राहुल के मंदिर दौरे से घबराई भाजपा और संघ ने राममंदिर आंदोलन को दी हवा, भाजपाइयों ने निकाले पुराने फोटो
उधर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरकार्यवाह भैय्याजी जोशी ने बयान दिया, और इधर भाजपाइयों ने 1992 के वे पुराने फोटो निकालने शुरु किये, जो अयोध्या आंदोलन से जुड़े थे। भैय्या जी जोशी ने आज बयान दिया है कि राम मंदिर पर सर्वोच्च न्यायालय की टिप्पणी से हिन्दू स्वयं को अपमानित महसूस कर रहे हैं, उनका कहना था कि संघ ने कभी भी न्यायालय के निर्णयों की उपेक्षा नहीं की, पर जरुरत पड़ी तो अयोध्या में श्रीराम जन्मभूमि स्थल पर राम मंदिर निर्माण के लिए 1992 की तरह फिर आंदोलन करने से भी नहीं हिचकेंगे।
भैय्या जी जोशी ने साफ कहा कि न्यायालय का ये कहना कि हमारी प्राथमिकताएं कुछ और है, इससे हिन्दू समाज काफी अपमानित महूसस कर रहा है, संघ चाहता है कि कोर्ट इसका जल्द हल निकालें। उनका कहना था कि जब तीन न्यायाधीशों की एक बेंच बनी तो लगा कि दीपावली से पूर्व कुछ शुभ समाचार मिलेंगे, पर सुप्रीम कोर्ट का इस मामले में सुनवाई करने से इनकार करना, निराश किया। दूसरी ओर संघ प्रमुख मोहन भागवत से भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष ने मुलाकात की, माना जाता है कि श्रीराम मंदिर आंदोलन तथा चुनाव के परिप्रेक्ष्य में भाजपा अध्यक्ष अमित शाह की मोहन भागवत से बात हुई।
जानकारों की मानें, तो राहुल गांधी ने भाजपा के हिन्दुत्व में सेंध लगा दी है, मध्यप्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ के विधानसभा चुनाव में जिस प्रकार से राहुल गांधी ने जनेऊ, ललाट पर तिलक, कई जगहों पर गेरुआ वस्त्र धारण कर, विभिन्न मंदिरों में जाना प्रारम्भ किया है, भाजपा को लगता है कि उसकी जमीन न खिसक जाये। जानकार बताते है कि ऐसे में भाजपा और संघ को लगता है कि भगवान राम ही, उसकी रक्षा कर सकते हैं, क्योंकि भाजपा को समय-समय पर भगवान राम ने काफी मदद की है।
जिसका प्रभाव है कि दो सीटों से निकलकर आज भाजपा लोकसभा में बहुमत प्राप्त कर चुकी है, राज्यसभा में वो सबसे बड़ी पार्टी है, तथा कई राज्यों में उसकी सरकारें चल रही हैं, जबकि कांग्रेस सिमटती चली गई। कांग्रेस को लगता है कि भाजपा को उसी के हथियार से मात दी जा सकती है, इसलिए कांग्रेस के लोग भी राहुल गांधी को उसी तरह पेश कर रहे हैं, पर आनेवाले समय में राहुल गांधी को यहीं आदत इतना नुकसान पहुंचायेगा, जिसका अंदाजा राहुल गांधी और उनको प्रोडक्ट की तरह पेश कर रहे लोगों को नहीं हैं।
इधर संघ द्वारा पुनः श्रीराम मंदिर के निर्माण को लेकर दिये जा रहे बयान और आक्रामक रुख, उन भाजपाइयों और संघ के स्वयंसेवकों के मन में आशा के दीपक जला दिये हैं, जिन्हें लगता है कि अभी नहीं तो कभी नहीं। भाजपाइयों और संघ से जुड़े स्वयंसेवकों का तो कहना है कि जब केन्द्र में भाजपा, उत्तरप्रदेश में भाजपा, चारों और भाजपा ही भाजपा, तब राम मंदिर नहीं बनेगा तो फिर कब बनेगा, ये यह भी कहते है कि जब मुख्य विपक्ष भी हिन्दुत्व कार्ड खेलने में ही मशगुल हैं तो इससे अच्छा मौका राममंदिर बनाने का कोई हो ही नहीं सकता।
इधर जिन लोगों ने 1992 के श्रीराम मंदिर आंदोलन में सक्रियता दिखाई थी, उन भाजपाइयों ने अपने पुराने फोटो निकालने शुरु कर दिये है, झारखण्ड में इसकी शुरुआत झारखण्ड राज्य खादी ग्रामोद्योग बोर्ड के अध्यक्ष संजय सेठ ने कर दी, कई लोगों ने उनके इस फोटो को लाइक किया तो कई कमेन्टस और कई शेयर भी कर रहे हैं, यानी कुल मिलाकर देखा जाये तो भाजपा और संघ के लोगों ने बड़ी ही सुनियोजित तरीके से कांग्रेस और अन्य विपक्षियों की हवा निकालने के लिए जयश्रीराम का उद्घोष प्रारम्भ कर दिया, अगर सचमुच में ये आंदोलन बढ़ा, जैसा कि सुप्रीम कोर्ट के सुनवाई की डेट टाले जाने से दीख रहा है, तो इसमें कोई दो मत नहीं कि भाजपा इस जयश्रीराम की उद्घोषणा के चलते 2019 भी न निकाल लें।