झारखण्ड में पारदर्शिता-ईमानदारी का रट लगाते रहिये और तीन साल में पुल को धूल में मिलाते रहिये
गोड्डा में एक घटना घटी है, वहां आज एक भारी-भरकम पुल ध्वस्त हो गया। ऐसे ये कोई नई बात नहीं है, हमारे देश में इससे भी बड़े-बड़े पुल ध्वस्त हो जाते हैं, किसी को कोई फर्क नहीं पड़ता, न सरकार को और न जनता को, क्योंकि सभी को पता होता है कि पुल के निर्माण के पीछे उद्देश्य क्या होता है?
इसलिए जनता इस पर अब ज्यादा बोलती भी नहीं और न नेताओं को गरियाती है, क्योंकि वह जानती है कि इस देश/राज्य में जितने भी राष्ट्रीय दल या क्षेत्रीय दल हैं, उसके नेता कोई दुध के धुले नहीं हैं, सभी अपने परिवार और अपनी पत्नियों/प्रेमिकाओं के प्रति ही ज्यादा श्रद्धा उड़ेलते हैं, ऐसे में दो-चार पुल ध्वस्त ही हो गये, कुछ लोगों की जाने ही चली गई या नुकसान ही हो गया तो क्या हुआ? इससे देश की जनसंख्या पर थोड़े ही कोई प्रभाव पड़ता हैं, वो तो अपनी रफ्तार से बढ़ेंगी ही, नेताओं की रोजी-रोजगार में बरकत होगी ही।
फिलहाल गोड्डा में घटी इस घटना पर वहां के भाजपा सांसद की त्वरित टिप्पणी आई है, ये टिप्पणी उनके सोशल साइट पर आई है, जरा देखिये जनाब ने क्या लिखा है? “यह है गोड्डा जिले के विधायक यादव बंधुओं के ठेकेदारों का परिणाम, कमीशन व गुंडा गर्दी का ख़ूबसूरत नमूना। गोड्डा के पूर्व विधायक संजय यादव जी के भाई वकील यादव की पत्नी दिव्या कन्स्ट्रक्शन्स का काम। गोड्डा जिला अंतर्गत पथरगामा प्रखंड के कोरका/पकड़िया के बीच तीन साल पूर्व बना पुल आज ध्वस्त हो गया। जिसमें एक हाईवा भी फस गया है। मेरे शिकायत के बाद सब कुछ मैनेज हो गया व इंजीनियर का प्रमोशन हो गया।“
अब सवाल उठता है कि भाई चार साल से तो यहां चाहे केन्द्र हो या राज्य, उन्हीं की सरकार हैं, तो सच्चाई भी यहीं है कि अभियंता, ठेकेदार और सरकार इन तीनों की बिना कृपा के ये काम तो हुआ नहीं होगा, तो फिर ये किसे कोस रहे हैं? किसे मूर्ख बना रहे हैं? अरे जनता तो मूर्ख बनने के लिए ही पैदा हुई है, वो मूर्ख है, मूर्ख ही रहेगी, उसके पास नेता आयेंगे, भाषणबाजी करेंगे और वे तालियां भी बजायेंगे और कोई ज्यादा भावुक होगी तो चरणामृत भी पी लेंगी, इसमें कौन सी बड़ी बात है?
यहां के मुख्यमंत्री तो रोज पारदर्शिता, भ्रष्टाचारमुक्त, सेवारत सरकार होने तथा खुद को दूध से धुले होने का वादा करते है, ऐसे भी ये पुल के ध्वस्त हो जाने के बावजूद, उनकी पारदर्शिता, भ्रष्टाचारमुक्त शासन और दिन-रात जनता की सेवा में लगे रहने की दावा को कोई चुनौती भी नहीं देने जा रहा, इसलिए इन सभी बेकार की बातों में क्यों आप दिमाग लगा रहे, आप भी लगे रहिये।
लोकसभा का चुनाव आने के पूर्व, खुब घुमिये, अपने परिवार के लोगों को घुमाते रहिये, तीर्थ तो बुढ़ापे में किया जाता है, थोडा विदेश घुमिये, जैसे मुख्यमंत्री रघुवर दास घुम रहे हैं, सुने है कि अब वे दुबई भी जा रहे हैं, आप भी ऐसे-ऐसे देशों में घुमते रहिये, ऐसे भी अभी बहुत समय हैं चुनाव होने में, परम आनन्द की प्राप्ति करिये, कहां पुल के चक्कर में पड़ कर, कुंडली में बने महाराजयोग को धूल में मिलाने का प्रयास कर रहे हैं।