CM या DGP बताएं कि पारा टीचर शिव लाल सोरेन को जमीं खा गई या आसमां निगल गया?
शिव लाल सोरेन, पिता- स्व. मंगल सोरेन, ग्राम- कल्हौड़िया, पो. सिंहनी, थाना- जरमुंडी, जिला-दुमका, गत् 15 नवम्बर, राज्य स्थापना दिवस के दिन से गायब है। शिव लाल सोरेन के गायब हुए एक महीने से अधिक बीत गये, शिव लाल सोरेन की पत्नी सुहागिनी हेमरम 28 नवम्बर को इस संबंध में प्राथमिकी दर्ज कराने के लिए जरमुंडी थाने पहुंची थी, पर आजतक उसकी प्राथमिकी भी दर्ज नहीं की गई, आखिर क्यों?
क्या राज्य के होनहार मुख्यमंत्री रघुवर दास या पुलिस महानिदेशक डी के पांड़ेय बता सकते हैं कि प्राथमिकी दर्ज अब तक क्यों नहीं की गई, प्राथमिकी दर्ज करने में क्या दिक्कत आ रही है, और अब तक शिव लाल सोरेन को ढूंढने के लिए क्या-क्या प्रयास किये गये?
इधऱ मिशन मोदी अगेन पीएम के प्रदेश अध्यक्ष अनुरंजन अशोक ने विद्रोही24.कॉम को बताया कि शिवलाल सोरेन की पत्नी सुहागिनी हेमरम आज ही उनसे मिली है, और जो उन्होंने बताया, वह सुनकर उनके रोंगटे खड़े हो गये कि आखिर इस राज्य में क्या हो रहा है? अनुरंजन अशोक ने बताया कि सुहागिनी हेमरेम के पति शिव लाल सोरेन, 15 नवम्बर को राज्य स्थापना दिवस के दिन, पारा टीचरों के आंदोलन में भाग लेने के लिए रांची आये थे।
उसी दिन उन्हें रांची के रेडक्रास में खम्भा से बांधकर पीटा गया था, शायद इसी कारण से उनकी मृत्यु भी हो गई है, जिसे पुलिस प्रशासन छिपाने की कोशिश कर रही है, एवं इसी षडयंत्र के तहत जरमुंडी थाना केवल सनहा लिखकर अपना भार हटा रही है। अनुरंजन अशोक का कहना है कि अगर ऐसा नहीं है, तो स्थानीय पुलिस को पारा टीचर शिव लाल सोरेन को खोजकर, उसकी पत्नी सुहागिनी को सौंपना चाहिए, नहीं तो पुलिस पर ही अपहरण एवं ह्त्या का मुकदमा दर्ज होना चाहिए तथा इसकी विस्तृत जांचकर दोषियों को कड़ी से कड़ी सजा दिलवानी चाहिए।
ज्ञातव्य है कि पारा शिक्षक शिव लाल सोरेन उत्क्रमित मध्य विद्यालय कल्हौड़िया में ही कार्यरत थे, जो राज्य स्थापना दिवस के दिन रांची में होनेवाले पारा टीचरों के आंदोलन के लिए घर से निकले थे। सुहागिनी बताती है कि उस दिन के बाद से लेकर, वह अपने सभी रिश्तेदारों के यहां पता लगा ली, पर शिवलाल सोरेन का कहीं कोई पता नहीं चला, शिवलाल सोरेन के पास जो मोबाइल था, उस पर भी बात नहीं हो पा रही है, इसका मतलब क्या है? पूरा परिवार 15 नवम्बर से परेशान है, क्योंकि एकमात्र उन पर ही घर चलाने की जिम्मेवारी थी, पर वह जहां भी जा रही हैं, कोई सुन नहीं रहा, ऐसे में वह क्या करें?