जब डीजीपी CM भक्ति में लीन हो जाये, तो समझ लीजिये, उस राज्य का भगवान ही मालिक है
रांची से प्रकाशित एक अखबार ‘प्रभात खबर’ आज झारखण्ड के पुलिस महानिदेशक डी के पांडेय का आधे पृष्ठ का साक्षात्कार प्रकाशित किया है। जब राज्य के किसी विशिष्ट पदों पर कार्यरत व्यक्ति को कोई अखबार आधा पृष्ठ या एक पृष्ठ या दो-दो पृष्ठ उनके चरणों में समर्पित कर दें, तो समझ लीजिये, दाल में काला नहीं, बल्कि पूरी दाल ही काली है। वह भी तब, जब वह व्यक्ति की महत्वाकांक्षा हिलोरें मार रही हो और जो उसे दायित्व मिला है, उसमें वह फिसड्डी सिद्ध हो रहा हो।
जरा देखिये, काम है, इनका कानून-व्यवस्था सुदृढ़ रखना, लोगों की जान-माल की हिफाजत करना, राज्य में अमन चैन बहाल करना पर इन सब को छोड़, देखिये इन्हें राजनीतिक बयानबाजी करने में कितना आनन्द आता है। रांची की हर सड़कों पर सीसीटीवी कैमरा लगा है, फिर भी अपराधी बेखौफ किसी की भी हत्या कर पुलिस के सामने से ही चंपत हो जा रहे हैं और पुलिस हाथ पर हाथ धरे बैठी हैं, वह अपराधियों को पकड़ने में विफल है, वह लोगों को लालच देती है कि अपराधियों की सूचना देनेवालों को एक लाख रुपये मिलेगा, फिर भी उसे सूचना नहीं मिलती। कमाल है, राजधानी रांची में दिन-दहाड़े किसी से लगभग चार लाख नकद तो किसी से ढाई लाख के जेवर लूट लिये जा रहे हैं, पर जनाब को फुर्सत नहीं कि अपराध पर लगाम लगा दें।
यहां जहां मुख्यमंत्री का आवास है, वहां अपराधी, अपराध की घटना को अंजाम दे दे रहे हैं, पर जनाब को इसकी कोई परवाह नहीं, स्वयं राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू बढ़ते अपराध को लेकर इनका क्लास ले चुकी है, पर जनाब के मुख से मुख्यमंत्री रघुवर दास की प्रशंसा और झारखण्ड का विकास दर 9 प्रतिशत हो गया है, अगर यहीं ग्रोथ रेट दस प्रतिशत हो गया तो हर वाद ही खत्म हो जायेगा, इनके मुख से बराबर निकलता रहता है, जबकि इसके विपरीत राज्य की जनता का हाल यह है कि जब वह घर से निकलती है और सायं समय, घर पर सकुशल लौट आती है तब जाकर उसके जान में जान आती है।
जरा देखिये, ये अपने साक्षात्कार में बोल क्या रहे हैं – ‘रघुवर राज का संकल्प है, हर पेट को रोटी और हर हाथ को काम, सबका साथ-सबका विकास’ यानी ये बोलकर साफ अपना परिचय देते है कि वे पुलिस महानिदेशक ही नहीं, उनके अंदर एक भाजपा कार्यकर्ता भी छुपा है, एक भाजपा का प्रवक्ता भी छुपा है, जिसके अंदर लालसा है कि जब कभी पुलिस महानिदेशक के पद से छुटकारा मिले, तो पूर्व के पुलिस महानिदेशक बी डी राम की तरह किसी भी इलाके से चुनाव लड़कर संसद की शोभा बढ़ा सकें।
जरा देखिये, ये और क्या बोल रहे हैं – ‘समाज में असामाजिक तत्व भी होते है, जैसे तालाब में रेहु-कतला के अलावा सांप, गोजर व मेढ़क भी रहते हैं।’ ये सोच क्या बता रही है, जरा मंथन करिये। नक्सलियों के खात्मे के सवाल पर, ये इसका हल श्रीरामचरितमानस की पंक्तियों में ढूंढ निकालते हैं। यहीं नहीं उन्हें मुख्यमंत्री रघुवर दास में भगवान श्रीराम दिखाई देने लगते है, जिसका जवाब वे इस प्रकार देते है – ‘दैहिक दैविक भौतिक तापा, राम राज नहिं काहुहि ब्यापा’। वे गर्व से बताते हैं कि ‘यह रघुवर राज की जो परिकल्पना चल रही है, उसमें जब तक इन चीजों को समाप्त नहीं कर लिया जायेगा, सभी लोग संतुष्ट होकर जीवन यापन नहीं कर लेते है, तब तक संघर्ष जारी रहेगा।’
ये जनाब एक सवाल पर संवाददाताओं को राजनीतिक जवाब भी देते हैं, जब वह पूछता है कि आगे का भविष्य राजनीति में तलाशेंगे, ऐसी कोई प्लानिंग है क्या? तब वे एक कुशल राजनीतिज्ञ बनकर जवाब देते हैं – राज्य की सुरक्षा, राज्य का विकास, भ्रष्टाचार मुक्त व्यवस्था उनका संकल्प है। कमाल है इस व्यक्ति का दावा है कि राज्य का विकास दर जिस दिन 10 प्रतिशत हो गया तो हर वाद खत्म हो जायेगा और जिस दिन यह 15 प्रतिशत हो गया तो समझ लीजिये कि झारखण्ड पूरी तरह सुरक्षित और विकसित हो गया, अब झारखण्ड की आम जनता ही बताएं कि क्या उसे लगता है कि राज्य का विकास दर 10 प्रतिशत हो जाने पर कोई वाद ही नहीं रहेगा और पन्द्रह प्रतिशत विकास दर हो जाने पर झारखण्ड सुरक्षित और विकसित हो जायेगा?
जो व्यक्ति, जिसे एक जिम्मेदारी मिली है कि वह राज्य में कानून व्यवस्था सुदृढ़ करें और अगर वह ये सब न कर, राजनीति में ही सिर्फ दिलचस्पी लें तो ऐसे डीजीपी से लगता है कि राज्य में कानून का शासन होगा?
चावल व्यवसायी की हत्या के 48 घंटे बीत गये, कल 72 घंटे बीत जायेंगे और इस प्रकार जनता द्वारा दिया गया 48 घंटे का अल्टीमेटम और मुख्यमंत्री द्वारा पीड़ित परिवार को दिया गया 72 घंटे का आश्वासन खत्म हो चुका होगा, ऐसे में डीजीपी बताएं कि उनके दैहिक दैविक भौतिक तापा, राम राज नहिं काहुहि ब्यापा का क्या होगा?