होनहार CM और उनके मुख्यमंत्री सचिवालय ने ठोक दिया दावा कि झारखण्ड बन गया विकसित राज्य
मुख्यमंत्री सचिवालय रांची ने प्रेस विज्ञप्ति संख्या 173/2019 जारी कर, राज्य के अपने होनहार मुख्यमंत्री रघुवर दास के हवाले से कहा है कि पिछले साढ़े चार वर्षों में झारखण्ड अब विकसित राज्यों की श्रेणी में आकर खड़ा हुआ है। यह बात राज्य के होनहार मुख्यमंत्री रघुवर दास ने अपने संबोधन में, खेलगांव में आयोजित प्रधानमंत्री उज्जवला योजना अंतर्गत गैस कनेक्शन एवं चूल्हा वितरण कार्यक्रम में कही।
अब झारखण्ड विकसित राज्य हुआ या नहीं, भले ही भारत सरकार स्वीकार करें या नहीं स्वीकारें, या विकसित राज्य की मानकता पर झारखण्ड खड़ा उतरता है या नहीं, इसकी मानकता की कसौटी पर खड़ा करनेवाले संस्थान इसे प्रमाण पत्र दे या न दें, पर चूंकि राज्य के होनहार मुख्यमंत्री रघुवर दास ने कह दिया और मुख्यमंत्री सचिवालय में कार्यरत होनहार पदाधिकारियों की टीम ने प्रेस विज्ञप्ति जारी कर दिया तो अब तो सबको मानना ही पड़ेगा, क्योंकि अपने मुख्यमंत्री और उनकी मुख्यमंत्री सचिवालय की टीम होनहार जो ठहरी।
अब चाहे राज्य में किसान आत्महत्या ही क्यों न करें, या लोग भूख से ही क्यों न दम तोड़ दें, या हरमू नदी के सौंदर्यीकरण में 84 करोड़ रुपये फूंक कर उसे नाला का रुप ही क्यों न दे दिया जाये, चाहे अपने मुख्यमंत्री गढ़वा में किसी जाति विशेष के लोगों को तथा सदन (विधानसभा) में नेता प्रतिपक्ष को गाली से क्यों न नवाज दें, या झारखण्ड की बेटियों को दुष्कर्म करने के बाद उसे जिंदा ही क्यों न जला दिया जाय, या पारा टीचरों और पत्रकारों पर क्रूरता ही क्यों न दिखलाया जाय, या गरीब आदिवासियों–किसानों–मजदूरों के खेतों में लगी फसलों पर एक पूंजीपति को खुश करने के लिए बुलडोजर ही क्यों न चला दिया जाय।
या एक महिला द्वारा शराबबंदी की मांग पर उसे चिकनी–चुपड़ी बातों से चुप ही क्यों न कर दिया जाय, या भारी–भरकम हाथी मोमेंटम झारखण्ड के नाम पर आकाश में क्यों न उड़ा दिया जाय, या जहां प्रत्येक योजनाओं की हवा क्यों न निकाल दी जाय, या जहां सात हजार से भी ज्यादा स्कूलों को बंद करने का फरमान क्यों न जारी कर दी जाय, या जहां मॉल और डिपार्टमेंटल स्टोर में शराब की बिक्री का प्रबंध क्यों न कर दिया जाय, या जहां सत्तारुढ़ दल के विधायक द्वारा खुद की पार्टी के जिला मंत्री का यौन–शोषण ही क्यों न किया जाय।
या जिसके राज्य में उदयोग–धंधे ही क्यों न ठप हो जाय, या जहां बिजली के लिए लोग प्रतिदिन रोते–रोते क्यों न गुजार दें, या जहां का मुख्यमंत्री बोलता कुछ और करता कुछ हो, जैसे कहा था कि 2018 के अंत–अंत तक 24 घंटे बिजली देंगे, पर हुआ कुछ भी नहीं, या जहां का मुख्यमंत्री खुद बिना हेलमेट पहने स्कूटी क्यों न चला दे, या जहां कौशल विकास के नाम पर लूट का धंधा क्यूं न चल जाय, या जहां मुख्यमंत्री जनसंवाद केन्द्र के नाम पर जहागीरी घंटा क्यूं न बजाये जाय तथा जिसका रिजल्ट ढांक के तीन पांत क्यूं न हो जाय।
या जहां का मुख्यमंत्री अपने लिए वेतन तथा पेंशन के लिए अच्छी व्यवस्था क्यूं न कर ले और आम नौकरी पेशा को फूंटी कौड़ी देने में नाकर–नुकूर क्यूं न करें, या जहां का मुख्यमंत्री जातीय रैली में जाकर शेखी क्यूं न बघारता हो, या जहां बकोरिया कांड में सीबीआइ की जांच रुकवाने के लिए, अपने होनहार मुख्यमंत्री एसएलपी याचिका सुप्रीम कोर्ट में क्यूं न दायर करवा दें, या जिनके सुशासन काल की रिपोर्ट भारत के 30 राज्यों की सूची में 28वें स्थान पर क्यूं न आ जाय, या जहां जल–जंगल–जमीन की लड़ाई लड़नेवालों को देश–द्रोही के तमगे से क्यूं न नवाज दिया जाय, भला उससे बड़ा और विकसित राज्य और कौन हो सकता है?
सचमुच राज्य के सारे विपक्षी दलों के प्रमुख नेताओं को कल ही, मुख्यमंत्री आवास जाकर उन्हें बूके देकर सम्मानित करना चाहिए कि उन्होंने राज्य को मात्र साढ़े चार सालों में विकसित राज्यों की श्रेणी में लाकर खड़ा कर दिया। अब तो चूंकि राज्य विकसित हो गया, अब तो पलायन, विस्थापन, बेरोजगारी, गरीबी, मूलभूत सुविधाओं की अब कोई समस्या ही नहीं रही।
अब तो महाराष्ट्र और गुजरात छोड़ दीजिये, अब तो अमरीका और कनाडा जैसे देशों के लोग झारखण्ड आयेंगे और अपने होनहार मुख्यमंत्री रघुवर दास से पाठ सीखेंगे, कला सीखेंगे, कि आखिर पलायन, विस्थापन, बेरोजगारी और गरीबी जैसे समस्याओं से जूझ रहे इस झारखण्ड को कैसे इतने कम समय में विकसित राज्यों की श्रेणी में लाकर खड़ा कर दिया, अब तो हावर्ड यूनिवर्सिटी को भी चाहिए कि अपने होनहार मुख्यमंत्री को अपने यहां विशेष व्याख्यान देने के लिए बुलाएं, ताकि लोग इनके विचारो से लाभ उठाएं।
हमें तो लगता है कि बेचारे खाद्य–आपूर्ति मंत्री सरयू राय बेकार के ही अपने होनहार मुख्यमंत्री रघुवर दास के पीछे पड़े रहते हैं, जरा देखिये सरयू राय को छोड़कर आज तक किसी भी मंत्री ने अपने होनहार मुख्यमंत्री की आलोचना की, नहीं न, करेंगे भी कैसे, राज्य बनने के बाद पहली बार कोई होनहार मुख्यमंत्री बना जो बिना कुछ किये ही, राज्य को विकसित राज्य बना दिया, तो भक्तों इस बात पर हो जाये, दे ताली।