भाजपाइयों, विरोधियों का इज्जत करना भी सीखो, नहीं तो 2019 में कहां फेकाओगे, पता नहीं चलेगा
झारखण्ड मुक्ति मोर्चा के कार्यकर्ता खफा है, खफा होने के कारण भी है, गोड्डा के भाजपा सांसद निशिकांत दूबे ने अपने स्वभावानुसार शिबू सोरेन के खिलाफ अमर्यादित शब्दों का प्रयोग किया है। जब भाजपा के नेता अपने विरोधियों के लिए अमर्यादित शब्दों का प्रयोग करते हैं, तो हमें आश्चर्य नहीं होता, क्योंकि अब तो यह भाजपा का श्रृंगार हो चुका है, क्योंकि जिस राज्य का मुख्यमंत्री, वह भी विधानसभा में, विपक्षी नेताओं के लिए आपत्तिजनक शब्द का प्रयोग करता है, तो वहां फिर कुछ बचता नहीं हैं।
एक समय था, कि भाजपा के नेता का भाषण लोग, सिर्फ इसलिए सुनने जाते थे कि उनके भाषण में साहित्यिक पुट हुआ करता था, तथा वे भाषण के दौरान अपने प्रतिद्वंदियों का विरोध करते भी थे, तो इसका ख्याल रखते थे कि उनकी भावनाओं को कोई कष्ट नहीं पहुंचे, पर अब समय बदला है, अपने केन्द्र के नेताओं से आशीर्वाद लेकर, अब राज्य व जिला स्तर के नेता भी ऐसे-ऐसे शब्दों का प्रयोग कर रहे हैं कि जो भाजपा के कट्टर समर्थक है, वे भी इनसे अलग होते जा रहे हैं, इनका कहना है कि भाजपा की पहचान, उसके बोल है, जब ये भी घटियास्तर का प्रयोग करेंगे तो हम इनके साथ क्यों रहे, क्यों न हम उनके साथ चले जाये, जो फिलहाल इन सबसे अब बचने की कोशिश कर रहे हैं।
याद करिये, मुख्यमंत्री रघुवर दास को, जब उन्होंने पिछले साल सदन में नेता प्रतिपक्ष हेमन्त सोरेन के लिए आपत्तिजनक शब्द का प्रयोग किया था, जिस पर काफी बावेला मचा था। याद करिये बाघमारा के भाजपा विधायक ढुलू महतो को जिसने पिछले दिनों अपने विरोधियों को राक्षस व शैतान कह डाला, और अभी नया-नया गोड्डा के सांसद निशिकांत दूबे को देखिये जो झारखण्ड आंदोलन के प्रणेता रहे झामुमो सुप्रीमो शिबू सोरेन के लिए आपत्तिजनक शब्द का प्रयोग करते हुए, झामुमो कार्यकर्ताओं को इशारा करते हुए कहता है कि ‘आप लोग जाये और अपने हाथ में कालिख लेकर और शिबू सोरेन के मुंह में पोत दें, अगर विरोध करना है, तो उनका करें।’
यानी खुद घटियास्तर की राजनीति भी करेंगे, और दूसरों के लिए आपत्तिजनक शब्दों का प्रयोग भी करेंगे, भाई ऐसी ढिठई तो आज तक हमने कभी नहीं देखी, फिलहाल अब हमें ऐसे भाजपा सांसदों-विधायकों के कारगुजारियों के कारण वह सब देखने को मिल रहे है, जो कभी दिखने ही नहीं चाहिए, इसका कारण भी स्पष्ट है, जब सत्ता आती है, तो सत्ता का अहंकार कुछ लोगों के सिर चढ़कर, ऐसा ही बोलने को विवश करता है। झामुमो कार्यकर्ता तो कहते है कि भाजपा सांसद निशिकांत दूबे को पता ही नहीं कि कालिख कैसे और किस प्रकार के लोगों के मुंह पर पोता जाता है? अगर भाजपा निशिकांत दूबे अपना चरित्र देख लें तो उसे पता लगेगा कि उसे स्वयं अपने ही हाथों से मुंह पर कालिख पोत लेनी चाहिए, पर झामुमो को क्या पड़ा है? जनता देख रही हैं, 2019 में किसके मुंह पर कालिख पुतेगा, पता चल जायेगा।
झामुमो कार्यकर्ताओं का तो साफ कहना है कि राजनीति सभी को करनी चाहिए, पर भाषा का इस्तेमाल कब और कैसे किया जाय, इस पर ध्यान देना जरुरी है। झामुमो कार्यकर्ताओं का कहना है कि उन्हें समझ नहीं आ रहा, कविगुरु एक्सप्रेस भागलपुर से खुलेगी और हावड़ा जायेगी और हावड़ा से खुलेगी तो भागलपुर जायेगी, तो फिर इसे दुमका से हरी झंडी दिखाने का क्या मतलब? जब ये कार्यक्रम दुमका स्टेशन पर रखा भी गया तो ऐसे में दुमका से सांसद शिबू सोरेन को इस कार्यक्रम में आमंत्रित क्यों नहीं किया गया? ये तो साफ पता चलता है कि कविगुरु एक्सप्रेस के बहाने भाजपा और उसके लोग राजनीति चमकाने का काम कर रहे हैं, कमाल है भागलपुर संसदीय सीट से हारे भाजपा के शाहनवाज हुसैन को आमंत्रण और दुमका में कार्यक्रम, तथा दुमका के ही सांसद शिबू सोरेन को निमंत्रण नहीं, ये साफ बताता है कि झामुमो को नीचा दिखाने की कोशिश भाजपाइयों ने की हैं, पर इसका खामियाजा जल्द ही भाजपा को भुगतना पड़ेगा।
झामुमो सुप्रीमो शिबू सोरेन के खिलाफ भाजपा सांसद निशिकांत दूबे द्वारा दिया गया बयान, आग में घी का काम कर दिया है, झामुमो कार्यकर्ता ही नहीं, बल्कि शिबू सोरेन को चाहनेवालों की संख्या झारखण्ड में बहुतायत है, जिन्हें इस बयान से ठेस पहुंची है, अगर ये बयान लोगों को 2019 संसदीय चुनाव तक याद रह गया, जैसा कि लगता है कि याद रहेगा, भाजपा का कही सफाया न हो जाय, क्योंकि झारखण्ड की जनता आज तक बड़बोलों को कभी पसन्द ही नहीं की, तो ऐसे में रघुवर, निशिकांत और ढुलू कहां रहेंगे, इसकी योजना इन तीनों नेताओं को पहले से ही बना लेना चाहिए।