राज्यपाल महोदया ख्याल रहे, आपकी टीम में शामिल कोई भी सदस्य गांधी की आत्मा से खिलवाड़ न करें
आज राजभवन में राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू की अध्यक्षता में महात्मा गांधी की 150वीं जयंती को धूमधाम से मनाने को लेकर, एक विशेष बैठक आयोजित की गई, जिसमें राज्य के मुख्यमंत्री रघुवर दास, विधानसभाध्यक्ष दिनेश उरांव समेत विश्वविद्यालयों से जुड़े भाजपा के कृपापात्र लोग भी उपस्थित हुए।
इस विशेष बैठक में राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू का कहना था कि गांधीजी के इस कार्यक्रम में हर किसी की भागीदारी सुनिश्चित करनी है। सालभर के आयोजन से गांधी के विचार और दर्शन को नई पीढ़ी तक पहुंचाने में मदद मिलेगी। झारखण्ड के परिपेक्ष्य में महात्मा गांधी के जीवन का क्या महत्व है, इस पर काम करने की जरुरत है। बापू से संबंधित आर्ट, सेमिनार, वर्कशॉप आदि का आयोजन सालों भर हो, प्रभात फेरियां निकाली जाये। गांधी के दर्शन व चिन्तन का व्यापक प्रचार-प्रसार हो तथा महिलाओं को भी गांधी दर्शन से जोड़ने का प्रयास हो।
मुख्यमंत्री रघुवर दास का कहना था कि गांधी के विचारों और उनके योगदान को सही अर्थों में समझने और जानने का अवसर मिले, ऐसा काम हमें करना होगा, इसमें अधिक से अधिक युवाओं को जोड़ना हमारा उद्देश्य होना चाहिए। हम ऐसा कार्यक्रम आयोजित करें, जिसमें पूरे झारखण्ड की भागीदारी हो।
इस दौरान भारत सरकार द्वारा राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के 150वीं जयन्ती के उत्सव हेतु राज्य अंतर्गत कार्यक्रमों पर मार्गदर्शन प्रदान करने के निमित्त राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू की अध्यक्षता में एक राज्यस्तरीय कमेटी का गठन किया गया है, जिसमें मुख्यमंत्री रघुवर दास, मुख्तार अब्बास नकवी केन्द्रीय मंत्री, अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय, हरिवंश नारायण सिंह, उप-सभापति, राज्यसभा, सुदर्शन भगत, राज्य मंत्री, जनजातीय कार्य मंत्रालय, जयन्त सिन्हा, नागरिक उड्डयन एवं विमानन मंत्रालय, दिनेश उरांव, अध्यक्ष, झारखण्ड विधानसभा, नीलकंठ सिंह मुंडा, मंत्री संसदीय कार्य एवं ग्रामीण विकास विभाग, सी पी सिंह, मंत्री, नगर विकास विभाग, चंद्र प्रकाश चौधरी, मंत्री, जल संसाधन तथा पेयजल एवं स्वच्छता विभाग, लुईस मरांडी, मंत्री कल्याण विभाग, सरयू राय, मंत्री, खाद्य सार्वजनिक वितरण, रामचंद्र चंद्रवंशी, मंत्री स्वास्थ्य एवं चिकित्सा एवं परिवार कल्याण, राज पलिवार, मंत्री, श्रम एवं नियोजन विभाग, नीरा यादव, मंत्री, स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग, अमर कुमार बाउरी, मंत्री, राजस्व, निबंधन एवं भूमि सुधार एवं पर्यटन को सदस्य बनाया गया है।
इसी प्रकार भारत सरकार द्वारा राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की 150वीं जयन्ती को भव्यतापूर्वक आयोजित करने के निर्णय को देखते हुए, समस्त कार्यक्रम के सम्यक एवं सुचारु, संपादनार्थ तथा पर्यवेक्षण एवं अनुश्रवण के निमित्त्त राज्यस्तरीय समिति का भी गठन किया गया है। जिसके अध्यक्ष मुख्यमंत्री रघुवर दास है, जबकि मंत्री, पर्यटन, कला संस्कृति खेलकूद एवं युवाकार्य, मंत्री स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग, अशोक भगत, विकास भारती, विशुनपुर गुमला, मुख्य सचिव, अपर मुख्य सचिव, वन पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन, अपर मुख्य सचिव, जल संसाधन, प्रधान सचिव, गृह, कारा एवं आपदा प्रबंधन विभाग, सचिव, उर्जा विभाग, सचिव सूचना एवं जनसम्पर्क विभाग, सचिव, कल्याण विभाग, सचिव, पेयजल एवं स्वच्छता विभाग, सचिव, महिला, बाल विकास एवं सामाजिक सुरक्षा विभाग, सचिव, उच्च, तकनीकी शिक्षा एवं कौशल विकास विभाग को सदस्य एवं सचिव, पर्यटन, कला संस्कृति, खेलकूद एवं युवा कार्य विभाग को सदस्य सचिव बनाया गया है।
अब सवाल उठता है कि जो भी लोग इस कार्यक्रम को सफल बनाने में लगे है, या सफल बनाने के लिए जिन्हें जोड़ा गया है, उन्होंने गांधी को अपने जीवन में कभी जानने की कोशिश की। अपने जीवन में एक दिन भी गांधी की तरह जीने की कोशिश की। कभी गांधी के सत्य, स्वच्छता, सत्याग्रह, आध्यात्मिकता, ग्राम स्वराज्य, सुराज को नजदीक से पहचानने की कोशिश की, या कभी संकल्प लिया कि हम आज एक दिन गांधी की तरह जीकर बितायेंगे?
