सुरक्षा मानकों को नजरंदाज कर बने, बिना NOC के दुर्गा पंडालों का उद्घाटन कर रहे हैं CM रघुवर
नवरात्र की धूम है। पूरे झारखण्ड में नवरात्र का भक्तिमय माहौल है। रांची में पंडालों की धूम हैं। आज से बड़े-बड़े दुर्गा पंडालों का उद्घाटन करने का काम शुरु हो गया हैं। विभिन्न पूजा समितियों के लोगों ने राजनीतिज्ञों को अपने-अपने पंडालों में बुलाकर, पंडालों का उद्घाटन कराने का काम प्रारम्भ कर दिया हैं, क्योंकि मां दुर्गा की पूजा व उनके पंडालों का उद्घाटन करने का अधिकार तो राजनीतिज्ञों को ही हैं, क्योंकि राजनीतिज्ञों के पवित्र हाथों से ही तो उद्घाटन करने से मां दुर्गा प्रसन्न होती है, जिससे पंडालों की पवित्रता और शोभा बढ़ जाती है, भले ही इनके द्वारा कानूनों की धज्जियां ही क्यों न उड़ जाये?
आप आये दिन सुनते होंगे, कि फलां पंडाल में आग लग गई, और जान-माल की हानि हो गई। रांची में बराबर ये समाचार देखने व सुनने को मिलता है, आज ही किशोरगंज इलाके में एक पंडाल में आग लग गई, ये अलग बात है कि किसी जान-माल की हानि नहीं हुई, इसके बावजूद भी पंडाल निर्माण में अग्नि सुरक्षा के मानकों की अवहेलना करना, बिना अनापत्ति प्रमाण पत्र के पूजा पंडालों को स्वीकृति देना, क्या यहां के नागरिकों के जीवन से खिलवाड़ नहीं? ईश्वर न करें कि कोई ऐसी अप्रिय घटना घटें, फिर भी अगर घट गई तो इसका जिम्मेवार कौन होगा? क्या अनुमंडलीय प्रशासन, या जिला प्रशासन या राज्य सरकार स्वीकार करेगी, कि उसकी नासमझी के कारण, इतनी बड़ी घटना घट गई?
सड़क जाम को जाम से मुक्त कराने के लिए हाथों में डंडे लेकर, टैक्सीवालों के पीछे दौड़ना, वाहवाही लूटना, फोटो खिंचवाना तथा डॉयलॉग बोलना एक अलग बात है, और कानून का शासन स्थापित करना अलग बात है, क्या प्रशासन बतायेगा कि रांची के किस पंडाल के पास अग्निशामालय की ओर से दिया गया अनापत्ति प्रमाण पत्र मौजूद है? राज्य की जनता को जानना चाहिए कि अनापत्ति प्रमाण पत्र पाने का हकदार कौन है? दरअसल कहीं भी, किसी भी कार्यक्रम के लिए पंडालों का निर्माण होता है, तो पंडाल के निर्माताओं/आयोजकों को अग्निशामालय द्वारा अनापत्ति प्रमाण पत्र लेना जरुरी होता है, और अग्निशामालय विभिन्न प्रकार के मानकों की जांचकर संतुष्ट होने पर ही अनापत्ति प्रमाण पत्र जारी करते है, जिसके आधार पर प्रशासन आयोजकों को स्वीकृति प्रदान करता है कि आप उक्त पंडाल में कार्यक्रम आयोजित कर सकते हैं, पर रांची में तो किसी पंडाल में सुरक्षा मानकों को ध्यान में नहीं रखा गया, इसलिए यहां जान पर खेलकर लोग दुर्गापूजा का आनन्द लेंगे।
आखिर ये सुरक्षा मानक क्या है?
