की संघर्षशील जनता से माफी मांगनी चाहिए।