सीता के अपमान के चलते रावण, द्रौपदी के कारण कौरव, कहीं कमला के चलते भाजपा का न…
कहा जाता है, ‘जब नाश मनुज पर छाता है, पहले विवेक मर जाता है’ तो क्या मान लिया जाय कि भाजपा के अंदर रह रहे बड़े-बड़े नेताओं के अंदर का विवेक मर गया, क्योंकि जो स्थितियां-परिस्थितियां दिखाई पड़ रही है, वो तो चीख-चीखकर यहीं कह रही हैं कि कांग्रेस तो सौ सालों के बाद भी दिखाई पड़ रही है, ये तो अपनी जवानी में ही बेमौत मर जायेगी। भाजपा को मारने के लिए कांग्रेस या अन्य दलों को कुछ करना भी नहीं है, भाजपा में ही एक से एक भस्मासुर पैदा हो गये हैं कि इसे स्वयं ले डूबेंगे।
बार-बार धर्म और अब जातिवाद के नाम पर राजनीति करनेवाली भाजपा को शायद पता नहीं कि एक सीता के अपमान के चलते रावण और उसकी लंका का अंत हो गया। एक द्रौपदी के अपमान के चलते पूरा कौरव वंश तबाह हो गया। कही ऐसा नहीं कि एक कमला के रुदण से झारखण्ड में भाजपा का नाम लेनेवाला कोई न मिले, क्योंकि जिस प्रकार से झारखण्ड में मुख्यमंत्री रघुवर दास के खासमखास बने विधायक ढुलू महतो को बचाने की तैयारी चल रही है, वह तो फिलहाल यहीं कहानी कह रहा है।
कल सुनने को मिला कि यौन शोषण के आरोपी ढुलू महतो तथा भाजपा के ही सांसद रवीन्द्र पांडे को भाजपा का राज्यस्तरीय शीर्षस्थ नेतृत्व शो कॉज भेजेगा, पर ये शो कॉज कब भेजेगा, शायद उसका किसी ज्योतिषी से सुदिन अब तक नहीं दिखाया गया है, जब ज्योतिष से सुदिन दिखा लिया जायेगा, तब जाकर शो कॉज भेजा जायेगा।
इधर यौन शोषण का आरोप लगानेवाली धनबाद भाजपा की जिला मंत्री कमला कुमारी इधर से उधर भटक रही है, उसकी कोई मदद करने के लिए भाजपा का कोई नेता तैयार नहीं है, और न ही भाजपा का महिला विंग, ही तैयार है, यानी भाजपा में ही गजब की स्थिति है, एक महिला को महिला ही समर्थन करने को तैयार नहीं, और न ही उचित जगह पर इस मामले को रख ही रही है। शायद उन्हें लगता है कि ये मामला तो कमला कुमारी का है, वो खुद झेले।
पर शायद भाजपा के अंदर राजनीति कर रही महिलाओं को ये नहीं पता कि ढुलू महतो जैसे लोगों ने एक नई राजनीति की शुरुआत कर दी है, जैसे ही कोई भाजपा के अंदर रह रही जिम्मेदार पद पर पहुंच चुकी कोई महिला, अपने उपर हो रहे यौन शोषण के खिलाफ कदम उठायेगी, ठीक उसी प्रकार कोई ढुलू महतो जैसा व्यक्ति ये बोलने में नहीं हिचकेगा, कि वो तो सैक्स रैकेट चलाती है, जबकि सच्चाई सभी जानते होंगे, जैसा कि कमला के मामले में हो रहा है।
हद तो ये हो गई, कि यौन शोषण की भुक्तभोगी कमला के पति राजीव कुमार को भी दबंग लोगों ने यौन शोषण के आरोप में फंसा दिया। इसका मतलब तो साफ है कि राजनीति में शामिल कोई भी दबंग व्यक्ति उसको ये लाइसेंस मिल गया कि वह कुछ भी करें, पर उसके खिलाफ कोई आवाज नहीं उठाये और जो आवाज उठायेगा तो उसकी स्थिति कमला कुमारी जैसी हो जायेगी।
जो आज दर-बदर की ठोकरे खा रही है, पुलिस उसकी सुन नहीं रही, भाजपा के नेता उसके सुन नहीं रहे, उसके कारोबार ठप कर दिये गये, उसकी ब्यूटी पार्लर को बंद कराने का काम शुरु कर दिया गया, उसके बच्चों ने डर से स्कूल-कॉलेज जाने बंद कर दिये, वह भी बेटी की सम्मान का ढिंढोरा पीटनेवाले केन्द्र में मोदी और राज्य में रघुवर के राज में। वाह रे मोदी, वाह रे रघुवर और वाह रे तेरा राज।