- कोई भी पंडाल अत्यंत प्रज्वलनशील सामग्रियों से नहीं बनी होनी चाहिए, अगर बनाई जाती है तो उसे पहले अग्निरोधी बनाना पडेगा।
- पंडाल के निर्माण में सिंथेटिक सामानों का प्रयोग नहीं होना चाहिए।
- पंडाल के प्रवेश द्वार या निकास द्वार घुमावदार नहीं होने चाहिए।
- पंडाल का प्रवेश द्वार व निकास द्वार अलग- अलग होने चाहिए।
- प्रवेश द्वार एवं निकास द्वार हमेशा अवरोधकों से मुक्त होने चाहिए।
- Exit शब्द, हिन्दी और इंग्लिश दोनों स्पष्ट अक्षरों में डिस्पले अल्टरनेट पावर से जुड़ा रहना चाहिए, ताकि लाइट ऑफ होने पर भी वह काम करता रहे।
- आपातकालीन के लिए आपातकालीन निकास की व्यवस्था अलग से होना चाहिए।
- प्रवेश द्वार की ऊचाई कम से कम 2.1 मीटर और चौड़ाई 1.5 मीटर होना चाहिए।
- पंडाल का निर्माण सूती कपड़ों से होना चाहिए और उसे भी अग्निरोधी सोलूशन में एक घंटे डूबोकर रखने के बाद ही प्रयोग करना चाहिए।
- बिजली का तार पीवीसी conduits के सहारे पंडाल में प्रयोग होना चाहिए।
- विद्युत व्यवस्था लाइसेंसी ठेकेदारों द्वारा ही होनी चाहिए, जिसे विद्युत विभाग ने लाइसेंस जारी किया हो।
- हैलोजन बल्ब के प्रयोग में एक मीटर की दूरी होनी चाहिए।
- पर्याप्त मात्रा में अग्निशमन यंत्र व फायरबकेट की व्यवस्था होनी चाहिए।
- प्रत्येक पंडालों में प्रशिक्षित सुरक्षाकर्मियों की नियुक्ति होनी चाहिए, ये सुरक्षाकर्मी अग्निशमन एवं बचाव कार्य में दक्ष होने चाहिए।
- प्रत्येक पंडाल के प्रमुख स्थलों पर अग्निशामालाय, चिकित्सालय, पुलिस एवं स्थानीय प्रशासन के मोबाइल नंबरों की सूचना पट्ट होनी चाहिए।
- पंडाल का निर्माण ऐसी जगह होनी चाहिए, जहां अग्निशामालय की गाड़ी आराम से पहुंच जा सकें।
- पंडाल के उपर से लाइभ इलेक्ट्रिसिटी वायर पार नहीं होना चाहिए।
और सच्चाई यह है कि इन मानकों के आधार पर, रांची के किसी पंडाल ने स्वयं को खड़ा उतरने का प्रयास नहीं किया है और न ही अनापत्ति प्रमाण पत्र लिया है। आश्चर्य है कि डोरंडा, आड्रे हाउस, पिस्का मोड़ और धुर्वा में अग्निशामालय है, जहां चार अग्निशमन अधिकारी हैं, और इतने ही चार एक्सक्यूटिव मजिस्ट्रेट रखे गये हैं। इन सभी ने कल रात से विभिन्न पंडालों का निरीक्षण करना शुरु किया है, यानी आज से दुर्गा पूजा प्रारंभ हुआ, तो अनुमंडलीय प्रशासन को अब ख्याल आया है कि पंडालों में कैसी सुरक्षा व्यवस्था की गई हैं, इसका मतलब क्या हुआ? क्या ऐसे में सुरक्षा मानकों को इतनी जल्दी पूरा कर लिया जायेगा, जो संभव ही नहीं, तो इस जांच/निरीक्षण में कौन किसे धोखा दे रहा है?
चलिए, प्रशासन का तो भगवान ही मालिक है, मां भगवती से प्रार्थना कीजिये कि बिना किसी समस्या के यह दुर्गापूजा शांतिपूर्वक बीत जाये, सभी प्रसन्न रहे, क्योंकि यहां प्रशासन कैसे चल रहा है, वो तो आपको मैने इस आर्टिकल में ही बता दिया कि, यहां के मुख्यमंत्री बिना अनापत्ति प्रमाण पत्र पाये, पंडालों का उद्घाटन कर रहे हैं और जिन्हें इन नियमों का पालन कराना है, वे इनके आगे-पीछे घूम रहे है, जी सर – यस सर कर रहे हैं, ऐसे चल रहा है – रघुवर राज और जिन मीडिया हाउस को इस पर अपनी बात रखनी है, प्रशासन का ध्यान आकृष्ट कराना है, वे अपनी मस्ती में डूबे है, यानी यहां भगवान भरोसे सब कुछ चल रहा है।