झारखण्ड में कानून व्यवस्था ठप, अपराधियों के आगे पुलिस पस्त, कल की हिंसक घटना का विरोध, जनता सड़कों पर
अगर आप रांची या झारखण्ड में आने की सोच रहे हैं या बसने की सोच रहे हैं तो जितना जल्दी हो, आप अपनी सोच बदल लीजिये, क्योंकि यहां कानून व्यवस्था नाम की कोई चीज नहीं, यहां कोई भी अपराधी आपको अपना निशाना बना सकता है, आपको सरेआम लूट सकता है, आपको बेइज्जत कर सकता है, आपकी हत्या कर सकता है और आप कुछ नहीं कर सकते, आप सदैव अपराधियों के रहमो-करम पर अपनी जिंदगी जीने को विवश रहेंगे।
इस राज्य के कानून व्यवस्था का हाल ये है कि यहां अपराधी मुख्यमंत्री आवास के इलाके में अपराध को अंजाम देता है और पुलिस टुकर-टुकर ताकती रहती है। अपराधियों के हौसले इतने बुलंद है कि वे जहरीली शराब कांड तक को अंजाम दे देते हैं और कई लोग इस घटना में मौत के शिकार हो जाते है। आज तक बूटी दुष्कर्म कांड की शिकार युवती के अपराधियों को पुलिस ढूंढ नहीं पाई। आश्चर्य तो यह है कि यहां जिसके खिलाफ गैरजमानतीय वारंट जारी होता है, पुलिस उसे वीवीआईपी सुरक्षा प्रदान करते हुए, उसे बॉडीगार्ड तक मुहैया करा देती है, भय का माहौल इतना है कि एक-दो अखबारों के संपादक भी बॉडीगार्ड लेकर चलने में ही खुद को सुरक्षित समझते है।
हाल ही में राज्यपाल द्रौपदी मूर्मु ने राजभवन में यहां के पुलिस महानिदेशक को बुलाकर क्लास लगाई थी, तथा डी के पांडेय को राज्य में कानून व्यवस्था सुदृढ़ करने को कहा था, पर अपराधियों के हौसले इतने बुलंद है कि वे रोज कुछ न कुछ कांड कर, यहां की कानून व्यवस्था को मुंह चिढ़ा रहे है। कई इलाकों के थाना प्रभारियों की स्थिति यह है कि जब कोई गरीब इनके थानों में प्राथमिकी दर्ज कराने जाता है, तो वे प्राथमिकी तक दर्ज नहीं करते, अगर किसी के दबाव में प्राथमिकी दर्ज हो भी गई तो वे उस पर आगे की कार्रवाई नहीं करते, और आराम से अपनी ड्यूटी बजा रहे होते है, जिसका परिणाम सामने है।
कई बार तो ऐसी ही स्थिति को देखते हुए राज्य के नगर विकास मंत्री सी पी सिंह ने भी यहां की पुलिस व्यवस्था पर कड़ी टिप्पणी की थी, पर क्या मजाल कि यहां के पुलिसकर्मियों के कान पर जूं रेंग जाये। सच्चाई यह है कि एक-एक थाने की ईमानदारी पूर्वक जांच हो जाये और यहां कार्यरत कांस्टेबल से लेकर थाना प्रभारियों तक के उपरि आमदनी तक की जांच हो जाये, तो पता चलेगा कि इनकी उपरि आमदनी ही इतनी है कि इन्हें घर चलाने या मस्ती पूर्वक जीने के लिए इन्हें वेतन की भी आवश्यकता नहीं।
फिलहाल राज्य की पुलिस व्यवस्था पर क्या कहना, रामभरोसे लोग यहां जी रहे है, कल की ही घटना है मेन रोड में एक चावल व्यापारी नरेन्द्र सिंह होड़ा की अपराधियों ने गोली मारकर हत्या कर दी। ये घटना तब घटी, जब वे दुकान बंदकर पीपी कंपाउंड स्थित अपने घर लौट रहे थे। होड़ा का पंडरा और अपर बाजार में चावल का व्यापार है। नरेन्द्र सिंह होड़ा की हत्या से केवल सिक्ख समुदाय ही नहीं, बल्कि पूरा व्यापारी जगत व रांची के लोग मर्माहत है, आज वे सड़कों पर उतर कर, अपना आक्रोश व्यक्त कर रहे हैं, जिससे रांची में यातायात बुरी तरह प्रभावित है, पर क्या इतना होने के बाद भी झारखण्ड में अपराध पर लगाम लगेगा।
हमें तो नहीं लगता, क्योंकि जहां का डीजीपी ही भाजपा प्रवक्ता की तरह खुद को प्रेस कांफ्रेस में पेश करता है, वहां की हालत तो सिर्फ और सिर्फ बदतर ही होनी है, इसलिए राज्य की जनता को चाहिए कि वे पुलिस पर कम, और खुद पर ज्यादा भरोसा करें, क्योंकि आप की जान, उनकी नजर में कुछ भी नहीं, वे तो फिलहाल 2019 में कौन पार्टी सत्ता में आयेगी और फिर उनका क्या होगा? या किस पार्टी से वे इलेक्शन लड़े की, उनका और उनके परिवार का भविष्य सुरक्षित हो, इसी पर ज्यादा ध्यान दे रहे हैं और रही बात भाजपाइयों की तो उन्हें मोदी-मोदी चिल्लाने से फुर्सत नहीं, सरकार तो सरकार ही है, इसलिए आनेवाला भविष्य और कितना अंधकारमय होगा, कुछ कहने की स्थिति में कोई नहीं हैं।