8-9 जनवरी को वाम श्रमिक संगठनों की राष्ट्रव्यापी हड़ताल को लेकर रांची में वामदलों ने की बैठक
45वें और 46वें भारतीय श्रम सम्मेलन की सिफारिशों को लागू कराने, कर्मचारी के रुप में मान्यता देने, कम से कम 18,000 रुपये प्रतिमाह न्यूनतम वेतन देने, कम से कम 6000 रुपये प्रतिमाह पेंशन देने सहित सामाजिक सुरक्षा लाभ देने, आईसीडीएस का निजीकरण रोकने, बजट में आईसीडीएस के लिए पर्याप्त आर्थिक आवंटन करने की मांग को लेकर, अखिल भारतीय आंगनवाड़ी सेविका एवं सहायिका फेडरेशन आगामी आठ और नौ जनवरी को राष्ट्रव्यापी आम हड़ताल में शामिल रहेगी।
इनके हड़ताल को समर्थन देने के लिए रांची स्थित भाकपा माले कार्यालय में सभी वामदलों के नेताओं ने बैठक की, तथा इस हड़ताल को हर हाल में सफल बनाने का संकल्प लिया गया। भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के राज्य सचिव एवं पूर्व सांसद भुवनेश्वर प्रसाद मेहता ने इस अवसर पर कहा कि केन्द्र सरकार की जनविरोधी नीतियों, किसान-मजदूर विरोधी नीतियों और कारपोरेट परस्त नीतियों के खिलाफ यह हड़ताल है, देश की जनता, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की नीतियों से तंग और परेशान है।
भाकपा माले के राज्य सचिव का. जनार्दन प्रसाद ने कहा कि मोदी सरकार श्रम कानूनों में लगातार संशोधन कर कारपोरेट घरानों को मदद कर रही है। मजदूर और किसान, सिर्फ परेशान ही नहीं हैं, बल्कि भयभीत भी हैं। केन्द्र सरकार मजदूरों को न्यूनतम वेज भी नहीं दे रही है।
मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के राज्य सचिव गोपीकांत बक्शी ने कहा कि सेंन्ट्रल ट्रेड यूनियन की हड़ताल आम अवाम की आवाज हैं, इनकी मांगे जायज हैं, इसलिए 8 जनवरी को वामदल के सारे कार्यकर्ता सड़कों पर उतरकर, इस जनविरोधी सरकार को सत्ता से उखाड़ फेंकने का जनता से आह्वान करेंगे।