CM रघुवर ने चार सालों में भ्रष्टाचार, जातिवाद, नक्सलवाद और वंशवाद के वृक्ष को और मजबूती दी
जैसा कि सर्वविदित था, कि राज्य सरकार और राज्य के होनहार मुख्यमंत्री रघुवर दास, आज रांची से प्रकाशित होनेवाले प्रमुख अखबारों में अपनी उपलब्धता को लेकर, भारी भरकम विज्ञापन निकालेंगे, अपना पीठ खुद थपथवायेंगे, स्वयं अपनी आरती उतरवायेंगे, जो मन करेगा बोलेंगे, झूठ का स्पेशल रिकार्ड बनवायेंगे, वो ही आज देखने को मिला, और अब हम करेंगे, उनके आज के निकाले गये विज्ञापन का ऑपरेशन।
ऐसे जो विद्रोही24.कॉम के नियमित पाठक हैं, उन्हें कुछ दिन पहले ही मालूम हो गया होगा, कि हमने 30 कारणों से इस राज्य सरकार की पोल खोल दी थी कि ये कितने बहुपयोगी हैं, राज्य की जनता के लिए? फिर भी हम बताते चले कि अपने राज्य के होनहार मुख्यमंत्री रघुवर दास को आज से ठीक चार साल पहले हाड़ में हरदी लगा था, वे राज्य के मुख्यमंत्री बने थे, खूब ढोल पीटे गये थे, नगाड़ा बजाया गया था कि राज्य में पहला गैर-आदिवासी मुख्यमंत्री बना है, अब राज्य में विकास के नये द्वार खुलेंगे, पर इन चार सालों में किसके विकास के द्वार खुले, ये राज्य की जनता को अच्छी तरह मालूम है।
जरा देखिये, आज का अखबार, उसका पहला पृष्ठ, होनहार मुख्यमंत्री ने क्या कहा हैं? न भ्रष्टाचार, न वंशवाद, न नक्सलवाद, न जातिवाद। यानी इन्होंने दावा किया है कि उनके राज्य में न भ्रष्टाचार हैं, न वंशवाद हैं, न नक्सलवाद है और न ही जातिवाद हैं, जबकि सच्चाई यह है कि इन्हीं के राज्य में भ्रष्टाचार, वंशवाद, नक्सलवाद और जातिवाद ने ऊंचाइयां छुई है। आज ही के अखबारों में भ्रष्टाचार से संबंधिक कई खबरें हैं, पर इनसे गलथेथरई कौन करने जाये, क्या ये भ्रष्टाचार नहीं हैं…
- गरीबों को बांटने के लिए कंबल बनाने के नाम पर, फर्जी दस्तावेज के आधार पर झारक्राफ्ट ने 18.41 करोड़ रुपये का भुगतान कर दिया।
- पुलिस हाउसिंग कॉरपोशन ने अनुभवहीन लोगों को ठेका दे दिया, यहीं नहीं इनके पास वित्तीय क्षमता भी नहीं हैं।
- रांची में 97 गैर सरकारी लोगों को बॉडीगार्ड उपलब्ध करा दिया, जिससे सरकार को 14.11 करोड़ का नुकसान हो गया।
- हाईकोर्ट भवन निर्माण में भारी वित्तीय अनियमितता की गई। ये तो कुछ उदाहरण भर है, अगर इन पर लिखने की बात हुई तो इस पर रामायण जैसा महाकाव्य लिखा जा सकता है।
और अब बात जातिवाद की। जो व्यक्ति जातीय रैली में शामिल होकर खुद को गौरवान्वित महसूस करता हो, जो जातीय रैली के लिए बिहार, महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़, यहां तक की दिल्ली का दौर लगा देता हो, जो गढ़वा में एक ब्राह्मण समुदाय के खिलाफ आपत्तिजनक शब्दों का प्रयोग करता हो, और वह कहें कि वह जातिवाद नहीं करता, उससे बड़ा जातिवादी और कौन हो सकता है, क्या राज्य के होनहार मुख्यमंत्री बता सकते है कि जिस पार्टी से वे आते हैं, उन्हें सिर्फ उन्हीं के जाति के लोग वोट करते हैं क्या? कि और भी जातियों व समुदाय के लोग, उन्हें वोट करते हैं, जितना जातिवाद का बीज, इस मुख्यमंत्री के काल में बोया गया, और लोगों को जाति के नाम पर चिढ़ाया गया, उतना आज तक कहीं नहीं हुआ।
नक्सलवाद, शायद राज्य के होनहार मुख्यमंत्री रघुवर दास को पता ही नहीं कि परसो ही गिरिडीह के पीरटाड़ में नक्सलियों ने जन-अदालत लगाकर, मुखिया गिरजा शंकर महतो और उसके बेटे ओम प्रकाश महतो की जमकर पिटाई की तथा उसके बोलेरो में आग लगा दी। संबंधित मुखिया का बेटा, राज्य के अति होनहार मुख्यमंत्री रघुवर दास के अतिप्रिय विधायक ढुलू महतो द्वारा संचालित टाइगर फोर्स का पीरटांड़ प्रखण्ड अध्यक्ष है। हम आपको बताते चले कि बुधवार की शाम 50 से भी अधिक की संख्या में नक्सली आये और इस घटना को अंजाम दिया। नक्सलियों ने उसे टाइगर फोर्स से इस्तीफा देने को कहा और ओमप्रकाश महतो ने टाइगर फोर्स से खुद को अलग भी कर लिया। क्या सीएम रघुवर बता सकते है कि इस राज्य को टाइगर फोर्स की क्यों जरुरत हैं, ये टाइगर फोर्स करता क्या है?
और अब आये वंशवाद की, तो जनाब अभी पहली बार तो मुख्यमंत्री बने हैं और उनके बेटे ललित दास के कारनामे जगजाहिर है, उनके बेटे आजकल समाज सेवा में काफी रुचि ले रहे हैं, उनके समाज सेवा का हाल यह है कि उनके एक इशारे पर आइएएस और आइपीएस तक पंक्तिबद्ध खड़े हो जाते हैं, उनके बॉडीगार्ड भी कई प्रकार की लीलाएं कर रहे हैं, जो अखबारों की सुर्खियां बनती रही है, ऐसे में वंशवाद की नई परिभाषा तो समय आने पर देखने को मिल ही जायेगा, फिलहाल जनाब की गतिविधियां तो साफ भविष्य ही बता दे रही है, वो कहा जाता है न कि पूत के पांव पालने में दीख जाते हैं।