CM रघुवर की लाख बंदिशों के बावजूद पारा शिक्षकों ने दिखाई धमक, हंगामे की भेंट चढ़ा स्थापना दिवस
रांची के मोराबादी मैदान में आज झारखण्ड स्थापना दिवस का मुख्य कार्यक्रम चल रहा था। मुख्यमंत्री रघुवर दास, अपनी आदत के अनुसार, विकास और सवा तीन करोड़ जनता की सेवा का रट लगाते रहे, और इसी कार्यक्रम में पारा शिक्षक रह-रहकर हंगामा करते रहे। आश्चर्य यह रहा कि पूरे राज्य में पारा शिक्षकों को मोराबादी मैदान रांची तक नहीं पहुंचने देने के लिए पूरे राज्य की पुलिस लगी थी, फिर भी पारा शिक्षकों का एक बहुत बड़ा दल कार्यक्रम स्थल यानी मोराबादी मैदान पहुंचने में कामयाब रहा और जमकर बवाल भी काटा।
पारा शिक्षकों ने मुख्यमंत्री को काले झंडे दिखाये, कुछ ने अपना काला जैकेट उतारकर हवा में लहरा दिया। चूंकि पारा शिक्षकों ने राज्य सरकार को चेतावनी दे दी थी कि अगर राज्य स्थापना दिवस के अवसर पर मुख्यमंत्री ने उनके पक्ष में घोषणा की तो रघुवर दास जिंदाबाद के नारे लगायेंगे और नहीं तो काला झंडा दिखायेंगे, और अंततः पारा शिक्षक मुख्यमंत्री को काला झंडा दिखाने में तथा कार्यक्रम को हंगामें का भेंट चढ़ाने के, अपने मकसद में कामयाब रहे।
ज्ञातव्य है कि 2016 के राज्य स्थापना दिवस कार्यक्रम में केन्द्रीय मंत्री नितिन गडकरी और जयंत सिन्हा ने शिरकत की थी। 2017 में राष्ट्रपति रामनाथ कोविन्द इस कार्यक्रम में शामिल हुए थे, जबकि 2018 में झारखण्ड से ही केन्द्र में बने दो मंत्रियों सुदर्शन भगत और जयंत सिन्हा को इस कार्यक्रम में शामिल होने के लिए आमंत्रित किया गया था, पर इन दोनों ने इस कार्यक्रम से स्वयं को दूर रखा। यहीं नहीं राज्य के दस मंत्रियों को इस कार्यक्रम में सम्मानित अतिथि का दर्जा दिया गया था, पर इन दस मंत्रियों में से मात्र दो मंत्रियों अमर कुमार बाउरी और रामचंद्र चंद्रवंशी ही शामिल हुए। अचानक केन्द्र और राज्य के मंत्रियों को इस कार्यक्रम से अलग हो जाना यहां चर्चा का विषय बना हुआ है।
आश्चर्य यह भी रहा कि मोराबादी मैदान में विधायकों और सांसदों के लिए जो कुर्सियां सुरक्षित रखी गई थी, वह भी खाली रह गई, आम जनता ने भी इस कार्यक्रम से स्वयं को अलग ही रखा, यानी कुल मिलाकर यह कार्यक्रम रघुवर दास के अंह का भेंट चढ़ गया। इधर केन्द्रीय मंत्रियों, राज्य के मंत्रियों, सांसदों व विधायकों के साथ-साथ आम जनता का इस राजकीय कार्यक्रम में भाग नहीं लेने पर राज्य के प्रमुख विपक्षी दलों ने राज्य सरकार की जमकर हंसी उड़ाई तथा इस कार्यक्रम की तीखी आलोचना की।
इन विपक्षी दलों का कहना था कि अब तो केन्द्र और राज्य के इनके मंत्री ही इनके कार्यक्रमों से अलग हो रहे हैं, जनता ने तो पहले से ही किनारा कर लिया और जिस प्रकार पारा शिक्षकों को रांची आने से रोकने में सरकार और उनकी पुलिस ने जोर लगाया और उसके बावजूद भी कार्यक्रम स्थल पर पारा शिक्षकों को आने से ये नहीं रोक सकें तथा जिस प्रकार से पारा शिक्षकों ने कार्यक्रम स्थल पर सीएम को काला झंडा दिखाया, और इस खीझ को उतारने के लिए जिस प्रकार पुलिस ने इन पारा शिक्षकों पर लाठी चार्ज किया, वह बताता है कि राज्य सरकार के दिन लद गये हैं, इसलिए इस सरकार को अपना बोरिया-बिस्तर पहले से ही बांध लेना चाहिए।