अब जो व्यक्ति अपनी बिताई जिंदगी में एक भी दिन गांधी के आदर्शों को जिया ही नहीं, वह व्यक्ति झारखण्ड के युवाओं में क्या गांधी दर्शन का बोध कराने में सफल होगा? इसी कमेटी में जो भी व्यक्ति शामिल है, मैं सभी को अच्छी तरह जानता हूं, उनके क्रियाकलापों से अवगत हूं, वे सभी हमारी आंखों से आंखे तक नहीं मिला सकते। ऐसा मेरा दावा है, क्योंकि गांधी के सत्य और आदर्शों के साथ खेलते हुए, इन्हें मैंने नजदीक से देखा है।
जो व्यक्ति गांधी के स्वच्छता के नाम पर पहले से ही साफ जगह पर झाड़ू चलाता हो, वह क्या गांधी दर्शन की बात करेगा? जो व्यक्ति असत्य का सहारा लेकर सत्य का ही गला घोटता हो, वह क्या गांधी के विचारों को जन-जन तक पहुंचायेगा? अरे इनकी हिम्मत नहीं कि गांधी के सिद्धांतों को आत्मसात करनेवाले, हमारे झारखण्ड के टाना भगतों के आंखों से आंखे मिलाकर बात कर सकें, अरे इनकी हिम्मत नहीं कि झारखण्ड के आदिवासी बहुल गांवों में जहां लोग स्वच्छता को पवित्रता से कम नहीं मानते, जहां के घर, गांव, कस्बे सभी स्वच्छता से इस प्रकार निखरे होते है, जैसे लगता हो कि स्वर्ग उतर आया हो, उनसे आंखों से आंखे मिलाकर बात कर सकें।
हद हो गई, अब गांधी के जीवन और उनके आदर्शों पर चलनेवालों को, ये नकली गांधीवादी, सिखायेंगे कि सभी को गांधी के आदर्शों पर चलना चाहिए, हमें भी अच्छा लगेगा, मैं भी देखूंगा कि ये लोग कैसे उस महान आत्मा के नाम पर, महात्मा के नाम पर गांधी दर्शन को जी रहे लोगों को उल्लू बनाने में सफल होते हैं।
गांधीवाद क्या है? उसका उदाहरण देखिये। राजभवन के आसपास हाल ही में फैली गंदगी को हटाने के लिए राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू पहुंच गई। ये पहला मौका था, एक ऐतिहासिक घटना घट रही थी कि राज्य की राज्यपाल गंदगी साफ करने के लिए सड़कों पर उतर गई थी। पहले से किसी को पता भी नहीं था कि राज्यपाल उनके साथ सफाई अभियान से जुड़ेंगी। वो सब्जी मार्केट पहुंचती है, लोगों से प्लास्टिक की जगह, कपड़े के थैले प्रयोग करने का अनुरोध करती है। इसी दौरान एक सब्जी बेचनेवाली महिला, थैले में सब्जी भरकर उन्हें दे रही है, राज्यपाल महोदया, सब्जी बेच रही महिला को सब्जी का मूल्य दे रही है। सब्जी बेचनेवाली महिला हाथ जोड़कर कहती है कि आप पहली बार, उसके दुकान के पास पहुंची है, खाली हाथ कैसे जाने देंगे और आप से पैसे कैसे लेंगे। इधर राज्यपाल, सब्जी बेचनेवाली महिला को पैसे दिये बिना नहीं रहती, पर बार-बार सब्जी बेचनेवाली उक्त महिला के उस भाव को देख, महसूस कर द्रवित हो जाती है। दरअसल यहीं सत्य है, यहीं प्रेम है और यही गांधीवाद है, जो समझ लिया, वह खुद भी निखर गया, दूसरे को भी निखार दिया और समाज को भी नई दिशा दे दी, पर जिसने ऐसा नहीं किया, गांधी के नाम पर लोगों को उल्लू बनाया, वह खुद समझे कि वह क्या है? क्या कर रहा है? मैं तो कहूंगा कि गांधी के नाम पर, कम से कम उनकी 150वीं जयंती के अवसर पर, गांधी के आत्मा से खिलवाड़ न करें।