हां कमलनाथ, जो ‘वंदे मातरम्’ और ‘भारत माता की जय’ नहीं बोलता, वो देशभक्त नहीं, गद्दार होता है…
याद है कि भूल गये। एक महीने पहले की बात है, कोई कांग्रेस के पचास साल के बच्चे राहुल को लेकर, कोई एमपी का वर्तमान मुख्यमंत्री कमलनाथ, मध्य प्रदेश के विभिन्न मंदिरों में गेरुवा-भगवा पहनाकर, माथे पर तिलक लगवाकर, कपड़ें के उपर जनेऊ पहनाकर, उसका गोत्र बताकर पूरे प्रदेश में बसिऔरा निकाल रहा था और बता रहा था कि दुनिया का सबसे बड़ा हिन्दुत्ववादी तो उसके और उसके राहुल जैसा कोई नहीं हैं।
इसलिए अबकी बार सभी को मिलकर हाथ के चिन्ह पर बटन दबा देना है, और लीजिये लोगों ने देखा कि भाई हिन्दूत्व के नाम पर वोट देना ही हैं तो क्यों नहीं, कोई नये नमूने को वोट दे दिया जाये, खीच-तानकर, अंततः नये-नये पंडित बने राहुल बाबा और उनके महाशिष्य कमलनाथ के समर्थन में वोट गिरा दिये, देखते-देखते वे बहुमत के निकट पहुंच गये और लीजिये बन गये बबुआ कमलनाथ मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री।
जैसे ही बबुआ मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री बने, उन्हें खुजलाहट शुरु हुई, उन्होंने इसी खुजलाहट में सारे निगमों-बोर्डों तथा अन्य प्रमुख स्थानों पर बैठे भाजपाई और संघ से जुड़े लोगों को उठाकर बाहर फेंक दिया। मध्य प्रदेश के किसानों को दो लाख तक के कर्ज माफ करवा दिये, और वह भी तब जबकि उन्हीं के राहुल बाबा ने चुनाव परिणाम आने के ही दिन, यह कह दिया था कि किसानों की ऋण माफी समस्या का समाधान नहीं हैं, और फिर इसकी वसूली के लिए यूरिया का ऐसा चक्कर चलाया कि पूरे मध्यप्रदेश के किसान सड़क पर आ गये।
जैसे ही मध्य प्रदेश के किसान सड़क पर आये, कमलनाथ ने पैंतरा बदला, थोप दिया कि ये सब केन्द्र की चाल है, क्योंकि उनके पास दूसरा कोई चारा भी नहीं है, जब तक केन्द्र में उनके दल की सरकार नहीं बन जाती, उनके कचरे फेंकने का स्थान तो दिल्ली हैं ही, इसलिए हर अपनी गलतियों को दिल्ली के कचरेदान में फेंक दो और कहो कि ये सब मोदी और उनके चेलों की चाल है, क्योकि कमलनाथ तो शुद्ध गाय के शुद्ध दुध से नहाया हुआ व्यक्ति हैं।
अब जरा देखिये कमलनाथ के दूसरे नये पैतरे को, कहा जाता है कि पिछले तेरह सालों से प्रत्येक एक तारीख को मंत्रालय में वंदे मातरम् गाने की परंपरा थी, किसी को कोई दिक्कत नहीं थी, सभी मिलकर वंदे मातरम गाते थे, पर कमलनाथ को ये अच्छा नहीं लगता था, अच्छा लगेगा भी कैसे? आज तक किसी भी कांग्रेसी नेताओं के मुख से वंदे मातरम् या भारत माता की जय कहते सुना है क्या? मैंने तो आज तक नहीं सुना और न कभी सुनने की इच्छा रखता हूं, क्योंकि इंदिरा गांधी और उनके शासनकाल के बाद, कांग्रेस कितनी देशभक्त हैं, वह किसी से पूछने की जरुरत नहीं।
ये वहीं कांग्रेस है न, जो पोप जान पाल को बुलाया था, जब देश में प्रधानमंत्री के रुप में राजीव गांधी थे, क्या कोई बता सकता है कि पोप जान पाल को भारत क्यों बुलाया गया था? उससे देश को क्या फायदा था? धर्मनिरपेक्षता की दुहाई देनेवाली वामपंथी पार्टियां ही बता दें कि पोप जान पाल की यात्रा से देश को क्या फायदा हुए, या कांग्रेसी ही बता दें?
कमलनाथ का ये कहना कि क्या वंदे मातरम् नहीं गानेवाले देशभक्त नहीं होते? मिस्टर कमलनाथ तुम खुद ही बता दो कि जिस व्यक्ति को वंदे मातरम् जैसे दो शब्द बोलने पर पेट में दर्द और उसका मुंह काम नहीं करता हो, हम कैसे मान लें कि वह देश के लिए अपना सर्वस्व कुर्बान कर देगा?
