जिन्होंने DC लाइन पर रेलसेवा शुरु करने के लिए कभी संघर्ष नहीं किया, वे BJP MP-MLA श्रेय लेने के लिए मचल रहे हैं
धनबाद–गिरिडीह के भाजपा सांसदों और धनबाद–बाघमारा विधानसभा क्षेत्र के भाजपा विधायकों के आजकल कंठ खुल गये हैं, खूब बक रहे हैं, वे और उनके आगे–पीछे करनेवाले पिछलग्गू नेता–कार्यकर्ता जनता के बीच खुब हांक रहे हैं, नेता जी ने ये किया, नेताजी ने वो किया, पर जनता तो जनता हैं, वो जानती है कि इस धनबाद–चंद्रपुरा रेललाइन पर रेल–सेवा बहाल करने के लिए किसने कितना संघर्ष किया।
आज धनबाद–चंद्रपुरा रेललाइन गुलजार है, क्योंकि कल से इस रेललाइन पर बीस महीनों के बाद एक बार फिर रेलसेवा बहाल हो रही हैं, लोग खुश हैं, और उनलोगों को दिल से बधाई और शुभकामनाएं दे रहे हैं, जिन्होंने दिल से इस पर रेल सेवा बहाल हो, इसके लिए धनबाद से लेकर दिल्ली तक संघर्ष किया।
लोग तो यह भी कहते है कि अगर लोकसभा का चुनाव सर पर नहीं होता, और भाजपा सांसदों को यहां से हार का खतरा नहीं होता, तो इस धनबाद–चंद्रपुरा रेललाइन पर इतनी जल्दी रेल–सेवा बहाल ही नहीं होती, ये तो जनता का आक्रोश था और जनता ने भी ठान लिया था कि भाजपा को इस बार सबक सिखाना है, केन्द्र को भी इस बात की जानकारी हो गई और केन्द्र ने जनता को खुश करने के लिए रेलसेवा बहाल करने का निर्णय लिया।
सूत्र बताते हैं कि आश्चर्य है जो लोग रेल–सेवा बहाल कराने के लिए आंदोलनरत थे, ये नेता उन आंदोलनकारियों को कहा करते थे कि अरे ये सब क्या कर रहे हो, वो मोदी है, मोदी, एक बार निर्णय ले लिया तो पीछे हटनेवाला आदमी नहीं हैं, कुछ भी कर लो, अब रेल–सेवा बहाल नहीं होगा, क्यों पत्थर पर माथा पीट रहे हो, और जब कि आज एक बार फिर से वही मोदी, जिनके नाम पर ये नेता आंदोलनकारियों को बरगलाते थे, फिर से रेलसेवा बहाल करने की अनुमति दे दी, तो ये अपना मुंह छुपाने की जगह, बड़े शान से अपने पूर्व के डायलॉग पर ताला जड़ते हुए, खुद को महान बताने पर तुले हैं।
जबकि सच्चाई यह है कि जिस दिन लोगों को पता चला कि धनबाद–चंद्रपुरा रेललाइन पर रेलसेवा ठप होने जा रहा हैं, लोग सड़कों पर उतर गये, गांधीवादी तरीके आंदोलन प्रारम्भ किया। झाविमो नेता बाबू लाल मरांडी की इस आंदोलन में बड़ी भूमिका रही। जागो संस्था के बैनर तले, कई कांग्रेसी नेताओं ने जंतर–मंतर पर रेल सेवा बहाल करने के लिए प्रदर्शन किया। कांग्रेस के नेताओं ने तो साफ कह दिया कि 2019 में उनकी केन्द्र में सरकार आई तो इस रेलखण्ड में रेलसेवा बहाल होगी।
पूर्व मंत्री ओपी लाल, पूर्व मंत्री जलेश्वर महतो, वरिष्ठ समाजसेवी विजय झा ने भी इस पर जमकर मेहनत की। रेल विभाग, स्थानीय प्रशासन, बीसीसीएल, धनबाद से लेकर भाया रांची होते हुए दिल्ली तक लोगों ने सभी को झकझोरा, और आखिर केन्द्र की नींद टूटी, अपनी गलतियों पर पर्दा डालने का काम शुरु किया, फिर से जांच शुरु हुई, और चूंकि सब को पता था कि आखिर होना क्या है? वहीं हुआ।
आनन–फानन में रेल–सेवा बहाल हो गई और इसका श्रेय लेने के लिए वे लोग आगे निकल पड़े, जिन नेताओं के उस वक्त होठ सिल गये थे, उसमें आप राज्य के मुख्यमंत्री रघुवर दास को भी शामिल कर सकते हैं, पर जरा अभी देखिये, कतरासगढ़ में किनके होर्डिंग लगे हैं, उनके लगे हैं, जिन्होंने कभी भी धनबाद और कतरासगढ़ की जनता का साथ नहीं दिया, फिर भी जनता ने प्रण कर लिया है कि ये नेता कुछ भी कर लें, उनका तो नेता वहीं होगा, जिसने इस धनबाद–चंद्रपुरा रेललाइन पर ट्रेन–सेवा बहाल करने के लिए स्वयं को झोंक दिया।