CM के आगे बलिहारी हो गये रांची के पत्रकार, किसी ने शेरो-शायरी तो किसी ने मक्खन लगाकर किया स्वागत
मिलिये, आज के पत्रकारों से, ये मुख्यमंत्री के आगे, उनकी शान में शेरो-शायरी करते हैं। ये मुख्यमंत्री को प्रमाण पत्र देते हैं कि उन्होंने भ्रष्टाचारमुक्त शासन राज्य को दिया। ये मुख्यमंत्री को उनके कार्यों के लिए तारीफ का पुल बांधते हैं। बधाइयां देते हैं और उनके साथ सेल्फी लेकर, उसे अपने सोशल साइट पर इस प्रकार डालते हैं, जैसे लगता हो कि उनकी मन की मुराद मिल गई हो, उनका जीवन धन्य हो गया हो, अब सवाल उठता है कि जिस राज्य में ऐसे-ऐसे पत्रकारों का प्रार्दुभाव हो गया हो, उन पत्रकारों से क्या ये आशा की जा सकती हैं कि वे जनसरोकार की पत्रकारिता करते होंगे?
दरअसल यह सवाल इसलिए उठ रहा है कि कल की ही बात है, मुख्यमंत्री रघुवर दास अपने शासन के चार साल की वर्षगांठ मना रहे थे, इस वर्षगांठ में शामिल होने के लिए पत्रकारों को भी आमंत्रित किया गया था। पत्रकारों को खुश करने के लिए डायरी, कैलेन्डर व बैग से सुसज्जित एक सुंदर गिफ्ट और सुस्वादु भोजन का प्रबंध सीएमओ द्वारा किया गया था, जिस देख-सुन कर बड़ी संख्या में पत्रकारों का समूह जुटा था।
कुछ चैनलों के संपादकों ने अपने पत्रकारों को जो वहां पहुंचे थे, उन्हें हिदायत दे रखी थी कि वे कोई सवाल नहीं पूछेंगे, क्योंकि उनके सीएम रघुवर दास से बहुत ही सुंदर रिलेशन है और वे इनके बेकार के प्रश्नों के चक्कर में अपना रिलेशन खराब नहीं करना, इसलिए वे वहां जायेंगे, कैमरा चमकायेंगे और जो सीएम बोलेंगे, उन्हें अच्छे बच्चे की तरह कैमरे में समायोजित कर, चुपचाप कार्यालय चले आयेंगे।
कुछ अखबारों व एजेंसियों ने तो हद कर दी। एक अखबार के पत्रकार ने तो मुख्यमंत्री रघुवर दास की शान में शेरो-शायरी कर दी, तो एक पीटीआइ के संवाददाता ने मुख्यमंत्री रघुवर दास को इस बात के लिए बधाई दे दी कि उनका राज्य भ्रष्टाचार मुक्त हो चुका है, जबकि भ्रष्टाचार मुक्त बना या नहीं, उसका सबसे सुंदर उदाहरण कल का रांची से प्रकाशित सारा अखबार है, जिसने सीएजी की रिपोर्ट को बहुत ही गंभीरता से छाप कर सीएम रघुवर दास के राज्य में चल रहे गोरखधंधे की पोल खोल दी।
दरअसल कुछ पत्रकारों को लगता है कि जब वे मुख्यमंत्री रघुवर दास को मक्खन लगायेंगे तो मुख्यमंत्री उन्हें अपने माथे पर बिठा लेंगे, पर हुआ यहा उलटा ही, मुख्यमंत्री रघुवर दास ने माथे पर तो दूर, बगल में बिठाना भी उचित नहीं समझा, उसके सवालों का जवाब भी अनमने ढंग तथा बेरुखी से दिया, जिसकी कल्पना शायद उक्त पत्रकार को भी नहीं होगी, पर बेचारा क्या करें, उसकी आदत ही ऐसी है, यहीं कारण रहा कि उसे हाल ही में रांची प्रेस क्लब से एक साल के लिए निलंबित भी कर दिया गया।
कुछ पत्रकारों ने रघुवर दास के संग जमकर सेल्फी ली, ऐसी सेल्फी तथा उक्त सेल्फी को लेकर सोशल साइट पर डालने की ललक उनके मनोदशा को साफ चरितार्थ कर रहा था, उन्हें लग रहा था कि दुनिया की सारी खुशियां उन्हें मिल गई, कुछ तो ऐसे थे, जिन्होंने कभी जिंदगी में अपनी मां या बाबुजी के संग भी सेल्फी नहीं ली होगी, पर पहली बार पत्रकारिता में आने तथा मुख्यमंत्री के साथ सेल्फी हो जाने पर, उनके चेहरे पर की खुशियां साफ दीख रही थी, और फिर सीएमओ में सीएम के संग सुस्वादु भोजन का स्वाद कुंडली में राजयोग के दशा को भी तो प्रतिबिम्बित कर रहा था।
कई पत्रकारों को तो रात की नींद ही गायब हो गई थी, कई ने सपनों में ही रात गुजार दिया, आज तक ऐसा आनन्द कभी प्राप्त नहीं हुआ था, खुद को कह रहे थे, पत्रकारिता ऐसी ही होती है, इन शेरो-शायरी व भ्रष्टाचार मुक्त राज्य की बात करनेवाले पत्रकारों ने सीएम से ये भी सवाल नहीं पूछे कि हे मान्यवर, जिस प्रकार से मैं आपसे सवाल कर रहा हूं, क्या उसका जवाब इसी तरह से दिया जाता है, पत्रकारों को आप जवाब देंगे तो ये कहेंगे कि “सरकार किसी के दबाव में नहीं रहता, ये जान जाओ” क्या पत्रकारों के लिए ऐसी भाषा होती है? इसी बात को सीएम ऱघुवर इस प्रकार से भी तो कह सकते थे “सरकार किसी के दबाव में नहीं रहता, ये जान जाइये” पर भला सीएम को मक्खन लगानेवाले पत्रकार क्या जानेंगे कि इज्जत क्या होती है और राज्य का सीएम उनके सम्मान के साथ कैसे खेल रहा है?
धन्य है..।।
पत्तलचाटुकार