कमलनाथ तुम ही बता दो, कि हम कैसे मान लें कि जो व्यक्ति शासन संभालते ही बिहार और यूपी के लोगों पर ये तोहमत लगाता है कि वे मध्यप्रदेश का हिस्सा खा जाते है, तुम बताओ कि वह व्यक्ति देशभक्त कैसे हो सकता है, क्या देश का मतलब मध्यप्रदेश ही होता है?
मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने ठीक ही कहा है कि कांग्रेस यह भूल गई है कि सरकारें आती है, सरकारें जाती है, लेकिन देश और देशभक्ति से ऊपर कुछ नहीं है। शिवराज सिंह चौहान ने ठीक ही कहा है कि अगर कांग्रेस को राष्ट्र गीत को गाने में शर्म महसूस होती है, तो मुझे बता दें, हर महीने जनता के साथ वंदे मातरम् मैं गाउंगा।
कांग्रेस को जानना चाहिए कि वंदे मातरम् भारतवासियों के लिए वह दवा है, जो उनके शरीर में देशभक्ति की संजीवनी का संचार करती है, ये वंदे मातरम् ही था, जिसकी प्रेरणा से प्रेरित होकर कई बलिदानियों ने देश के लिए प्राणोत्सर्ग कर दिये, पर वंदे मातरम् के इन दो शब्दों को भला आज के कांग्रेसी क्या जाने, उन्हें तो अपने परिवार, बेटे-बेटियों, बीवियों और प्रेमिकाओं को समय देने से कुछ समय मिले, तब न इस पर विचार करें, उन्हैं तो लगता है कि ये काम बीजेपी ने कराया, बीजेपी हमारी शत्रु है, इसलिए ये काम बंद करा दो।
इनका वश चले और कालांतराल में कभी ऐसा हो जाय कि भारत की सीमा भाजपा के कारण बहुत अधिक बढ़ जाये तो ये लोग, आनेवाले समय में कहैंगे कि चूंकि भाजपा ने भारत की सीमा बढ़ा दी, इसलिए हमें भारत की सीमा को और छोटा कर देना है, जैसा की राहुल बाबा के समय था, ये यह भी करने से नहीं चूंकेंगे, क्योंकि राहुल वाले कांग्रेसी जो ठहरें, इनको देश या देशभक्ति से क्या मतलब?
याद है न, केरल की वो घटना, जो गोहत्या के मामले में इन कांग्रेसियों ने बीच सड़क पर एक गाय के बछड़े की नृशंस हत्या, सिर्फ भाजपाइयों को चिढ़ाने के लिए कर दी, पर ये नहीं सोचा कि भारत में एक ऐसा भी बड़ा वर्ग हैं, जो अहिंसा तथा वंदे मातरम् के लिए मर-मिटने को तैयार रहता है, पर इन कांग्रेसियों को उनकी भावनाओं का सम्मान करने से थोड़ी ही मतलब है, मतलब तो है कि कांग्रेस का वोट कैसे बढ़ें? कम से कम भाजपा को चिढ़ाने, भारत माता की इज्जत उछालने से कांग्रेस को वोट बढ़ जाते हैं तो इससे बढ़िया और क्या बात हो सकती है।
बेचारा होनहार कमलनाथ, इसी ढर्रें पर चल रहा है, और इसकी शुरुआत, उसने नये साल से कर दी हैं, रही बात भारत की जनता और भारत की, तो मेरा मानना है कि यह देश न तो कमलनाथ चलाता है और न उनके राहुल बाबा चलायेंगे और न मोदी चलायेंगे, यह देश इन्हीं प्रकार के झंझावातों को सहकर चलता जायेगा, और जो ईश्वर चाहेगा, वही इसके साथ होगा, हां ये अलग बात है कि रावण और कंस की श्रेणी में, गद्दारों की श्रेणी में आने के लिए कौन-कौन तैयार है?
ऐसे तो गद्दारों को तैयार करने में और पैदा करने में मध्यप्रदेश की भी कम भूमिका नहीं है, तभी तो सुभद्रा कुमारी चौहान ने कहा था – अंग्रेजों की मित्र सिंधिया ने छोड़ी रजधानी थी, खूब लड़ी मर्दानी वो तो झांसीवाली रानी थी, कल कमलनाथ भी इसी श्रेणी में आ जाये तो हमें नहीं लगता कि इसमें कोई अतिश्योक्ति भी होनी चाहिए।