सीखिये धनबाद के इस भाजपा नेता हरि प्रकाश लाटा से कि सही मायनों में राष्ट्रीय पर्व कैसे मनाया जाता हैं?
आज 70वां गणतंत्र दिवस हैं, पूरे देश में राष्ट्रीय ध्वज शान से लहरा रहा है, वह बता रहा हैं कि हमारा गणतंत्र प्रौढ़ावस्था में हैं, पर क्या हमने सही मायनों में गणतंत्र का अर्थ समझा है? गणतंत्र दिवस कैसे मनाया जाता है, सीखा है? अपने महापुरुषों का इस अवसर पर कैसे सम्मान करना चाहिए, ये सीखा है? अगर नहीं तो ये सीखने की कोशिश करिये, चाहे वह कोई भी सीखायें। आज धनबाद के भाजपा नेता हरि प्रकाश लाटा ने वह कर दिखाया, जो उनसे उम्मीद की जाती है।
हरि प्रकाश लाटा धनबाद में भाजपा के बहुत पुराने नेता है, बेहद ही संवेदनशील और राष्ट्रीयता से ओत-प्रोत, सामाजिक व राजनीतिक जीवन में रहने के बावजूद भी उन पर कोई दाग नहीं, ये उनके लिए बहुत बड़ी बात है। आज भी वे अपने आपको विपरीत परिस्थितियों में संभाल कर रखे हुए हैं, हमेशा मुस्कुराते हुए मिलनेवाले हरि प्रकाश लाटा आज चर्चा में है, चर्चा का कारण भी है।
आज जब वे भाजपा कार्यालय में गणतंत्र दिवस पर राष्ट्रीय ध्वज फहराने के बाद निकले, तब उनकी नजर धनबाद की सिटी हर्ट कहे जानेवाली सिटी सेंटर के पास स्थित गोलम्बर पर पड़ी, जहां महात्मा गांधी की प्रतिमा स्थित है। कमाल है, जिन महापुरुषों के त्याग व बलिदान के कारण हमें गणतंत्र मिला, उन्हें याद करनेवाला वहां उस भीड़ में कोई नहीं था, उनके गले में पुष्पों की माला डालनेवाला कोई नहीं था।
बेचारे गांधी जी इस भारत के महान राष्ट्रीय पर्व पर भी लाठी का सहारा लिये, इधऱ-उधर निहार रहे थे कि शायद इस गणतंत्र दिवस पर कोई गण में से एक भी व्यक्ति उनको याद करेगा और माल्यार्पण करेगा, और अगर ये भी नहीं करेगा तो कम से कम, उनके पास आकर श्रद्धा के दो शब्द ही बोल देगा, पर ये क्या? उन्हें तो कोई याद ही नहीं कर रहा था, पर इसी बीच हरि प्रकाश लाटा की नजर पड़ती है, वे गांधी की प्रतिमा के पास पहुंचते ही नहीं, बल्कि उनकी प्रतिमा पर माल्यार्पण करते है, शीश झुकाते है, तथा अपनी कृतज्ञता ज्ञापित करते हैं।
अब सवाल है कि क्या राष्ट्रीय पर्व के दिन केवल राष्ट्रीय ध्वज फहराने की परम्परा है, या इस दिन उन महापुरुषों को भी याद करने की परम्परा है, जिनके बदौलत हम आज गणतंत्र के फायदे उठा रहे हैं, क्या ऐसा नहीं हो सकता कि जिला प्रशासन/नगर निगम प्रशासन इस दिन जैसे 26 जनवरी और 15 अगस्त को, अपने नगर के चौक-चौराहों पर स्थित महापुरुषों की प्रतिमा की साफ-सफाई करवाकर, उनकी प्रतिमा पर माल्यार्पण करें/कराएं, उनके प्रति पूरे नगरवासियों की ओर से कृतज्ञता ज्ञापित करें/कराएं।
दुर्भाग्य देखिये, इस शहर का मेयर शेखर अग्रवाल हैं, जो भाजपा का ही है, पर वो महात्मा गांधी की प्रतिमा पर आज के दिन माल्यार्पण करना/करवाना, उन्हें याद करना जरुरी नहीं समझता, पर हरि प्रकाश लाटा को याद आया कि गांधी को याद करना आज जरुरी है, क्योंकि वैसे भी इस वर्ष महात्मा गांधी की 150वीं जयंती वर्ष मनाया जा रहा है।
कमाल है, धनबाद ही नहीं, बल्कि रांची-जमशेदपुर आदि शहरों में भी महापुरुषों की प्रतिमा चौक-चौराहों पर स्थापित हैं, पर हम उनके जन्मदिन पर उनकी प्रतिमाओँ पर माल्यार्पण करना जरुरी नहीं समझते हैं, जबकि राष्ट्रीय पर्व उन्हीं की देन हैं, उस दिन उनकी प्रतिमाओं को सम्मान देना जरुरी नहीं समझते, क्या ये महापुरुषों के प्रति हमारी कृतघ्नता के भाव को प्रदर्शित नहीं करता।
Lata ji is an old timer and he is different than all those BJP leaders who came up like frogs in rainy season once BJP came to power.