खुद को मजदूर बतानेवाले CM रघुवर अपने बेटे की शादी रायपुर में और रिसेप्शन तीन जगहों पर करेंगे
जब से एक खबर, मैंने एक दैनिक अखबार में पढ़ी है, मेरा दिमाग उड़ सा गया है। भला खुद को मजदूर का बेटा कहनेवाला, खुद को बार–बार गरीब मजदूर बतानेवाला व्यक्ति, भला अपने बेटे का रिसेप्शन वह भी तीन बड़े–बड़े शहरों में कैसे कर सकता है? इतनी बड़ी रकम उसके पास कैसे और कहां से आ गई? कि वह ट्रेन में बारात जाने के लिए एक स्पेशल बॉगी तक बुक करा ले रहा है। जमशेदपुर के एक मैदान में भारी–भरकम पंडाल लगाने, आम व खास के लिए विशेष अलग–अलग खाने–पीने की व्यवस्था करने की बात करता है। भाई ये बात कुछ हजम नहीं हुई।
मुख्यमंत्री रघुवर दास जी, अगर ये समाचार सही हैं, ये समाचार सही होगी भी, क्योंकि अभी तक आप की ओर से इसका कंट्राडिक्शन तक नहीं आया है, तो समझा यही जायेगा कि ये बातें सहीं है, तो प्लीज अब खुद को गरीब का बेटा, मजदूर का बेटा कहने का जुमला बंद करिये, क्योंकि गरीब मजदूर के बेटे की शादी के लिए कोई ट्रेन की एक बॉगी बुक नहीं करता, बल्कि वो जैसे–तैसे बस या ट्रक कर बारात ले जाता है, वो रिसेप्शन करता भी है, तो जैसे–तैसे एक स्थान पर करके अपना सम्मान बचाता है।
आपने तो हद कर दी, मुख्यमंत्री पद का अच्छा फायदा उठाया है। आपके बेटे के शादी ने तो आपके झारखण्ड प्रेम की भी हवा निकाल दी है। बेटे की शादी की सारी रस्मे जमशेदपुर या रांची में न होकर, छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में होगी। बारात टाटानगर स्टेशन से विशेष बॉगी द्वारा रवाना होगी। उसके बाद पहला रिसेप्शन 10 मार्च को जमशेदपुर में, दूसरा 12 को रांची में, और तीसरा 14 मार्च को नई दिल्ली में, वाह क्या बात हैं, आपने तो तीन–तीन जगहों पर रिसेप्शन की बात कर, लालू यादव के यहां हुई शाही शादी को भी पीछे छोड़ने का मन बना लिया, ऐसे में आपके कैबिनेट में शामिल मंत्री सरयू राय जो आपके लिए संवाद बोल रहे हैं, कि वे नहीं चाहते, कि लालू प्रसाद, मधु कोड़ा के बाद कोई तीसरा मुख्यमंत्री जेल जाये, आप लगता है कि उनका सपना पूरा कर देंगे, क्योंकि इस शाही शादी पर तो आयकर विभाग की भी नजर होनी ही चाहिए।
भाई मुख्यमंत्री हो या सामान्य जनता, सभी को अपने बेटे या बेटी की शादी में जी भर कर अपने सपने पूरे करने का अधिकार है, पर जो सत्ता में हैं या सत्ता से जुड़े हैं, उन पर सामान्य जनता की भी नजर रहती है कि वे अपने बेटे व बेटियों की शादी कैसे कर रहे हैं? अगर किसी गरीब राज्य का मुख्यमंत्री इस प्रकार अपने बेटे की शादी में पैसों को पानी की तरह बहायेगा, या अपनी रुतबा का नुमाइश करेगा, तो इसका असर लोगों पर बुरा पड़ेगा। वे भी इस प्रकार की नकल शुरु करेंगे और फिर शुरु होगा अंधाधुंध पैसों की बर्बादी, और पतन का मार्ग।
मैं बार–बार कहना चाहुंगा कि सत्ता के सर्वोच्च शिखर पर बैठे लोग थोड़ा ईमानदारी दिखाये, अपने बेटे–बेटियों की शादी सादगी से संपन्न करें, ताकि लोग आपसे सीखे कि शादी में फिजूलखर्जी करना कोई बहादुरी नहीं, बल्कि उन पैसों को उचित जगह पर खर्च कर, अपना और अपने परिवार तथा समाज को बेहतर दिशा में ले जाने को प्रेरित हो, पर ये काम वो करते हैं, जो पं. दीन दयाल उपाध्याय अथवा डा. श्यामा प्रसाद मुखर्जी के पद–चिह्नों पर चलते हैं, आप तो इनका नाम लेते हैं, पर जिनके पद–चिह्नों पर चलते हैं, हम उन्हें कनफूंकवां से अधिक कुछ नहीं कहते।
आप को मेरी ओर से आपके बेटे की शादी की अग्रिम बधाई, पर अंत में यही कहुंगा कि अभी भी वक्त है, सादगी में अपने बेटे की शादी संपन्न करिये, ताकि एक मिसाल कायम हो, क्योंकि कल ही आपने सिदगोड़ा में आयोजित एक कार्यक्रम में भाषण में कहा कि आपके पास तीन मकान है, एक जो आपने खड़ा किया, दूसरा जो टाटा ने दिया एक मजदूर के हैसियत से और तीसरा जो पैतृक हैं, अब आप खुद बताइये कि एक सामाजिक व्यक्ति जो सामान्य पार्टी में आकर विधायक बना, फिर मंत्री बना, आज वह मुख्यमंत्री है।
उसके पास इतना पैसा कहां से आ गया कि वह तीन–तीन शहरों में रिसेप्शन आयोजित करा दें, ट्रेन में एक बॉगी तक बुक करा दें, भव्य पंडाल बनाने का काम शुरु करा दें, आम और खास के लिए अलग–अलग भोजन की व्यवस्था करा दें, भाई ये सब तो बड़े–बड़े व्यापारियों के काम हैं, आप तो गरीबों के नेता खुद को कहते हैं, क्या आपका कोई गरीब भाई, इस प्रकार की शाही शादी आयोजित किया है, अगर किया हो तो, बताइयेगा, जरा उससे मैं मिलने जाउंगा, और बधाई भी दे आउंगा।