CMO के TeamPRD के अनुसार, रघुवर दास ‘मुख्यमंत्री’ नहीं, बल्कि झारखण्ड के ‘प्रधान मुख्यमंत्री’
जरा नीचे दिये गये, मुख्यमंत्री सचिवालय रांची द्वारा 18 जनवरी 2019 को जारी किये गये प्रेस विज्ञप्ति संख्या 42/2019 को सावधानी से पढ़िये। जिसमें साफ लिखा है कि “प्रधान मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव श्री सुनील कुमार बर्णवाल” अब इससे क्या पता चलता है? इसका मतलब है कि सीएमओ में कार्य कर रही सीएमओ की टीम पीआरडी अब राज्य के मुख्यमंत्री रघुवर दास को सामान्य मुख्यमंत्री नहीं मानती, बल्कि प्रधान मुख्यमंत्री मानती है।
अब जब राज्य के सूचना एवं जनसम्पर्क विभाग में कार्यरत लोग ही अपने मुख्यमंत्री रघुवर दास को मुख्यमंत्री न मानकर प्रधान मुख्यमंत्री मान लिये हो, तो भला आम आदमी की क्या बिसात? सभी को अब राज्य के मुख्यमंत्री को प्रधान मुख्यमंत्री मान लेना चाहिए।
अब सवाल यह भी उठता है कि राज्य के प्रधान मुख्यमंत्री रघुवर दास हो गये तो और इस राज्य मे कितने मुख्यमंत्री हैं, जिन्हें देखते हुए उन मुख्यमंत्रियों में से इन्हें प्रधान मुख्यमंत्री चुन लिया गया और जब प्रधान मुख्यमंत्री ये बन ही गये तो सूचना एवं जनसम्पर्क विभाग यह भी बता दें कि इसकी घोषणा किस तिथि को की गई, अगर आज ही की गई है तो चलिए, आज ही से हम मान लें कि राज्य के मुख्यमंत्री, अब प्रधान मुख्यमंत्री के नाम से जाने जायेंगे।
हद हो गई है, ये कोई पहली घटना नहीं है, बेसिर-पैर की बातें और खबरें बिना किसी जांच-पड़ताल के सीएमओ के टीमपीआरडी द्वारा विभिन्न व्हाट्सएप ग्रुपों में डाल दिया जाता है, जिसकी ओर विद्रोही24.कॉम ने कई बार इशारा किया हैं, और अब लीजिये एक नया ड्रामा सामने आ गया, अपने राज्य के मुख्यमंत्री बन गये प्रधान मुख्यमंत्री।
आश्चर्य तो तब होता है कि यह विभाग भी मुख्यमंत्री रघुवर दास के पास है और इसके सचिव भी सुनील कुमार बर्णवाल है जो उनके प्रधान सचिव है। फिर भी इतनी बड़ी गलतियां कैसे हो जा रही है? कौन है इसका जिम्मेवार? आगे ऐसी गलती न हो, इस पर ध्यान देनेवाला कोई है ही नहीं। ऐसे में जब तक राज्य में सरकार बदल नही जाती, तब तक आइपीआरडी झारखण्ड के इन महान काबिलों के समाचार को झेलते रहिये और परम आनन्द की प्राप्ति करते रहिये।
यही नहीं जरा सीएमओ के टीम पीआरडी का प्रेस विज्ञप्ति संख्या 43/2019 भी देख लीजिये, अगर आपने माथा नहीं पीट लिया तो फिर कहियेगा। ये लोग मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा तक करवा देता हैं, भला भगवान का प्राण प्रतिष्ठा तो हमने सुना था, ये मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा कब से होने लगा भाई? और खुशहाली की कामना के लिए भगवान शंकर को प्रणाम किया जाता है कि खुशहाली की कामना से, वाह रे सूचना एवं जनसम्पर्क विभाग और उनके काबिल पदाधिकारी, आप सचमुच महान हो।
अति स्तुति..चपलुषक लक्षणम..