भाजपा के अंदर राजनीति कर रही महिलाओं को याद रखना चाहिए कि कमला पिछले दस सालों से भाजपा में है। सूत्र बताते हैं कि कभी उसे भाजपा में भारी संख्या में सदस्य बनाने के लिए तत्कालीन भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष डा. दिनेशानन्द गोस्वामी द्वारा पुरस्कृत भी किया जा चुका है, पर आज भाजपा के लोग उसके साथ क्या कर रहे हैं? भाजपा सरकार की पुलिस क्या कर रही है? कमला के मन में ये सवाल रह-रहकर, उसे परेशान कर रही है।
रघुवर के खासमखास विधायक ढुलू महतो तो साफ कह रखा है कि रवीन्द्र पांडे के इशारे पर कमला ने उसे यानी ढुलू को निशाना बनाया, जबकि सच्चाई इसके विपरीत है, दरअसल झाविमो का पल्लू पकड़कर, भाजपा का दामन पकड़े ढुलू महतो को अब राजनीतिबाजी अच्छी तरह समझ आ गई है, वो जानता है कि क्या करेंगे तो उसे राजनीतिक माइलेज मिलेगा और क्या नहीं करेंगे तो उसे क्या होगा, उसने आरोप लगते ही, इतनी अच्छी राजनीति दिखाई कि भाजपा के बड़े-बड़े नेता ही उसमें फंस गये, यानी ढुलू की यौन शौषण के आरोप में अगर गिरफ्तारी या अन्य नुकसान होता है तो उसका नुकसान केवल ढुलू ही क्यों भुगते, और अन्य लोग भी भुगते।
फिलहाल रवीन्द्र पांडे, ढुलू के गिरफ्त में बहुत अच्छी तरह फंस चुके है, और सूत्र बताते है कि फंसाने में सीएमओ की भी बहुत बड़ी भूमिका है, क्योंकि वर्तमान में भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष या अन्य राज्यस्तरीय पदाधिकारियों की कोई औकात ही नहीं, ये सभी केवल पदधारी है, असली निर्णय तो सिर्फ और सिर्फ सीएम रघुवर दास ही लेते हैं, ढुलू महतो को मालूम है कि भाजपा का संगठन मंत्री की भी यहां कोई औकात नहीं, वो सिर्फ अपना बदन झारने और बदन दिखाने के सिवा कुछ काम नहीं करते, और न इनकी केन्द्र में कोई दखलंदाजी है, इसलिए ढुलू इनलोगों की गणेश परिक्रमा करने के बजाय रघुवर वंदना क्यों न करें?
इधर धनबाद में एक और चीजें देखने को मिल रही है, जमकर जातीवाद का नंगा नाच यहां दीख रहा है, खुलकर एक जाति के लोग ढुलू महतो के पक्ष में गोलबंद हो रहे है, जो बताता है कि हमारा समाज कितना नीचे गिरता जा रहा है, पूर्व में किसी के उपर यौन शोषण का आरोप लगता था, तो समाज इस प्रकार के लोगों से स्वयं को बचने-बचाने की कोशिश करता था, पर अब तो यौन शोषण के आरोपी के पक्ष में ही गोलबंदी होने लगी है, अगर यही गोलबंदी रवीन्द्र पांडे के पक्ष में होने लगी तो समझ लीजिये, कितना भयावह चेहरा इस राज्य का दीखेगा, हालांकि रवीन्द्र पांडे की ओर से ऐसी स्थिति देखने को नहीं मिल रही, बल्कि उलटे उनके समाज के लोग ही उनसे चिढ़े हुए से दीख रहे हैं, ऐसा क्यों है? ये रवीन्द्र पांडे ही बेहतर बता सकते हैं।
इधर, सूत्र बताते है कि ढुलू महतो का एकमात्र मकसद लोकसभा का चुनाव लड़ना है, चूंकि विधायक बनने का उसका सपना पूरा हो गया, अब वह दिल्ली की रुख करना चाहता है ताकि उसका साम्राज्य बाघमारा से लेकर दिल्ली तक भाया रांची चलता रहे, बड़ी कम समय में अनेकों केसों-मुकदमों को झेलने के बावजूद, वो चट्टान की भांति खड़ा है, और उसकी इस मंशा को हवा दे रखी है, राज्य के मुख्यमंत्री रघुवर दास ने, हो सकता है कि ढुलू को यह मंशा पूरी भी हो जाये, क्योंकि राज्य में कोई नीति की, राजनीति तो होनी नहीं है, जातिवाद और भ्रष्ट तरीके से जब सांसद और विधायक बनने की परम्परा की जड़ जब भाजपा में ही समा गई तो फिर ऐसे लोगों से नीति और चरित्र की बात ही क्या करना?