हमेशा सत्ता से चिपके रहे सुदेश को लगातार मिल रही हार से सत्ता के विकेन्द्रीकरण की आई याद
आजसू सुप्रीमो सुदेश महतो इन दिनों स्वराज स्वाभिमान यात्रा पर है। कल ही उन्होंने अपनी यात्रा के दौरान एक जगह कहा कि सिर्फ सीएम और डीएम (डीसी) से राज्य नहीं चल सकता। सत्ता का विकेन्द्रीकरण ईमानदारी से करना होगा और उपर से नीचे तक जिम्मेदारी तय करनी होगी, ताकि गांवों के आम लोग सत्ता के हकदार बनें। झारखण्ड में सचिवालय और जिला मुख्यालय यहीं शासन के केन्द्र बिन्दु बने हैं, जबकि अंतिम पायदान पर खड़े लोग अपनी किस्मत पर जीने को विवश है।
अब सवाल उठता है कि झारखण्ड की सरजमीं से जुड़े नेताओं को इस प्रकार का दिव्य ज्ञान लगातार हार का स्वाद चखने के बाद क्यों आता हैं, ये ज्ञान तब क्यों नहीं होता, जब जनता उन्हें माथे पर चढ़ाएं रहती हैं, जब जनता उन पर अपना सब कुछ लूटा रही होती है, जब वे जनता के आशीर्वाद को पाकर, जनता को ही भूल रहे होते हैं। उन्हें ये परम ज्ञान तब क्यों नहीं याद आता, जब जनता के अथाह आशीर्वाद को पाकर, वे सत्ता के गलियारों में खोए रहते हैं।
क्या ये सही नहीं, कि जिस डॉयलॉग को वे बार-बार विभिन्न जगहों पर बोल रहे हैं, जनता ने उन्हें वो ताकत तो पूर्व में उपलब्ध करा दी थी, तभी तो वे राज्य के उपमुख्यमंत्री तक बन गये, यहीं नहीं सरकार को अपने मन मुताबिक उन्होंने नचाया तथा प्रमुख विभाग अपने पास रखें, उस वक्त सत्ता के विकेन्द्रीकरण का ख्याल क्यों नहीं आया।
सुदेश महतो, खुद बताएं कि क्या ये सही नहीं कि आज भी उनका एक नेता राज्य का प्रमुख मंत्रालय संभाल रहा है, जरा वे खुद बताएं कि उनके मंत्रालय में सत्ता का विकेन्द्रीकरण का प्रभाव क्यों नहीं दीखता. दरअसल सत्ता की राजनीति करनेवाले इन नेताओं को लगता है कि जनता महामूर्ख है, वो वर्तमान सिर्फ देखती है और भूत पर उसका नजर ही नही जाता, पर उन्हें ये नहीं पता कि अब जनता वर्तमान, भूत और भविष्य तीनों पर नजर रखती है, वह यह भी देखती है कि कौन अखबार में, किस नेता का बयान, कितने प्रभावशाली ढंग से छप रहा है, और उसके राज क्या है? तभी तो अखबारों में इनके छपनेवाले बयान पर भी जनता का नजर नहीं जाता और न ही इनके द्वारा निकाले गये यात्रा जो मेले का रुप धारण कर लेते हैं, उन इवेंटों को भी जनता नजरंदाज करती है, तथा उसे देखकर मुस्कुराएं बिना नहीं रहती।
सुदेश की स्वराज स्वाभिमान यात्रा दरअसल अपना प्रभाव खोती जा रही है, ये अलग बात है कि मीडिया के कुछ लोग, जिन पर सुदेश की कृपा सदैव बनी रही है, वे उक्त कृपा का भान कर, अपने अखबारों में स्वराज स्वाभिमान यात्रा को बड़ी प्रमुखता से स्थान दे रहे हैं, पर आम जनता के बीच में इस 81 विधानसभा में सुदेश कुमार महतो 2019 के विधानसभा चुनाव में स्वयं जीत भी पायेंगे कि नहीं, इसकी भविष्यवाणी कोई नहीं कर सकता, क्योंकि आजसू सुप्रीमो सुदेश महतो के मन में सत्ता के प्रति उपजा मोह ही, उनके और उनकी पार्टी के पतन के कारण को सुनिश्चित कर चुका है।