हेमन्त ने रघुवर की नींद उड़ाई, दिन-रात JMM-JMM का रट लगाते बीत रहा CM का
खुद अपनी जमशेदपुर पूर्वी सीट से इस बार जीत पायेंगे या नहीं, इसका राज्य के मुख्यमंत्री रघुवर दास को अंदाजा नहीं है, पर संथाल परगना की सभी विधानसभा सीटों पर उनकी नजर ज्यादा है, इधर संथाल परगना उनका दौरा भी खूब हो रहा हैं, और वहां ले-देकर झामुमो पर वे जमकर बरस रहे हैं, झामुमो पर बरसने के क्रम में भाषा की मर्यादा का भी वे ख्याल नहीं रख रहे, जिसके कारण सीएम की इमेज तो पहले ही इन इलाकों में खत्म हो गई हैं, रही सही कसर जो प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की थी, वो इमेज भी मुख्यमंत्री डूबाने में लगे हैं।
इधर संथाल परगना में मुख्यमंत्री रघुवर दास के लगातार हो रहे दौरे पर झामुमो के कार्यकर्ताओं का समूह, विद्रोही24. कॉम को बताता है कि सीएम रघुवर दास इधर कुछ भी कर लें, पर इन इलाकों में आज भी गुरुजी और हेमन्त सोरेन का ही तूती बोलता है, क्योंकि गुरुजी ने जो इन इलाकों में स्वाभिमान का झंडा बुलंद किया है, वो कोई आज तक नहीं किया, ऐसे भी गुरुजी और हेमन्त सोरेन के खिलाफ या झारखण्ड मुक्ति मोर्चा के खिलाफ कोई भी कुछ बोलता है, तो झामुमो के लोग उस पर ध्यान नहीं देते, क्योंकि जानते है कि यहां वहीं होगा, जो जनता चाहेगी, और जनता आज भी झामुमो के साथ है, चाहे रघुवर दास कितना भी पसीना बहा लें।
झामुमो के कार्यकर्ता तो ये भी कहते है कि हाल ही में लिट्टीपाड़ा विधानसभा के उपचुनाव हुए, वहां तो भाजपा खुब हाथ-पांव मार रही थी, लिट्टीपाड़ा में हवा बनाने के लिए उसने साहेबगंज में प्रधानमंत्री को भी बुला लिया तो क्या हुआ? क्या जनता उनके झांसे में आ गई कि वहीं हुआ जो इन इलाकों में होता रहा है, झामुमो आज भी वहीं स्थिति में है, एक-दो सीट इस इलाके में भाजपा जीत क्या गई? वह समझ गई कि जनाधार उसका बढ़ गया, ऐसे इस प्रकार के दिन में कोई भी सपना देखे, उनके जैसे कार्यकर्ताओं को कोई फर्क नहीं पड़ता, पूरा इलाका आज भी तीर-धनुष और गुरुजी के साथ है, हेमन्त सोरेन के साथ है।
हाल ही में महेशपुर के आभुवा गांव में सीएम के उस भाषण से, जिसमें मुख्यमंत्री रघुवर दास ने यह कहा था कि झामुमो ने आदिवासियों को दारु पिलाकर उनकी नस्ल को खत्म करने का काम किया है। अब उनके दिमाग को भोथर कर देंगे, वाली डायलॉग पर झामुमो कार्यकर्ता कहते है कि आदिवासियों की नस्ल को कौन खत्म कर रहा है? उनके जल-जंगल-जमीन से कौन बेदखल कर रहा है? उनकी आनेवाली पीढ़ी को विस्थापन और पलायन पर कौन मजबूर कर रहा हैं? उनके जैसे लोगों को किसी से पूछने की जरुरत नहीं, सभी जानते हैं, इसलिए वो जितना झामुमो को गाली दे रहे हैं या उनके नेता के खिलाफ अनाप-शनाप बोल रहे हैं, हम कार्यकर्ता तब तक सहेंगे, जब तक लोकसभा व विधानसभा चुनाव न आ जाये और इस अपमान का बदला वे मतदान केन्द्र पर तीर-धनुष पर बटन दबाकर लेंगे।
झामुमो कार्यकर्ताओं का समूह साफ कहता है कि राज्य में ऐसा मुख्यमंत्री कभी नहीं हुआ, जिसने अपने विरोधियों के लिए अमर्यादित शब्दों का प्रयोग किया हो, ये तो जैसे लगता है कि अमर्यादित शब्दों का रिकार्ड तोडऩे का मन बना लिये है, ठीक है ये बोलते रहे, आनेवाले चुनाव में जनता इन्हें बता देगी कि जनाब कितने पानी में हैं, इस बार खुद अपनी सीट बचा पायेंगे या नहीं, संदेह ही लगता है, और रही बात हेमन्त और शिबू सोरेन की, तो मुख्यमंत्री के इनके खिलाफ कड़वे बोल बताने के लिए काफी हैं कि उनके नेताओं की बढ़ती लोकप्रियता ने सीएम रघुवर दास की नींद उड़ा दी हैं।