अभिनन्दन रिलायन्स फाउंडेशन, तुमने शहीद जवानों के बच्चों की पढ़ाई और उनके रोजगार की जिम्मेदारी उठाई
सचमुच अगर देश के उद्योगपति व उनकी संस्थाएं इसी प्रकार अपनी सामाजिक जिम्मेदारी उठाने शुरु कर दें, तो आनेवाले समय में हमारे देश के सैनिकों के मनोबल कोई तोड़ ही नहीं सकता, साथ ही हमारे जवानों के मोरल को भी कोई प्रभावित नहीं कर सकता, क्योंकि तब उनके दिल में एक बात जरुर घर करेगा, हम रहे या न रहे, पर देश के लोग, उनके परिवारों के प्रति अपनी जिम्मेदारी निभायेंगे, और उनका परिवार उनके न रहने पर भी खुशहाल होगा।
दरअसल जो आतंकी समूह चलाते हैं, और जो आतंकी तैयार करते हैं, वे उन आंतकियों को ये भरोसा दिलाते हैं कि उनके नहीं रहने पर, उनके परिवार को पूरी फैसिलिटी दी जायेगी, जो उन्होंने कल्पना भी नहीं की होगी, और इसके लिए धार्मिक उन्माद पैदा करनेवाले लोग, भारत की एकता व अखण्डता को चोट पहुंचानेवाले लोग उन आतंकी समूहों को धन उपलब्ध कराते हैं, अगर यहीं बात देश के सैनिकों और अर्द्धसैनिक बलों में शामिल जवानों को हो जाये, कि वे इस दुनिया में रहे या न रहे, पर उनके परिवारवालों को आनेवाले समय में कोई दिक्कत नहीं होगी तो फिर देखिये, इन आतंकियों का क्या हाल होता है?
इस देश का दुर्भाग्य देखिये, जब सेना का जवान देश के लिए मरता हैं तो उसे शहीद का दर्जा दिया जाता हैं, पर अर्द्ध सैनिक बलों के जवान देश की सुरक्षा के लिए जान दे देते हैं तो उन्हें शहीद का दर्जा नहीं दिया जाता, जबकि सर्वाधिक नुकसान इन्हीं का होता हैं और रही सही कसर भारत रत्न कहलाये जानेवाले पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने निकाल दी, इस शख्स ने अपने और अपने जैसे सांसदों–विधायकों के लिए पुरानी पेंशन योजना को बरकरार रखा और इन अर्द्ध सैनिक बलों के जवानों की पेंशन पर रोक लगा दी।
इसके बाद भी अगर देश की रक्षा के लिए कोई अर्द्ध सैनिक बल का जवान अपने आप को देश के लिए झोंक दे रहा हैं तो ये सबसे बड़ी आश्चर्य की बात हैं, यहीं नहीं इन जवानों के उपर कितना अत्याचार होता है इनके शिविरों में, इनके बड़े अधिकारी कैसे इनका शोषण करते हैं, उन्हें समय पर छुट्टियां नहीं दी जाती, उनके साथ नौकरों से भी बदतर सलूक किया जाता हैं, उन्हें अच्छे खाने भी नहीं दिये जाते और न ही वर्दियों का इंतजाम होता हैं, कहने को तो सरकार कहती है कि इन्हें वर्दी एलाउँस दिया जाता है, जबकि वर्दी एलाउंस के नाम पर दिये जानेवाले पैसे इनके बड़े अधिकारी इतने आराम से उनके पॉकेट से निकाल लेते हैं कि आप इन अर्द्ध सैनिक बलों के जवानों से आप पूछ सकते हैं।
खैर इस देश में तो एक से एक बेशर्म नेता भी हैं, जो ये भी कहते है कि सेना और अर्द्धसैनिक बलों में जो लोग जाते हैं, वे मरने के लिए ही जाते हैं, पर ये बोलने में उन नेताओं को शर्म आती हैं कि वे जन्मजात देश के शत्रु हैं, जो पैदा ही लेते हैं देश को नुकसान पहुंचाने के लिए और उसके बदले देश की जनता के टैक्स के पैसे के ऐश–मौज करने के लिए।
चलिए, बहुत दिनों के बाद एक अच्छी खबर सुनने को मिली, कि जम्मू–कश्मीर के पुलवामा में शहीद हुए अर्द्ध सैनिक बलों के जवानों के परिवारों के लिए रिलायंस फाउंडेशन ने अपनी सोशल रिस्पांसिबिलिटी को समझा और जिस प्रकार मुट्ठी भर कमीनों को छोड़कर पूरा देश इन जवानों के साथ खड़ा हैं, रिलायन्स फाउंडेशन भी आ खड़ा हुआ है। रिलायन्स फाउंडेशन ने इन शहीद हुए जवानों के बच्चों की शिक्षा और उनके रोजगार की पूरी जिम्मेदारी ले ली है, साथ ही उनके परिवार की आजीविका का भी जिम्मा लेकर, पूरे देश में अपनी साख बना ली।
रिलायन्स फाउंडेशन ने देश की जनता के साथ कदम से कदम मिलाकर, यह बात बोलने में भी गुरेज नहीं किया कि दुनिया की कोई ताकत, भारत की एकता को खत्म नहीं कर सकती, और न ही इंसानियत के दुश्मन आतंकियों को हराने के हमारे संकल्प को कमजोर कर सकती है।