धनबाद का एक गांव, जो प्रत्येक 26 जनवरी के दिन 20-25 लाख केवल सट्टे और दारु में फूंक देता है
आज 26 जनवरी है, इसका मतलब धनबाद के तोपचांची प्रखण्ड के रामकुंडा पंचायत अंतर्गत आमटांड गांव के टांड में महफिल जरुर जमेगा, और लीजिये जमा भी। बड़ी संख्या में आज लोग टांड में जमा हो चुके हैं, कई युवाओं के हाथों में भांति-भांति के मुर्गे शोभायमान हो रहे हैं, जो मुर्गे लड़ा रहे हैं। इन मुर्गों पर जमकर दांव भी लगाये जा रहे हैं, लीजिये जिस मुर्गे पर दांव लगी और वह मुर्गा जीत गया तो जीतनेवाली की बल्ले-बल्ले और जिसने जिस मुर्गे पर दांव लगाई और वह हार गया तो थोड़ी मायूसी जरुर हैं, फिर भी कोई गम नहीं, क्योंकि आज 26 जनवरी है, मस्ती करने का दिन।
कमाल है, यहां हर प्रकार की व्यवस्था है, अगर आप मुर्गे लड़ाने वाले खेल में दांव नहीं लगा सकते तो बैठकर जुआ खेलिये, तीन-पांच करिये, उसकी भी यहां अच्छी व्यवस्था हैं, कोई बोलनेवाला नहीं, क्योंकि दूर-दूर तक पुलिस की भी हिम्मत नहीं कि इस गांव में पहुंच जाये, क्योंकि वह भी 26 जनवरी मना रही हैं, और ये गांव के लोग भी 26 जनवरी यानी गणतंत्र दिवस मना रहे हैं, लेकिन अपने-अपने ढंग से।
बगल में मुर्गे भी काटे जा रहे हैं, मुर्गों की दावत भी खुब चल रही हैं, और लीजिये बगल में दारु की बोतलें भी आपका इन्तजार कर रही है, यानी मुर्गा लड़ाइये, मुर्गा खाइये, दारु पीजिये, जुआ खेलिये, सट्टेबाजी करिये और मस्त रहिये, क्योंकि आज कोई बोलनेवाला नहीं, क्योंकि आज 26 जनवरी है।
कमाल है, दस हजार से भी अधिक की भीड़, नशे का खुला व्यापार, जमकर सट्टेबाजी और जुए का खेल और कोई बोलनेवाला नहीं, पुलिस जिसका काम है, इन सब को रोकना, उसे भी पता है पर वह इन गंदगियों को रोकने का प्रयास नहीं करती, शायद उसके नजर में भी आज गणतंत्र दिवस है और सभी को अपने मनमुताबिक मस्ती करने का अधिकार है।
यहां के मुखिया परशुराम महतो की मानें तो वे बताते हैं कि यह गलत काम हैं, गणतंत्र दिवस ही क्या, किसी भी दिन इस प्रकार का काम दारु पीना, जुआ खेलना ठीक बात नहीं, ये समाज के लिए कलंक है, वे रोकना भी चाहते हैं, इसके लिए उन्होंने इस बार कुछ दिन पहले तोपचांची थानेदार शिवपूजन बहेलिया को इत्तिला भी किया था, लेकिन तोपचांची थानेदार ने इस पर रोक लगाने में दिलचस्पी नहीं दिखाई।
लोग बताते है कि ये सब गोरखधंधा यहा हर साल, वह भी बड़े पैमाने पर होता है, पर किसी ने रोकने की कोशिश नहीं की और जब भी स्थानीय पुलिस से इस संबंध में सहयोग मांगा गया तो पुलिस ने कभी सक्रियता नहीं दिखाई, आखिर धनबाद पुलिस ऐसा क्यों करती है? भगवान ही जाने, पर इस प्रकार के गोरखधंधे ने गांव, समाज और गणतंत्र दिवस सभी के दामन पर दाग लगाने का काम किया हैं, जिसे छुड़ाने का प्रयास आज तक स्थानीय पुलिस ने नहीं किया।